अजिंक्य रहाणे टेस्ट मैचों में लगातार अच्छा खेल रहे हैं (फोटो: AFP)
जमैका में भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेले जा रहे दूसरे टेस्ट में स्टायलिश बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे ने शतक (108*) जड़कर एक बार फिर विदेशी घरती पर खुद को साबित कर दिया. इतना ही नहीं उन्होंने एक ऐसा रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया, जो आज तक कोई भी बल्लेबाज नहीं बना पाया है. जमैका का तेज विकेट बल्लेबाजी के लिहाज से कतई आसान नहीं है, क्योंकि इसमें बाउंस भी है और स्विंग भी. रहाणे की इस पारी से टीम इंडिया ने मैच में काफी मजबूत पकड़ बना ली है. रहाणे का विंडीज के खिलाफ यह पहला टेस्ट शतक है. यदि रहाणे के अभी तक के टेस्ट रिकॉर्ड को देखा जाए, तो सही मायनों में वही 'रन मशीन' हैं... तभी तो चयनकर्ताओं ने उन्हें टीम का उपकप्तान भी बना दिया है.
रहाणे की निरंतरता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि पिछली 4 पारियों में यह उनका तीसरा शतक है. उन्होंने विंडीज के खिलाफ जो रिकॉर्ड बनाया है, वह अपने आप में बिरला है. रहाणे ने लगातार 8 सीरीज में टेस्ट मैचों की कम से कम एक पारी में हर बार 90 से अधिक का स्कोर किया है. एक और बात रहाणे ने अब तक टेस्ट में 7 शतक लगाए हैं, जिनमें से 5 विदेशी धरती पर हैं. उनके ये शतक ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के खिलाफ आए हैं. एक नजर उनके इस सफर पर-
निरंतरता का 'राज'
आप जानना चाहते हैं कि रहाणे की इस निरंतरता के पीछे क्या राज है. इसका खुलासा खुद रहाणे ने विंडीज के खिलाफ शतक बनाने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया. रहाणे ने कहा, 'यदि आप खेल के बेसिक्स का पूरा ध्यान रखते हैं, तो चीजें आसान हो जाती हैं. चाहे फिर विदेशी मैदान हो या भारत का, दो ही चीजें मायने रखती हैं- प्रक्रिया और उसकी तैयारी. मैं शतक बनाने के बारे में कभी नहीं सोचता. परिणाम अपने आप आते हैं. यदि मैं सही ढंग से तैयारी करूंगा, तो परिणाम तो बेहतर मिलेंगे ही. मैं इन छोटी-छोटी चीजों के बारे में ही सोचता हूं, जिनसे मुझे मदद मिलती है.'
ऐसे शुरू हुआ था रहाणे का सफर
अजिंक्य रहाणे का यह सफर 2013 में टीम इंडिया के दक्षिण अफ्रीका दौरे से शुरू हुआ था, जब उन्होंने डरबन में मिले मौके को भुनाते हुए 96 रन की बेहतरीन पारी खेली थी. इसके बाद उन्होंने फरवरी, 2014 में न्यूजीलैंड के खिलाफ बेसिन रिजर्व में शतक जड़कर अपने इस फॉर्म को जारी रखा. इन सबके बीच उनको पहचान दिलाई, हरे विकेट पर लार्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई 103 रन की पारी ने. इस पारी से उनकी तकनीकी क्षमता का पता चला और विशेषज्ञ उनके कसीदे पढ़ने लगे. रहाणे ने 2014 में ही ऑस्ट्रेलियाई धरती पर उसी के खिलाफ मेलबर्न में खेले गए बॉक्सिंग-डे टेस्ट मैच में 147 रन बनाकर सबको मोह लिया.
2015 में रहाणे बांग्लादेश के फातुल्ला में शतक से चूक गए और 98 पर आउट हो गए, लेकिन उन्होंने इसकी भरपाई श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो के पी सारा ओवल में शानदार लगाकर की. इस मैच में उनके बल्ले से 126 रन निकले. उन्होंने अपने 90 से अधिक स्कोर के सफर को जारी रखते हुए दिसंबर, 2015 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारतीय धरती पर दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में दोनों पारियों में शतक जड़ दिया और ऐसा करने वाले 5वें भारतीय होने का गौरव भी हासिल कर लिया. केवल 2015 में रहाणे का प्रदर्शन देखें तो उन्होंने 9 टेस्ट मैच खेले और उनमें 593 रन स्कोर किए, जिनमें उनका औसत 45.61 रहा और इसमें 3 शतकीय पारियां भी शामिल रहीं. अब भी उनका यह रिकॉर्डतोड़ सफर जारी है.
रहाणे की निरंतरता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि पिछली 4 पारियों में यह उनका तीसरा शतक है. उन्होंने विंडीज के खिलाफ जो रिकॉर्ड बनाया है, वह अपने आप में बिरला है. रहाणे ने लगातार 8 सीरीज में टेस्ट मैचों की कम से कम एक पारी में हर बार 90 से अधिक का स्कोर किया है. एक और बात रहाणे ने अब तक टेस्ट में 7 शतक लगाए हैं, जिनमें से 5 विदेशी धरती पर हैं. उनके ये शतक ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के खिलाफ आए हैं. एक नजर उनके इस सफर पर-
अजिंक्य रहाणे (फाइल फोटो)
निरंतरता का 'राज'
आप जानना चाहते हैं कि रहाणे की इस निरंतरता के पीछे क्या राज है. इसका खुलासा खुद रहाणे ने विंडीज के खिलाफ शतक बनाने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया. रहाणे ने कहा, 'यदि आप खेल के बेसिक्स का पूरा ध्यान रखते हैं, तो चीजें आसान हो जाती हैं. चाहे फिर विदेशी मैदान हो या भारत का, दो ही चीजें मायने रखती हैं- प्रक्रिया और उसकी तैयारी. मैं शतक बनाने के बारे में कभी नहीं सोचता. परिणाम अपने आप आते हैं. यदि मैं सही ढंग से तैयारी करूंगा, तो परिणाम तो बेहतर मिलेंगे ही. मैं इन छोटी-छोटी चीजों के बारे में ही सोचता हूं, जिनसे मुझे मदद मिलती है.'
ऐसे शुरू हुआ था रहाणे का सफर
अजिंक्य रहाणे का यह सफर 2013 में टीम इंडिया के दक्षिण अफ्रीका दौरे से शुरू हुआ था, जब उन्होंने डरबन में मिले मौके को भुनाते हुए 96 रन की बेहतरीन पारी खेली थी. इसके बाद उन्होंने फरवरी, 2014 में न्यूजीलैंड के खिलाफ बेसिन रिजर्व में शतक जड़कर अपने इस फॉर्म को जारी रखा. इन सबके बीच उनको पहचान दिलाई, हरे विकेट पर लार्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई 103 रन की पारी ने. इस पारी से उनकी तकनीकी क्षमता का पता चला और विशेषज्ञ उनके कसीदे पढ़ने लगे. रहाणे ने 2014 में ही ऑस्ट्रेलियाई धरती पर उसी के खिलाफ मेलबर्न में खेले गए बॉक्सिंग-डे टेस्ट मैच में 147 रन बनाकर सबको मोह लिया.
2015 में रहाणे बांग्लादेश के फातुल्ला में शतक से चूक गए और 98 पर आउट हो गए, लेकिन उन्होंने इसकी भरपाई श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो के पी सारा ओवल में शानदार लगाकर की. इस मैच में उनके बल्ले से 126 रन निकले. उन्होंने अपने 90 से अधिक स्कोर के सफर को जारी रखते हुए दिसंबर, 2015 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारतीय धरती पर दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में दोनों पारियों में शतक जड़ दिया और ऐसा करने वाले 5वें भारतीय होने का गौरव भी हासिल कर लिया. केवल 2015 में रहाणे का प्रदर्शन देखें तो उन्होंने 9 टेस्ट मैच खेले और उनमें 593 रन स्कोर किए, जिनमें उनका औसत 45.61 रहा और इसमें 3 शतकीय पारियां भी शामिल रहीं. अब भी उनका यह रिकॉर्डतोड़ सफर जारी है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं