अनुराग ठाकुर (फाइल फोटो)
बीसीसीआई यानी बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया के लिए सोमवार को फैसले की घड़ी आखिर आ ही गई, जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को पद से हटा दिया और कहा कि बोर्ड से जुड़े वह सभी अधिकारी जिन्होंने जस्टिल लोढा पैनल की सिफारिशें पूरी तरह नहीं मानी हैं, उन्हें जाना होगा. कोर्ट के इस आदेश के बाद बोर्ड के 70 साल से अधिक के हो चुके पदाधिकारियों को पद छोड़ना पड़ेगा.
करीब डेढ़ साल से सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बाद सोमवार को कोर्ट ने इस पर फ़ैसला सुनाया. पिछली सुनवाई में ही कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था और अपने तेवर भी साफ़ कर दिए थे. कोर्ट ने बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर पर अवमानना का मामला चलाने का नोटिस भी दिया है. गौरतलब है कि अगर परजूरी का मामला साबित हुआ तो अनुराग ठाकुर जेल भी जा सकते हैं.
नियुक्त होगी प्रशासकों की समिति
प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि बीसीसीआई की कार्यप्रणाली प्रशासकों की एक समिति देखेगी. कोर्ट ने एमिकल क्यूरी के रूप में कोर्ट की मदद कर रहे वरिष्ठ वकील फली एस नरीमन और गोपाल सुब्रमण्यम से प्रशासकों की इस समिति के लिए नाम तय करने में कोर्ट की मदद के लिए अनुरोध किया.
बेंच जिसमें प्रधान न्यायाधीश ठाकुर के अलावा जस्टिस एएम खानविलकर और डीवाय चंद्रचूड़ भी हैं, ने कहा नरीमन और सुब्रमण्यम यह कार्य दो सप्ताह में पूरा करेंगे. इसके बाद 19 जनवरी को प्रशासकों की समिति में शामिल किए जाने वाले नामों के संबंध में निर्देश के लिए सुनवाई होगी.
वरिष्ठतम वाइस प्रेसीडेंट देखेंगे कार्यभार
फैसले में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जब तक नए प्रशासक कार्यभार नहीं संभाल लेते, तब तक बोर्ड के वरिष्ठतम वाइस प्रेसीडेंट ही अध्यक्ष के रूप में कार्य करेंगे और वर्तमान संयुक्त सचिव अब सचिव का कार्यभार देखेंगे.
सुप्रीम कोर्ट की ओर से हटाए जाने के बाद बोर्ड सचिव अजय शिर्के ने NDTV से बात करते हुए इस पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. शिर्के ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट का आदेश है और उन्हें इस पर कुछ नहीं कहना. BCCI सचिव अजय शिर्के को भी सुप्रीम कोर्ट ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
बोर्ड के अड़ियल रुख से आई यह नौबत
वैसे ये नौबत इसलिए आई क्योंकि बोर्ड अपने रुख पर कायम रहा. बोर्ड के मुताबिक लोढ़ा कमेटी की ज़्यादा सिफारिशें मान ली गई हैं, लेकिन कुछ बातें व्यवहारिक नहीं है जिसको लेकर गतिरोध बना रहा. मसलन अधिकारियों की उम्र और कार्यकाल का मुद्दा, अधिकारियों के कूलिंग ऑफ़ पीरियड का मुद्दा और एक राज्य, एक वोट की सिफ़ारिश बोर्ड को मंज़ूर नहीं है.
पिछली सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को चेतावनी देते हुए कहा था कि झूठी गवाही के लिए उनको सजा क्यों न दी जाए? इस पर एमिक्स क्यूरी (न्याय मित्र) गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि ठाकुर के खिलाफ परजूरी का मामला बनता है. उन पर कोर्ट की अवमानना का केस चलाया जा सकता है अगर बिना शर्त माफ़ी ना मांगी तो उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है. अनुराग पर आरोप है कि उन्होंने कोर्ट से झूठ बोला और सुधार प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने की कोशिश की. हालांकि अनुराग ने इन आरोपों से इनकार किया था. पिछली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने BCCI में प्रशासक की नियुक्ति को लेकर और अनुराग ठाकुर पर परजूरी के मामले पर आदेश सुरक्षित रखा था.
यह था अनुराग-शशांक का मामला
दरअसल मामला कुछ यूं है कि जब शशांक मनोहर बीसीसीआई के अध्यक्ष थे तब उन्होंने कहा था कि बीसीसीआई में सीएजी का नामांकित अफसर सरकार का दखल माना जाएगा और इसके चलते बीसीसीआई, आईसीसी की सदस्यता को खो देगी. बाद में जब मनोहर आईसीसी के चेयरमैन बने तो इस संबंध में अनुराग ठाकुर ने उनसे एक पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था लेकिन मामला कोर्ट में विचाराधीन होने की बात कहते हुए मनोहर ने ऐसा करने से मना कर दिया.
इस पर अनुराग ने कोर्ट में आकर कहा कि उन्होंने इस आशय की चिट्ठी मांगी ही नहीं. ऐसे में गोपाल ने कहा कि ये दोनों बातें अलग-अलग हैं लिहाजा ठाकुर पर परजूरी का मामला बनता है.
जस्टिस आरएम लोढा पैनल ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर कहा था कि बीसीसीआई सुधार के लिए दी गई उसकी सिफारिशों को नहीं मान रहा है. इस रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी जाहिर करते हुए बीसीसीआई को फटकार लगाई थी. पैनल ने यह भी कहा था कि बीसीसीआई के शीर्ष पदाधिकारियों, यानी 'टॉप ब्रास' को हटा दिया जाए और क्रिकेट प्रशासक नियुक्त किए जाएं.
करीब डेढ़ साल से सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बाद सोमवार को कोर्ट ने इस पर फ़ैसला सुनाया. पिछली सुनवाई में ही कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था और अपने तेवर भी साफ़ कर दिए थे. कोर्ट ने बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर पर अवमानना का मामला चलाने का नोटिस भी दिया है. गौरतलब है कि अगर परजूरी का मामला साबित हुआ तो अनुराग ठाकुर जेल भी जा सकते हैं.
नियुक्त होगी प्रशासकों की समिति
प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि बीसीसीआई की कार्यप्रणाली प्रशासकों की एक समिति देखेगी. कोर्ट ने एमिकल क्यूरी के रूप में कोर्ट की मदद कर रहे वरिष्ठ वकील फली एस नरीमन और गोपाल सुब्रमण्यम से प्रशासकों की इस समिति के लिए नाम तय करने में कोर्ट की मदद के लिए अनुरोध किया.
बेंच जिसमें प्रधान न्यायाधीश ठाकुर के अलावा जस्टिस एएम खानविलकर और डीवाय चंद्रचूड़ भी हैं, ने कहा नरीमन और सुब्रमण्यम यह कार्य दो सप्ताह में पूरा करेंगे. इसके बाद 19 जनवरी को प्रशासकों की समिति में शामिल किए जाने वाले नामों के संबंध में निर्देश के लिए सुनवाई होगी.
वरिष्ठतम वाइस प्रेसीडेंट देखेंगे कार्यभार
फैसले में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जब तक नए प्रशासक कार्यभार नहीं संभाल लेते, तब तक बोर्ड के वरिष्ठतम वाइस प्रेसीडेंट ही अध्यक्ष के रूप में कार्य करेंगे और वर्तमान संयुक्त सचिव अब सचिव का कार्यभार देखेंगे.
सुप्रीम कोर्ट की ओर से हटाए जाने के बाद बोर्ड सचिव अजय शिर्के ने NDTV से बात करते हुए इस पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. शिर्के ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट का आदेश है और उन्हें इस पर कुछ नहीं कहना.
बोर्ड के अड़ियल रुख से आई यह नौबत
वैसे ये नौबत इसलिए आई क्योंकि बोर्ड अपने रुख पर कायम रहा. बोर्ड के मुताबिक लोढ़ा कमेटी की ज़्यादा सिफारिशें मान ली गई हैं, लेकिन कुछ बातें व्यवहारिक नहीं है जिसको लेकर गतिरोध बना रहा. मसलन अधिकारियों की उम्र और कार्यकाल का मुद्दा, अधिकारियों के कूलिंग ऑफ़ पीरियड का मुद्दा और एक राज्य, एक वोट की सिफ़ारिश बोर्ड को मंज़ूर नहीं है.
पिछली सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को चेतावनी देते हुए कहा था कि झूठी गवाही के लिए उनको सजा क्यों न दी जाए? इस पर एमिक्स क्यूरी (न्याय मित्र) गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि ठाकुर के खिलाफ परजूरी का मामला बनता है. उन पर कोर्ट की अवमानना का केस चलाया जा सकता है अगर बिना शर्त माफ़ी ना मांगी तो उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है. अनुराग पर आरोप है कि उन्होंने कोर्ट से झूठ बोला और सुधार प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने की कोशिश की. हालांकि अनुराग ने इन आरोपों से इनकार किया था. पिछली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने BCCI में प्रशासक की नियुक्ति को लेकर और अनुराग ठाकुर पर परजूरी के मामले पर आदेश सुरक्षित रखा था.
यह था अनुराग-शशांक का मामला
दरअसल मामला कुछ यूं है कि जब शशांक मनोहर बीसीसीआई के अध्यक्ष थे तब उन्होंने कहा था कि बीसीसीआई में सीएजी का नामांकित अफसर सरकार का दखल माना जाएगा और इसके चलते बीसीसीआई, आईसीसी की सदस्यता को खो देगी. बाद में जब मनोहर आईसीसी के चेयरमैन बने तो इस संबंध में अनुराग ठाकुर ने उनसे एक पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था लेकिन मामला कोर्ट में विचाराधीन होने की बात कहते हुए मनोहर ने ऐसा करने से मना कर दिया.
इस पर अनुराग ने कोर्ट में आकर कहा कि उन्होंने इस आशय की चिट्ठी मांगी ही नहीं. ऐसे में गोपाल ने कहा कि ये दोनों बातें अलग-अलग हैं लिहाजा ठाकुर पर परजूरी का मामला बनता है.
जस्टिस आरएम लोढा पैनल ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर कहा था कि बीसीसीआई सुधार के लिए दी गई उसकी सिफारिशों को नहीं मान रहा है. इस रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी जाहिर करते हुए बीसीसीआई को फटकार लगाई थी. पैनल ने यह भी कहा था कि बीसीसीआई के शीर्ष पदाधिकारियों, यानी 'टॉप ब्रास' को हटा दिया जाए और क्रिकेट प्रशासक नियुक्त किए जाएं.
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