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This Article is From Jul 14, 2020

अंपायर अनिल चौधरी की मेहनत रंग लाई, अब गांववासियों को पेड़ पर चढ़कर फोन से बात नहीं करनी पड़ती है

आईसीसी पैनल के अंपायर अनिल चौधरी (ICC Umpire Anil Chaudhary ) इस दौरान उत्तर प्रदेश के अपने गांव में ‘मोबाइल के सिग्नल’ लाने में जुटे रहे और आखिर में उनके प्रयास रंग लाये और अब गांववासियों को ‘पेड़ पर चढ़कर बात नहीं करनी पड़ती है.

अंपायर अनिल चौधरी की मेहनत रंग लाई, अब गांववासियों को पेड़ पर चढ़कर फोन से बात नहीं करनी पड़ती है
आईसीसी पैनल के अंपायर अनिल चौधरी की मेहनत रंग लाई

कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण क्रिकेट गतिविधियां ठप्प होने से चौके, छक्के, आउट के ‘सिग्नल' नहीं दे पाने वाले आईसीसी पैनल के अंपायर अनिल चौधरी (ICC Umpire Anil Chaudhary) इस दौरान उत्तर प्रदेश के अपने गांव में ‘मोबाइल के सिग्नल' लाने में जुटे रहे और आखिर में उनके प्रयास रंग लाये और अब गांववासियों को ‘पेड़ पर चढ़कर बात नहीं करनी पड़ती है. चौधरी लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश के शामली जिला स्थित अपने गांव डांगरोल में फंस गये थे जहां मोबाइल नेटवर्क न होने से वह किसी से भी संपर्क नहीं कर पा रहे थे. यहां तक कि वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) की कार्यशालाओं में भी भाग नहीं ले पाये थे. इसके बाद चौधरी ने गांव में नेटवर्क सुधारने का बीड़ा उठाया और अब जाकर उन्हें इसमें सफलता मिली है. चौधरी ने ‘भाषा' से कहा, ‘‘मैंने आईसीसी की कुछ कार्यशालाओं में भाग लिया लेकिन जब मैं गांव में था तब ऐसा नहीं कर पाया था.

मुझे इसके लिये दिल्ली जाना पड़ता था. ऐसे में मेरा एक पांव दिल्ली में तो दूसरा गांव में होता था. अब तक 20 वनडे और 28 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में अंपायरिंग कर चुके चौधरी की परेशानी पर ‘भाषा' से रिपोर्ट की थी जिसके बाद एक मोबाइल प्रदाता कंपनी ने उनसे संपर्क किया और पिछले कई वर्षों से नेटवर्क के लिये सरकारी कार्यालयों की खाक छानने वाले ग्रामीणों ने अब जाकर राहत की सांस ली.

चौधरी ने कहा, ‘‘मैं अब भी गांव में हूं लेकिन अब मुझे अपने पेशे से जुड़े किसी काम के लिये दिल्ली भागने की जरूरत नहीं है. मैं गांव से ही तमाम कार्यशालाओं में भाग ले सकता हूं. उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान परिदृश्य में यह ग्रामीणों और विशेषकर विद्यार्थियों को नेटवर्क की सख्त जरूरत थी और जब कई गांववाले मेरा आभार व्यक्त करने आये तो तब मुझे लगा कि गांववासियों के लिये वास्तव में यह बड़ी उपलब्धि है.

अब उन्हें फोन करने के लिये पेड़ नहीं चढ़ना पड़ता है. चौधरी को भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच एकदिवसीय मैचों में अंपायरिंग करनी थी लेकिन सीरीज बीच में ही रोक दिए जाने के कारण वह 16 मार्च को अपने गांव डांगरोल आ गए थे.इसके बाद उनकी परेशानियां शुरू हो गयी लेकिन उन्होंने यहीं से राष्ट्रीय राजधानी से लगभग 80 किलोमीटर दूर स्थित इस क्षेत्र को इस परेशानी से निजात दिलाने का संकल्प लिया था. जालंधर में एक निजी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत डा. सुभाष ने कहा कि अगर चौधरी इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाते तो यह समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती. उन्होंने कहा, ‘‘अंपायर साहब की मेहनत रंग लायी. अब मैं गांव से ही ऑनलाइन कक्षाएं ले पा रहा हूं,

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