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This Article is From Dec 21, 2015

जानिए डीडीसीए भ्रष्टाचार मामले में अब तक क्या-क्या हुआ?

जानिए डीडीसीए भ्रष्टाचार मामले में अब तक क्या-क्या हुआ?
अरुण जेटली और कीर्ति आजाद।
नई दिल्ली: 15 दिसंबर को जब दिल्ली सचिवालय में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के पर्सनल सेक्रेटरी राजेन्द्र कुमार के दफ्तर में  सीबीआई ने छापा मारा तो लड़ाई सीधे-सीधे केंद्र सरकार बनाम दिल्ली सरकार हो गई। सबसे पहला रिएक्शन अरविन्द केजरीवाल की तरफ से आया। शुरुआत में तो उनका निशाना प्रधानमंत्री मोदी बने और उनके लिए उन्होंने असंसदीय भाषा का प्रयोग भी किया पर बाद में उनका हमला वित्त मंत्री अरुण जेटली पर केंद्रित हो गया।

केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा कि सीबीआई ने छापे के बहाने दिल्ली के मुख्यमंत्री के दफ्तर में पड़ी अरुण जेटली से जुड़ी डीडीसीए की फाइल को खंगाला है। केजरीवाल ने ट्वीट में कहा कि अरुण जेटली के खिलाफ करप्शन के आरोप इतने गंभीर हैं कि या तो उन्हें त्यागपत्र दे देना चाहिए या फिर उनको हटा देना चाहिए और उन पर जांच बैठा देनी चाहिए।

आप ने लगाए जेटली पर गंभीर आरोप
17 दिसंबर को आम आदमी पार्टी ने प्रेस कांफ्रेंस कर अरुण जेटली पर गंभीर आरोप लगाए। अरुण जेटली पर आरोप लगा कि उनकी अध्यक्षता में नया स्टेडियम बनाने में 24 करोड़ दिए गए थे, लेकिन इसमें 114 करोड़ खर्च किए गए। तो फिर 90 करोड़ कहां गए। अरुण जेटली ने अपने करीबियों को ठेके दिए और जिन कंपनियों ने डीडीसीए में कभी काम नहीं किया उनको भी भुगतान किया गया है।

मौलिक अधिकार में क्या झूठ बोलने की भी आजादी?
17 दिसंबर को ही अरुण जेटली ने फेसबुक पर अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर जवाबी हमला करते हुए लिखा कि बोलने की आजादी भले ही महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है, लेकिन उसमें क्या सिर्फ झूठ बोलने का अधिकार ही शामिल है? मैंने 2013 में क्रिकेट छोड़ दिया था। एसएफआईओ की रिपोर्ट में कहा गया कि अनियमितताएं हुईं, लेकिन वित्तीय धोखाधड़ी नहीं। जेटली ने माना कि पब्लिक सेक्टर कंपनी EPIL ने स्टेडियम का निर्माण 114 करोड़ में किया। जेटली ने आगे लिखा कि यूपीए सरकार ने जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम के नवीकरण में 900 करोड़ खर्च किए और ध्यानचंद स्टेडियम  के नवीनीकरण में 600 करोड़ खर्च हुआ।

18 दिसंबर को आम आदमी पार्टी ने प्रेस कांफ्रेंस कर अरुण जेटली से पांच सवाल किए :
  1. उन्होंने कहा कि जेटली ने  दावा किया था कि उनके ऊपर कोई व्यक्तिगत आरोप नहीं,  21 सेंचुरी कंपनी जिसने कॉर्पोरेट बॉक्सेस बनाए उसका अरुण जेटली से क्या सम्बन्ध है?
  2. क्या ओएनजीसी से हॉकी इंडिया को पैसे दिलाने से जेटली के परिवार के किसी सदस्य को फायदा पहुंचा है?
  3. कोटला स्टेडियम के लिए जारी 114 करोड़ रुपए में से आधी रकम यानी 57 करोड़ रुपए के ठेके जिन फर्जी  कंपनियों को दिए गए और उन कंपनियों से जेटली के क्या रिश्ते हैं?
  4. क्या 9 कंपनियां फर्जी थीं या नहीं, इन पर क्या कार्रवाई की गई?
  5. तथ्यों को क्यों छिपाया गया कि डीडीसीए में गड़बडियां छोटी नहीं बल्कि अपराधिक प्रवृति की थीं?

छह साल में जेटली की संपत्ति छह गुनी बढ़ी
19 दिसंबर को आम आदमी पार्टी ने प्रेस रिलीज जारी कर नए पांच सवालों की मिसाइल अरुण जेटली पर दागी। नए सवाल पुराने पांच सवालों की आगे की कड़ी थी। अरुण जेटली से पूछा गया कि 21 सेंचुरी कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर लोकेश शर्मा से उनका क्या रिश्ता है? सन 2006 में अरुण जेटली की घोषित सम्पत्ति 23.86 करोड़ थी। यह 2012 में छह गुना बढ़कर 120 करोड़ कैसे हो गई?

कीर्ति आजाद ने जेटली पर लगाए आरोप
20 दिसंबर को बीजेपी के संसद कीर्ति आजाद ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि डीडीसीए में करप्शन पर उन्होंने तब अध्यक्ष रहे जेटली को कई चिट्ठियां भेजीं और कई मैसेज किए, लेकिन अरुण जेटली से कोई जवाब नहीं मिला और उन्होंने विकीलीक्स फॉर इंडिया का एक स्टिंग दिखाया जिसमें दावा किया गया कि डीडीसीए ने कोटला स्टेडियम बनाने में फर्जी कंपनियों को टेंडर दिए गए और उन्हें करोड़ों रुपये पैमेंट भी किया गया। स्टिंग में दावा किया गया कि डीडीसीए ने किराये पर लैपटॉप, प्रिंटर जैसे सामान लिए और इसके लिए मोटी रकम अदा की गई।

मामला पहुंचा मानहानि के मुकदमे तक
आज अरुण जेटली अपने ऊपर हो रहे हमलों का जवाब देते हुए केजरीवाल समेत कुमार विश्वास, आशुतोष, संजय सिंह, राघव चड्ढा और दीपक बाजपेयी  के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर करने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट पहुंचे। इसके इलावा उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में भी मुकदमा फाइल किया है। हालांकि जेटली ने बीजेपी संसद कीर्ति आजाद पर केस दर्ज नहीं कराया है जिस पर कीर्ति आजाद ने कहा है कि उन पर भी केस होना चाहिए। उधर, अरविंद केजरीवाल ने भी डीडीसीए स्कैम पर इन्क्वरी कमीशन बनाने की घोषणा कर दी है।

स्टेडियम के नवीनीकरण में धांधली
अरुण जेटली 1999 से 2013 तक डीडीसीए के अध्यक्ष रहे। फिरोजशाह कोटला स्टेडियम का नवीनीकरण 2002 से 2007 के बीच हुआ। शुरुआत में खर्च का अनुमान 24 करोड़ था जो बाद में बढ़कर 114 करोड़ हो गया। अक्टूबर 2012 में जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी तब सीरियस फ्रॉड इनवेस्टिगेशन ऑफिस ने इस मामले की जांच करने के बाद एक रिपोर्ट तैयार की थी। उसमें माना गया था कि स्टेडियम के नवीनीकरण में गड़बड़ियां हुई थीं। डीडीसीए और हाई कोर्ट ने भी अपनी जांच में पाया कि पैसों के लेन-देन में भारी गड़बड़ियां हैं। 12 नवंबर को दिल्ली सरकार ने चेतन सांघी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति बनाई, जिसने 17 नवंबर को दिल्ली सरकार को रिपोर्ट पेश की जिसमें डीडीसीए के प्रबंधन में भारी गड़बड़ियों का जिक्र किया गया। 9 दिसंबर को एंटी करप्शन ब्यूरो ने चेतन सांघी के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दायर किया। आखिर में 15 दिसंबर को सीबीआई का दिल्ली सचिवालय में छापा जिसमें फिर से केंद्र और राज्य सरकार बीच चली आ रही जंग को और भड़का दिया है।

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