
भारत का अल्ट्रा-लग्जरी होम मार्केट तेजी से बढ़ रहा है और पिछले तीन वर्षों में 100 करोड़ रुपये या इससे अधिक कीमत के 49 घर 7,500 करोड़ रुपये में बिके. यह जानकारी शनिवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई.भारत के तेजी से बढ़ते लग्जरी रियल एस्टेट मार्केट के प्रमाण के रूप में अल्ट्रा-लग्जरी आवासीय बिक्री में तेज उछाल आया है. अब बंगलों की तुलना में अपार्टमेंट अल्ट्रा-लग्जरी सेगमेंट पर हावी हो गए हैं.
जेएलएल की रिपोर्ट के अनुसार, इस गति में कमी आने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं, क्योंकि 2025 के पहले दो महीनों में पहले ही चार अल्ट्रा-लग्जरी घरों की बिक्री हो चुकी है, जिनकी कुल कीमत 850 करोड़ रुपये है.
अपार्टमेंट की 65% और बंगलों की 35% हिस्सेदारी
जेएलएल के मुख्य अर्थशास्त्री और अनुसंधान प्रमुख तथा आरईआईएस भारत, डॉ. सामंतक दास ने कहा, "हमारे विश्लेषण के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में कुल सौदों में 100 करोड़ रुपये और उससे अधिक कीमत वाले अपार्टमेंट की 65 प्रतिशत और बंगलों की हिस्सेदारी शेष 35 प्रतिशत थी."
प्रीमियम हाउसिंग प्रॉपर्टीज की लगातार बढ़ रही मांग
सामंतक दास ने बताया कि हालांकि, इस मूल्य सीमा से ऊपर भी कुछ संपत्तियों का लेन-देन हुआ और उनकी कीमत 200-500 करोड़ रुपये के बीच थी. हालांकि, कई भारतीय शहरों में प्रीमियम हाउसिंग प्रॉपर्टीज की मांग लगातार बढ़ रही है, लेकिन इन विशेष संपत्तियों के लिए उपयुक्त घर खरीदार प्रोफाइल की बात करें तो मुंबई और दिल्ली-एनसीआर सबसे आगे हैं.
तीन वर्षों में बेचे गए 49 घरों में मुंबई का 69% का योगदान
पिछले तीन वर्षों में बेचे गए इन 49 घरों में से मुंबई में 69 प्रतिशत हिस्सा था, जिसके बाद दिल्ली एनसीआर का स्थान था. मुंबई में, मालाबार हिल और वर्ली में इन लेन-देन का बड़ा हिस्सा हावी था. दिल्ली-एनसीआर में, ऐसे सौदे केवल लुटियंस बंगला जोन (एलबीजेड) तक ही सीमित नहीं थे.शिव कृष्णन ने कहा कि गुरुग्राम में गोल्फ कोर्स रोड पर कई हाई-राइज अपार्टमेंट सौदे भी दर्ज किए गए.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले तीन वर्षों में 100 करोड़ रुपये और उससे अधिक मूल्य वर्ग में बेचे गए सभी अपार्टमेंट में से अधिकांश 10,000-16,000 वर्ग फुट (सुपर बिल्ट-अप एरिया) के आकार की रेंज में थे.
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