दिल्ली में पानी की क्वालिटी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एजेंसियां पानी को लेकर एक-दूसरे पर आरोप ना लगाएं. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के पानी की गुणवत्ता की जांच हो और उपचारात्मक उपायों के लिए कदम उठाए जाएं. कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को दिल्ली जल बोर्ड (DJB) और भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के साथ काम करने और दिल्ली के पानी की गुणवत्ता पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. उन्हें उपायों के लिए योजना प्रस्तुत करने का निर्देश भी दिया है.
भारतीय मानक ब्यूरो ने पीठ को बताया कि उसने लैब टेस्ट किए थे और कुछ मापदंडों पर दिल्ली का पानी मानकों के अनुरूप नहीं है. कोर्ट ने कहा कि आपस में किसी को दोष न दें. हमें ब्लैक एंड व्हाइट में बताएं कि समस्या क्या है. हमें कारण भी बताएं, और क्या कदम उठाना है, ये भी बताएं.
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि हर शहर में ये हो रहा है कि पाइप के पानी के साथ सीवेज का पानी मिश्रित हो जाता है. पेयजल के पाइप पुराने होने की वजह से दिक्कत आती है. इसलिए पानी को ट्रीटमेंट कैसे दें, इस पर जवाब दिया जाए.
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अदालत ने कहा कि CPCB इस मामले में DJB और BIS पानी के नमूने एकत्र करे. इसका टेस्ट करे. इसके बाद इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक रिपोर्ट सौंपी जाए. अदालत ने इसके लिए 15 दिन का समय दिया है.
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