जैसे-जैसे बिहार चुनाव के वोटिंग का पहला दौर नजदीक आ रहा है, न्यूज़ चैनलों के ओपिनियन पोल के नतीजे बदलते जा रहे हैं। शुरुआत में महागठबंधन को ज्यादा सीट देने वाले सर्वे अब एनडीए को विजयी बताने लगे हैं। अगर उन सर्वे में कुछ नहीं बदला है तो वह है मुख्यमंत्री पद के लिए बिहार की जनता की पसंद। नीतीश कुमार पहले हुए सर्वे में भी बिहार की जनता की पहली पसंद थे और अब भी वही हैं। ऐसा क्या है कि 10 साल बाद भी उनके खिलाफ कोई लहर नहीं है ?
सन 2005 में नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। तभी से उन्होंने बिहार के चार मुख्य वर्गों- महिलाओं, अति पिछड़ा वर्ग, महा दलित और अल्पसंख्यकों से जुड़ी समस्याओं की तरफ ध्यान दिया और समय-समय पर उनको सशक्त बनाने के लिए कदम उठाए।
नीतीश कुमार की लोकप्रियता के प्रमुख कारण
1. सन 2006 में पंचायत और स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित कीं।
2. नीतीश सरकार उन महादलित परिवारों को प्लाट बांट रही है जिनकी मुखिया महिलाएं हैं। 2009-10 में शुरू की गई एक योजना के तहत आवास के लिए प्लाट देने के लिए 2.46 लाख भूमिहीन महादलित परिवारों की पहचान की गई। 2013-14 तक 2.21 लाख परिवारों को प्लाट वितरित किए जा चुके हैं।
3. नीतीश कुमार सरकार ने लड़कियों के स्कूल छोड़ने के कारणों की तरफ ध्यान दिया और कई योजनाएं शुरू कीं। इनमें विवाहित महिलाओं के लिए अक्षर आंचल योजना, मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना, मुख्यमंत्री पोशाक योजना, मुख्यमंत्री बालिका प्रोत्साहन योजना आदि शामिल हैं। सन 2006 से बिहार में नौवीं और दसवीं की छात्राओं को मुफ्त साइकिल दी जा रही हैं, मुफ्त यूनिफार्म भी दिए जा रहे हैं। सन 2014 से छात्राओं को स्कूल में मुफ्त सेनेटरी नैपकिन दिए जा रहे हैं। इसका फायदा बिहार की तकरीबन 40 लाख छात्राओं को मिल रहा है।
4. मुसलमान, अति पिछड़े वर्ग और दलित महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वाबलंबी बनाने के लिए पहले 2008 में हुनर योजना और फिर 2009 में औजार योजना की शुरुआत की गई। हुनर योजना में महिलाओं को एक साल की ट्रेनिंग दी जाती है और औजार योजना में उनको 2500 रुपये अपने खुद के औजार खरीदने के लिए मिलते हैं।
5. बिहार शायद देश का पहला राज्य है जहां गृह विभाग के अधीन एक स्वतंत्र अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय है। सभी 38 जिलों में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी तैनात किए गए हैं। इससे अब तक अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के कार्यान्वयन में सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक शिक्षा ऋण योजना के तहत 4% ब्याज की साधारण दर से अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक और आर्थिक उत्थान के लिए ऋण उपलब्ध कराया जाता है।
6. सन 2013 में बिहार पुलिस में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गईं। ऐसा करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बना।
7. आधिकारिक तौर पर अति पिछड़े वर्ग और महा दलितों की विशेष श्रेणियां बनाई गईं।
8. सन 2006 में अति पिछड़े वर्ग के लिए पंचायतों में 20 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गईं।
9. इस साल 3.5 लाख कॉन्ट्रैक्ट पर रखे गए शिक्षकों को नियमित तनख्वाह देने की घोषणा की।
10. इस साल 15 लाख तक के सरकारी ठेकों में दलित, ओबीसी और अति पिछड़े वर्ग के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की।
11. बिहार में कानून व्यवस्था में सुधार हुआ है। नीतीश कुमार के कार्यकाल में नेताओं और सांसदों सहित 75,000 अपराधी विभिन्न अपराधों के लिए न सिर्फ दोषी ठहराया गया हैं बल्कि दंडित भी किए गए हैं। सन 2005 तक अपहरण और फिरौती उद्योग की बिहार में एक समानांतर अर्थव्यवस्था चल रही थी।
12. बिहार में बड़े पैमाने पर सड़कों और पुलों के निर्माण पर ध्यान दिया गया।
अगर किसी सरकार ने समाज के इतने बड़े वर्ग की समस्याओं को ध्यान में रखकर न सिर्फ कई योजनाओं की शुरुआत की बल्कि उनको सुचारू रूप से कार्यान्वित भी किया हो तो कहीं भी शक की गुंजाइश नहीं रहती कि उसकी लोकप्रियता दीर्घकाल तक बरकरार रहेगी। अगर नीतीश कुमार दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन पाते हैं तो भी नई सरकार के लिए नीतीश द्वारा स्थापित किए गए पैमाने को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती जरूर होगा।
This Article is From Oct 08, 2015
मनीष शर्मा की नज़र से: आखिर क्यों हैं नीतीश सबकी पहली पसंद ?
Manish Sharma
- चुनावी ब्लॉग,
-
Updated:अक्टूबर 08, 2015 22:03 pm IST
-
Published On अक्टूबर 08, 2015 21:54 pm IST
-
Last Updated On अक्टूबर 08, 2015 22:03 pm IST
-
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
नीतीश कुमार, बिहार विधानसभा चुनाव 2015, मुख्यमंत्री, बिहार राजनीति, लोकप्रियता, ओपिनियन पोल, Nitish Kumar, Bihar CM, Bihar Assembly Polls 2015, Bihar Politics