नई दिल्ली:
राजस्थान रॉयल्स के तीन खिलाड़ियों को गिरफ्तार करके इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के स्पॉट फिक्सिंग मामले का खुलासा करने वाली दिल्ली पुलिस के एक उच्च अधिकारी का मानना है कि भारत अभी खेलों में सट्टेबाजी को वैधता देने की स्थिति में नहीं है।
आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले की जांच का नेतृत्व करने वाले दिल्ली पुलिस में विशेष आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने मंगलवार को कहा कि खेलों में सट्टेबाजी को वैधता देने से कर के रूप में राजस्व बढ़ाने में सहायक हो सकता है, लेकिन दूसरी तरफ यह सट्टेबाजी से जुड़े युवाओं के लिए अवरोधक साबित हो सकता है।
फिक्की द्वारा 'खेल सट्टेबाजी की नियमितीकरण : मैच फिक्सिंग पर लगाम लगाने वाला?' विषय पर आयोजित एक सम्मेलन में श्रीवास्तव ने कहा, "लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि सट्टेबाजी को समाज द्वारा मान्यता नहीं मिली है।"
श्रीवास्तव ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि देश में खेलों के लिए सख्त कानून की आवश्यकता है, लेकिन वह मानते हैं कि देश में सट्टेबाजी को वैधता मिलने में अभी 10 से 15 साल लग सकते हैं।
आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले की जांच का नेतृत्व करने वाले दिल्ली पुलिस में विशेष आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने मंगलवार को कहा कि खेलों में सट्टेबाजी को वैधता देने से कर के रूप में राजस्व बढ़ाने में सहायक हो सकता है, लेकिन दूसरी तरफ यह सट्टेबाजी से जुड़े युवाओं के लिए अवरोधक साबित हो सकता है।
फिक्की द्वारा 'खेल सट्टेबाजी की नियमितीकरण : मैच फिक्सिंग पर लगाम लगाने वाला?' विषय पर आयोजित एक सम्मेलन में श्रीवास्तव ने कहा, "लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि सट्टेबाजी को समाज द्वारा मान्यता नहीं मिली है।"
श्रीवास्तव ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि देश में खेलों के लिए सख्त कानून की आवश्यकता है, लेकिन वह मानते हैं कि देश में सट्टेबाजी को वैधता मिलने में अभी 10 से 15 साल लग सकते हैं।
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