मुज़फ़्फ़रपुर में राजवाड़ा के पोलिंग बूथ से कुछ दूर रे-बैन का चश्मा लगाए एक बुज़ुर्ग काफी देर से मुझे देख रहे थे। उनकी झिझक समझते हुए मैं खुद ही उनके पास गया। फिर बातों का सिलसिला ऐसा शुरू हुआ कि थमा ही नहीं।
बताया कि नाम एस.के. श्रीवास्तव है। रिटायर हो चुके हैं। अपनी जमीन बोरवैल के लिए सरकार को दी ताकि गांव वालों को पानी मिल सके। कई साल हो गए मगर अभी तक वहां कुछ नहीं हुआ। उनसे बातचीत चलती रही, लोग जुड़ते गए और अपनी-अपनी बात कहते गए। सबकी शिकायत बिजली को लेकर है। गांव में कुछ घंटों के लिए ही बिजली आती है। कब आती है कब जाती है सब भगवान भरोसे है। बोलते हैं जब तक बिजली नहीं आती बिहार में न तो उद्योग धंधे लगेंगे न ही लोगों को रोजगार मिलेगा।
फिर बातचीत जातिगत समीकरणों की ओर मुड़ जाती है। श्रीवास्तवजी दावा करते हैं कि अगड़ी जातियां मज़बूती से बीजेपी के साथ हैं। फिर गिनाने लगते हैं ब्राह्मण, कायस्थ, राजपूत और भूमिहार के अलावा बनियों की आठ जातियां भी बीजेपी के साथ हैं। कुशवाहा और वाल्मीकि वोट बंटा है। दुसाध, मुशहर पूरी तरह से जुड़ा है। अति पिछड़ों के वोट भी महागठबंधन और एनडीए के बीच बंटे हैं मगर बड़ा हिस्सा एनडीए को जा रहा है।
वो कहते हैं कि उधर मुस्लिम और यादव पूरी तरह से लालू प्रसाद के साथ हैं। मगर जहां जेडीयू या कांग्रेस उम्मीदवार हैं, यादव वोट दस-बीस फ़ीसदी तक बंट रहा है। यादवों का युवा मोदी-मोदी चिल्ला रहा है।
उनका कहना साफ है। महागठबंधन का यादव-मुस्लिम वोट एनडीए के अगड़े-दलित महादलित-वैश्य वोट को बराबर कर देता है और अति पिछड़ी जातियों का समर्थन एनडीए को दो-तिहाई बहुमत की ओर ले जाता है। उम्मीदवारों की भूमिका कहीं पृष्ठभूमि में चली गई है। बात सिर्फ लालू और मोदी की है। बातचीत में नीतीश का ज़िक्र कभी-कभार ही आता है।
जीवन के सत्तर बसंत देख चुके श्रीवास्तवजी पास बैठे पासवान समाज के एक व्यक्ति से खैनी बनाने को कहते हैं। मुंह में खैनी दबा कर कहते हैं बीजेपी सत्ता में आई तो सीएम बनने लायक पहले से दसवें नंबर तक केवल एक ही नेता है- सुशील मोदी।
वो कहते हैं चौथे चरण में हुआ ज़बरदस्त मतदान बीजेपी की लहर की ओर इशारा कर रहा है। उनका मानना है कि पहले तीन चरण में कड़ा मुक़ाबला हुआ और चौथे ने बीजेपी को निर्णायक बढ़त दे दी। पांचवे के बारे में वो कहते हैं कि ओवैसी दो सीट जीत रहे हैं और बाकी पर मुस्लिम वोट काटेंगे, जिससे बीजेपी को फायदा होगा। उनकी उम्मीदें पप्पू यादव पर भी टिकी हैं। दावा कर रहे हैं कि वो यादव वोटों में सेंध लगा रहे हैं। श्रीवास्तवजी का साफ मानना है कि अगर बीजेपी की सरकार बनती है तो इसमें लालू विरोधी भावना की बड़ी भूमिका होगी।
तभी एक व्यक्ति तेज़ी से साइकल से आता है। उसकी खबर है कि नज़दीक के पोलिंग बूथ पर आठ सौ में से करीब छह सौ वोट लालटेन को गए हैं। वहां यादव-मुस्लिमों के साथ कुशवाहा, नोनिया और मल्लाहों के कुछ वोट भी महागठबंधन को गए। ये सुनकर श्रीवास्तवजी के मुंह का ज़ायक़ा ख़राब हो जाता है। कुछ देर इधर-उधर की बात करने के बाद आज के दैनिक जागरण में छपी सट्टा बाजार की खबर का हवाला देने लगते हैं। बोलते हैं इसमें एनडीए को 140 सीटों की बात है।
बोलते हैं- सट्टा बाजार तो पैसों का खेल है, वो तो गलत नहीं हो सकता। ये कहकर आशा भरी नज़रों से मेरी ओर देखते हैं इस उम्मीद में कि मैं उनकी बात का समर्थन करूंगा। मेरी नज़रें उनके चेहरे से भटक कर नज़दीक की चाय की दुकान पर चली जाती है। कोयले में फूंक देकर चाय बनाने की कोशिश करने में लगा वो चायवाला अपने लड़के को आवाज़ लगा रहा है। ये कहने के लिए कि चार्ज के लिए धूप में रखे सोलर लैंप को थोड़ा खिसका दे क्योंकि वहां छाया होने लगी है।
इस बीच पास की चमाचम सड़क से विदेशी पर्यटकों से भरी मर्सिडीज़ बेंज़ की लक्ज़री बस धूल उड़ाती हुई चली जाती है। मैं श्रीवास्तवजी से ये कहते हुए विदा लेता हूं कि उनकी बात सही है या गलत, इसका पता तो अब आठ तारीख़ को ही चलेगा।
This Article is From Nov 01, 2015
अखिलेश शर्मा : क्या बदलाव की ओर बढ़ रहा है बिहार?
Akhilesh Sharma
- चुनावी ब्लॉग,
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Updated:नवंबर 01, 2015 20:32 pm IST
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Published On नवंबर 01, 2015 20:26 pm IST
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Last Updated On नवंबर 01, 2015 20:32 pm IST
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