ढाका:
एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) ने सोमवार को बांग्लादेश की उस अपील को ठुकरा दिया जिसमें उसने शिकायत की थी कि पाकिस्तानी तेज गेंदबाज एजाज चीमा ने जानबूझकर एशिया कप फाइनल के दौरान अंतिम ओवर में उनके बल्लेबाज महमूदुल्लाह रियाद का रास्ता रोका था।
पिछले हफ्ते मीरपुर में एशिया कप फाइनल में जीत के लिये 237 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए बांग्लादेशी टीम केवल दो रन से चूक गयी थी। उसे जीत के लिये अंतिम गेंद पर चार रन चाहिए थे। बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (बीसीबी) ने बाद में एसीसी से चीमा के खेल भावना के विपरीत व्यवहार को लेकर अपील की थी।
लेकिन इस शिकायत को खारिज कर दिया गया क्योंकि एसीसी ने दावा किया कि मैदानी अंपायर ने इस घटना की रिपोर्ट नहीं की। एसीसी के मुख्य कार्यकारी अशरफुल हक ने कहा, ‘हमें बांग्लादेश की शिकायत मिली है लेकिन क्योंकि मैदानी अंपायर ने इस घटना की रिपोर्ट नहीं की तो कुछ नहीं किया जा सकता।’
अशरफुल खुद बांग्लादेशी हैं और उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने भी इस शिकायत को ठुकरा दिया है।
अशरफुल ने कहा, ‘यह फाइनल में तभी वहीं हो सकता था, लेकिन अंपायरों और मैच रैफरी ने तब कोई कार्रवाई नहीं की इसलिये यह मामला यही पर खत्म होता है।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि बांग्लादेशी टीम पूरे टूर्नामेंट में अच्छा खेली जिसने विश्व कप 2011 की फाइनल में पहुंची टीमों भारत और श्रीलंका को हराया। यह कोई कम उपलब्धि नहीं है, हालांकि उन्हें फाइनल में हार का सामना करना पड़ा लेकिन बांग्लादेशी टीम ने लाखों दर्शकों का दिल जीत लिया।’
बीसीबी ने इससे पहले कहा था कि वह एसीसी से बांग्लादेशी टीम को पेनल्टी वाले पांच अंक देने और एशिया कप का परिणाम बदलने की अपील करेगी। आईसीसी नियमों के अनुसार अगर कोई खिलाड़ी अपने प्रतिद्वंद्वी टीम के खिलाड़ी को रन लेते हुए जानबूझकर रोकता है तो बल्लेबाजी करने वाली टीम को जुर्माने के पांच अंक दिये जायेंगे और अगर इस दौरान रन आउट हो जाता है तो यह रन आउट नहीं दिया जाएगा।
इस गेंद को भी नहीं गिना जायेगा लेकिन रन दिये जायेंगे, भले ही बल्लेबाजों ने एक दूसरे को क्रास किया हो या नहीं। लेकिन यह जानबूझकर किया गया है, इसका फैसला मैदानी अंपायर द्वारा ही किया जायेगा।
पिछले हफ्ते मीरपुर में एशिया कप फाइनल में जीत के लिये 237 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए बांग्लादेशी टीम केवल दो रन से चूक गयी थी। उसे जीत के लिये अंतिम गेंद पर चार रन चाहिए थे। बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (बीसीबी) ने बाद में एसीसी से चीमा के खेल भावना के विपरीत व्यवहार को लेकर अपील की थी।
लेकिन इस शिकायत को खारिज कर दिया गया क्योंकि एसीसी ने दावा किया कि मैदानी अंपायर ने इस घटना की रिपोर्ट नहीं की। एसीसी के मुख्य कार्यकारी अशरफुल हक ने कहा, ‘हमें बांग्लादेश की शिकायत मिली है लेकिन क्योंकि मैदानी अंपायर ने इस घटना की रिपोर्ट नहीं की तो कुछ नहीं किया जा सकता।’
अशरफुल खुद बांग्लादेशी हैं और उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने भी इस शिकायत को ठुकरा दिया है।
अशरफुल ने कहा, ‘यह फाइनल में तभी वहीं हो सकता था, लेकिन अंपायरों और मैच रैफरी ने तब कोई कार्रवाई नहीं की इसलिये यह मामला यही पर खत्म होता है।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि बांग्लादेशी टीम पूरे टूर्नामेंट में अच्छा खेली जिसने विश्व कप 2011 की फाइनल में पहुंची टीमों भारत और श्रीलंका को हराया। यह कोई कम उपलब्धि नहीं है, हालांकि उन्हें फाइनल में हार का सामना करना पड़ा लेकिन बांग्लादेशी टीम ने लाखों दर्शकों का दिल जीत लिया।’
बीसीबी ने इससे पहले कहा था कि वह एसीसी से बांग्लादेशी टीम को पेनल्टी वाले पांच अंक देने और एशिया कप का परिणाम बदलने की अपील करेगी। आईसीसी नियमों के अनुसार अगर कोई खिलाड़ी अपने प्रतिद्वंद्वी टीम के खिलाड़ी को रन लेते हुए जानबूझकर रोकता है तो बल्लेबाजी करने वाली टीम को जुर्माने के पांच अंक दिये जायेंगे और अगर इस दौरान रन आउट हो जाता है तो यह रन आउट नहीं दिया जाएगा।
इस गेंद को भी नहीं गिना जायेगा लेकिन रन दिये जायेंगे, भले ही बल्लेबाजों ने एक दूसरे को क्रास किया हो या नहीं। लेकिन यह जानबूझकर किया गया है, इसका फैसला मैदानी अंपायर द्वारा ही किया जायेगा।
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