खाद्य वस्तुओं खासकर सब्जियों और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के कारण थोक मुद्रास्फीति मई में लगातार तीसरे महीने बढ़कर 2.61 प्रतिशत हो गई.होलसेल प्राइस इंडेक्स (Wholesale Price Index) यानी डब्ल्यूपीआई (WPI) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 1.26 प्रतिशत थी. मई 2023 में यह शून्य से नीचे 3.61 प्रतिशत रही थी.
महंगाई बढ़ने के पीछे की मुख्य वजह
खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति मई में 9.82 प्रतिशत बढ़ी
आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति मई में 9.82 प्रतिशत बढ़ी, जबकि अप्रैल में यह 7.74 प्रतिशत थी.मई में सब्जियों की महंगाई दर 32.42 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में 23.60 प्रतिशत थी. प्याज की महंगाई दर 58.05 प्रतिशत, जबकि आलू की महंगाई दर 64.05 प्रतिशत रही. दालों की महंगाई दर मई में 21.95 प्रतिशत रही.
ईंधन एवं बिजली क्षेत्र में मुद्रास्फीति 1.35 प्रतिशत रही, जो अप्रैल के 1.38 प्रतिशत से मामूली कम है. विनिर्मित उत्पादों में मुद्रास्फीति 0.78 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में शून्य से नीचे 0.42 प्रतिशत थी.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है. आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में लगातार आठवीं बार ब्याज दर को यथावत रखने का फैसला किया था.
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