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This Article is From Dec 05, 2015

दर्द भरी जिंदगी से मुक्ति : इंदौर के चिड़ियाघर में 'सोनू' को मिली दया मृत्यु

दर्द भरी जिंदगी से मुक्ति : इंदौर के चिड़ियाघर में 'सोनू' को मिली दया मृत्यु
प्रतीकात्मक फोटो
इंदौर: मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित चिड़ियाघर में 'सोनू' नाम के भालू को आखिरकार दर्द भरी जिंदगी से मुक्ति मिल ही गई। वह दो साल से लकवाग्रस्त था। उसका काफी इलाज चला, लेकिन कोई दवा उस पर असर नहीं कर ही थी। शनिवार को उसे वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच जहरीला इंक्जेशन लगाकर सदा के लिए सुला दिया गया। पशु चिकित्सा जगत के विशेषज्ञों की मौजूदगी में 'सोनू' को मौत का इंक्जेशन लगाया गया। किसी भालू को दयामृत्यु दिए जाने का मध्यप्रदेश का यह पहला मामला है।

पिंजरे को मालाओं से सजाया
इंदौर के चिड़ियाघर का माहौल शनिवार को सुबह से ही गमगीन था। न तो हर रोज जैसी चहल-पहल थी और न ही किसी अन्य जानवर की उछल-कूद नजर आ रही थी, क्योंकि सोनू को मौत मिलने वाली थी। सुबह के समय सोनू के पिंजरे को फूल-मालाओं से सजाया गया। पास में महामृत्युंजय मंत्रों का जाप और गीता पाठ चलता रहा।

...और सदा के लिए सो गया सोनू
चिड़ियाघर के अधिकारी डॉ उत्तम यादव ने बताया कि सोनू को पहले बेहोशी का इंजेक्शन दिया गया। बेहोश हो जाने के बाद उसे पिंजरे से निकाला गया। ढाई साल से उसकी देखरेख कर रहे जीवन दास ने सोनू को आखिरी बार दूध और शहद खिलाया। इसके बाद जहर का इंजेक्शन ग्लूकोज की बोतल के जरिए उसकी नस में चढ़ाया गया। आधे घंटे बाद सोनू सदा के लिए सो गया। यह सारी प्रक्रिया वन्यप्राणी विशेषज्ञों की मौजूदगी में पूरी की गई।

विचलित कर देती थी कराह
सोनू की उम्र 33 वर्ष हो गई थी। लकवाग्रस्त होने के बाद से वह हिल-डुल तक नहीं पाता था। उसका वजन लगभग तीन सौ किलोग्राम हो चुका था। इतना ही नहीं, उसके शरीर पर जख्म (बेड सोल) होने लगे थे और उसकी कराह हर किसी को विचलित कर देती थी। जब उसकी तकलीफ बढ़ जाती थी तो वह कई दिनों तक खाना नहीं खा पाता था।

डॉ यादव ने बताया कि सोनू के कराहने की आवाज सबको विचलित कर देती थी। उसका विभिन्न पैथियों के जरिए उपचार किया गया, मगर हालत में कोई सुधार नहीं आया। आखिरकार केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को आवेदन देकर सोनू को दयामृत्यु दिए जाने का आग्रह किया गया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। अनुमति मिलने के बाद शनिवार को सोनू को दयामृत्यु दे दी गई। इस मौके पर मौजूद चिड़ियाघर के कर्मचारियों, अधिकारियों और घूमने आए बच्चों तक की आंखें नम हो आईं।

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