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This Article is From Oct 21, 2015

रवीश कुमार : सैय्यद अयान इमाम मुस्लिम नहीं सिर्फ खिलाड़ी है...

Reported By Ravish Kumar
  • चुनावी ब्लॉग,
  • Updated:
    अक्टूबर 21, 2015 08:00 am IST
    • Published On अक्टूबर 21, 2015 07:43 am IST
    • Last Updated On अक्टूबर 21, 2015 08:00 am IST
13 साल की हैं सैय्यद अयान इमाम। पटना के फुलवारी शरीफ की यह लड़की लड़कों के जैसा दिखना चाहती है और हर मामले में उनसे बेहतर करना चाहती है। मोहल्लेवालों को पसंद नहीं फिर भी उसके बाल लड़कों जैसे हैं। वैसे लड़कियां भी छोटे बाल रखती हैं, मगर पता नहीं कब और कैसे छोटे बाल को लड़कों जैसा बाल कहा जाने लगा। मुस्लिम बहुल मोहल्ले में 13 साल की उम्र में इतना सबकुछ झेलना कम नहीं है। लोगों ने अयान की मां से क्या-क्या नहीं कहा। हिजाब नहीं पहनती है, बाल छोटे हैं, लड़कों के जैसे कपड़े पहनती है, सलवार कुर्ता भी नहीं पहनती, लेकिन अयान उनके बीच से स्कूटी चलाते हुए, थोड़ा दायें-बायें नचाते हुए वॉलीबॉल के अभ्यास के लिए निकल पड़ती है।

स्कूटी चलाने की उम्र कम है और हेलमेट भी नहीं पहनती इतना चेताते ही वह चुप हो गई। वादा किया कि हेलमेट पहनेगी। उसे ये चेतावनी इसलिए दी कि इस लड़की को खतरनाक तरीके से स्टंट करने की आदत है। इसे ताकत से खेलना अच्छा लगता है। जब आप सैय्यद अयान इमाम को वॉलीबॉल के नेट पर अभ्यास करते देखेंगे तो उसके पहले ही स्मैश से पता चल जाएगा कि इसके भीतर सिर्फ एक खिलाड़ी बसता है। गेंद को सही वक्त और दिशा में मार देना उसका एकमात्र मक़सद है। अयान के कोच सोनू कहते हैं कि स्मैश अच्छा मारती है। अटैक करने में माहिर है। हर पोज़िशन से खेलती है।
 


अयान पटना ज़िला शेरपुर की महिला वॉलीबॉल टीम की एक मात्र मुस्लिम खिलाड़ी है। अंडर- 19 की टीम में सारी खिलाड़ी उससे बड़ी हैं, जिन्हें अयान दीदी कहती है। पिछले साल अयान की टीम अपने वर्ग में चैंपियन हो गई थी। कोच ने बताया कि अगर वह सही तरीके से खेलती रहे तो बिहार टीम के लिए भी चुनी जा सकती है। टीम का नाम पटना ज़िला शेरपुर इसलिए है क्योंकि शेरपुर एक गांव का नाम है, जहां की लड़कियां बिहार वॉलीबॉल टीम में दबदबा रखती हैं। कप्तान ममता बिहार की स्टार खिलाड़ी हैं।

मोकामा के पास के इस गांव ने लड़कियों को खिलाड़ी में बदल दिया है। वहां के कई घरों में लड़कियां वॉलीबॉल खेलती हैं। कोच ने कहा कि अच्छे पढ़े-लिखे शहरी घरों की लड़कियां नहीं आती हैं। ज्यादातर वॉलीबॉल खेलने वाली ग्रामीण इलाक़ों और गरीब घरों की हैं। कोच की बात सही है। अमीर सिर्फ विलास करता है। मीडिया के माध्यमों पर कब्जा है इसलिए घर बैठे जनमत बनाते रहता है। अमीरों को इस बदलाव से कुछ लेना-देना नहीं। पटना का सम्पन्न तबक़ा इस बात को लेकर रोता मिलेगा कि सेवन स्टार होटल एक भी नहीं है। गांव की गरीब लड़की शायद यह सोच रही है कि वो वॉलीबॉल का नेशनल कब खेलेगी।
 


अयान का बॉलीवॉल खेलना और रोज़ बिहार मिलिट्री पुलिस के मर्द जवानों के साथ अकेले अभ्यास करना कम बड़ी बात नहीं है। वो जहां रहती है मुस्लिम आबादी से भरा समाज है। इस उम्र में ये लड़की अपने समाज की सोच से लोहा ले रही है। अपने तरीके से अपने रास्ते चल रही है। उसके चेहरे से इस खेल में कुछ करने का जज़्बा छलकता है। मैं उसे एक लड़की, एक मुस्लिम लड़की के रूप में देख रहा था, वो ख़ुद को सिर्फ एक खिलाड़ी के रूप में देख रही थी। मुझे लगा कि मैं वहीं का वहीं ठहरा हुआ हूं और अयान आगे निकल गई है।

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