मीरपुर:
भारतीय क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया के निराशाजनक दौरे से उबरने के बाद शुक्रवार को एशिया कप के लीग मैच में बांग्लादेश के खिलाफ इस विजयी लय को बरकरार रखने की कोशिश करेगी और साथ ही सचिन तेंदुलकर भी 100वें अंतरराष्ट्रीय शतक के दबाव को समाप्त करने के लिए बेताब होंगे।
ऑस्ट्रेलिया के तीन महीने से ज्यादा समय के हताशापूर्ण दौरे के बाद भारत को इस उप महाद्वीपीय टूर्नामेंट में जैसी शुरुआत की जरूरत थी, उसने श्रीलंका पर 50 रन की जीत से वैसी ही शुरुआत की। टीम के बल्लेबाजों का ऑस्ट्रेलियाई सरजमीं पर प्रदर्शन काफी लचर रहा, लेकिन वे परिचित उप महाद्वीपीय माहौल में काफी सहज दिखाई दिए और अपने गेंदबाजों के सहयोग के लिए काफी रन बटोरे, हालांकि उनके गेंदबाजों ने गैर मददगार पिच पर शुरू में कुछ रन गंवा दिए। लेकिन तेंदुलकर की समस्या खत्म नहीं हो रही है।
38 वर्षीय इस स्टार क्रिकेटर ने करीब सभी अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं, लेकिन वह पिछले एक साल से सैकड़ा नहीं जड़ सका है। तेंदुलकर की दृढ़ता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वह बुधवार को वैकल्पिक नेट सत्र में भी अभ्यास करने पहुंचे, जिसमें भारत की 15 सदस्यीय टीम के केवल तीन सदस्य ही शामिल थे। तेंदुलकर पिछली 33 पारियों में शतक नहीं लगा सके हैं, जो उनके सबसे लंबे सूखे स्पैल से केवल एक पारी कम है।
गौतम गंभीर और विराट कोहली ने ऑस्ट्रेलिया में अपनी शानदार एकदिवसीय फॉर्म को इस टूर्नामेंट तक जारी रखा है और दोनों ने श्रीलंका के खिलाफ अपने 10वें अंतरराष्ट्रीय शतक से इसे साबित भी किया। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को भी परिस्थितियों को समझने का मौका मिला, जिन्होंने श्रीलंका के खिलाफ निचले क्रम में उतरकर 46 रन की रोमांचक पारी खेली। सुरेश रैना भी लग रहा है कि यहां के बल्लेबाजों के मुफीद हालात में ऑस्ट्रेलिया की निराशा से उबर रहे हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि मनोज तिवारी को यहां खेलने का मौका मिलता है या नहीं जिन्हें ऑस्ट्रेलिया में एक भी वनडे में नहीं खिलाया गया था। गेंदबाजी में वापसी करने वाले तेज गेंदबाज इरफान पठान के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी हुई है, जिन्होंने श्रीलंका के खिलाफ चार विकेट चटकाए और यह भारत के लिए अच्छा संकेत है। लेकिन गेंदबाजी आक्रमण से मुख्य गेंदबाज की गैर मौजूदगी से गेंदबाजों को बल्लेबाजों पर भी निर्भर होना होगा कि वे बड़ा स्कोर बनाएं।
ऑस्ट्रेलिया के तीन महीने से ज्यादा समय के हताशापूर्ण दौरे के बाद भारत को इस उप महाद्वीपीय टूर्नामेंट में जैसी शुरुआत की जरूरत थी, उसने श्रीलंका पर 50 रन की जीत से वैसी ही शुरुआत की। टीम के बल्लेबाजों का ऑस्ट्रेलियाई सरजमीं पर प्रदर्शन काफी लचर रहा, लेकिन वे परिचित उप महाद्वीपीय माहौल में काफी सहज दिखाई दिए और अपने गेंदबाजों के सहयोग के लिए काफी रन बटोरे, हालांकि उनके गेंदबाजों ने गैर मददगार पिच पर शुरू में कुछ रन गंवा दिए। लेकिन तेंदुलकर की समस्या खत्म नहीं हो रही है।
38 वर्षीय इस स्टार क्रिकेटर ने करीब सभी अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं, लेकिन वह पिछले एक साल से सैकड़ा नहीं जड़ सका है। तेंदुलकर की दृढ़ता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वह बुधवार को वैकल्पिक नेट सत्र में भी अभ्यास करने पहुंचे, जिसमें भारत की 15 सदस्यीय टीम के केवल तीन सदस्य ही शामिल थे। तेंदुलकर पिछली 33 पारियों में शतक नहीं लगा सके हैं, जो उनके सबसे लंबे सूखे स्पैल से केवल एक पारी कम है।
गौतम गंभीर और विराट कोहली ने ऑस्ट्रेलिया में अपनी शानदार एकदिवसीय फॉर्म को इस टूर्नामेंट तक जारी रखा है और दोनों ने श्रीलंका के खिलाफ अपने 10वें अंतरराष्ट्रीय शतक से इसे साबित भी किया। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को भी परिस्थितियों को समझने का मौका मिला, जिन्होंने श्रीलंका के खिलाफ निचले क्रम में उतरकर 46 रन की रोमांचक पारी खेली। सुरेश रैना भी लग रहा है कि यहां के बल्लेबाजों के मुफीद हालात में ऑस्ट्रेलिया की निराशा से उबर रहे हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि मनोज तिवारी को यहां खेलने का मौका मिलता है या नहीं जिन्हें ऑस्ट्रेलिया में एक भी वनडे में नहीं खिलाया गया था। गेंदबाजी में वापसी करने वाले तेज गेंदबाज इरफान पठान के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी हुई है, जिन्होंने श्रीलंका के खिलाफ चार विकेट चटकाए और यह भारत के लिए अच्छा संकेत है। लेकिन गेंदबाजी आक्रमण से मुख्य गेंदबाज की गैर मौजूदगी से गेंदबाजों को बल्लेबाजों पर भी निर्भर होना होगा कि वे बड़ा स्कोर बनाएं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं