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दूसरी तिमाही में जीडीपी दर में कमी अस्थायी, आगे तेजी से बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था : सीतारमण

सीतारमण ने कहा कि पिछले तीन साल की औसत जीडीपी दर 8.3 प्रतिशत को देखें तो इससे दुनिया के कई देशों की जीडीपी की तुलना नहीं की जा सकती और भारत की वृद्धि दर वैश्विक मानकों पर उत्कृष्ट रही है.

दूसरी तिमाही में जीडीपी दर में कमी अस्थायी, आगे तेजी से बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था : सीतारमण
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण.
नई दिल्ली:

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की 5.4 प्रतिशत की वृद्धि दर को अपेक्षा के अनुरूप नहीं बताते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि अर्थव्यवस्था में यह अस्थायी स्थिति है और आने वाली तिमाहियों में अर्थव्यवस्था बेहतर रफ्तार से बढ़ेगी. सीतारमण ने लोकसभा में वर्ष 2024-25 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों के प्रथम बैच पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा, ‘‘पिछले तीन साल में देश की औसत जीडीपी दर 8.3 प्रतिशत रही और केवल दो तिमाहियों में यह 5.4 प्रतिशत रही है.''

उन्होंने वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही की जीडीपी वृद्धि दर को अपेक्षा से कम बताते हुए कहा कि जिस साल भी लोकसभा चुनाव होते हैं, तो संसाधन और जमीनी खर्च अधिक होते हैं और इसके बाद वृद्धि दर भी बढ़ती है. वित्त मंत्री ने कहा कि इस साल की दूसरी तिमारी भारत और दुनिया के कई देशों के लिए चुनौतीपूर्ण रही है.

सीतारमण ने कहा, ‘‘सरकार का मानना है कि दूसरी तिमाई में जीडीपी दर का यह स्तर अस्थायी है और अगली तिमाही में अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार से बढ़ेगी.'

वित्त मंत्री के जवाब के बाद सदन ने 87,762.56 करोड़ रुपये के सकल अतिरिक्त व्यय के लिए 2024-25 की अनुदान की अनुपूरक मांगों के प्रथम बैच और उससे संबंधित विनियोग (संख्याक-3) विधेयक, 2024 को ध्वनिमत से पारित कर दिया.

सीतारमण ने कहा कि पिछले तीन साल की औसत जीडीपी दर 8.3 प्रतिशत को देखें तो इससे दुनिया के कई देशों की जीडीपी की तुलना नहीं की जा सकती और भारत की वृद्धि दर वैश्विक मानकों पर उत्कृष्ट रही है. उन्होंने कहा कि भारत तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है जिसमें जनता के योगदान और सरकार की नीतियों के दो पहिये मिलकर इसे चला रहे हैं.

उन्होंने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए 15.02 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय क्षेत्रीय संपर्क, डिजिटल ढांचे, अवसंरचना आदि क्षेत्रों में कर रही है जो भारत के इतिहास में सबसे अधिक है. उन्होंने कहा कि 23 विनिर्माण क्षेत्रों में से औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के मामले में लगभग आधे मजबूत हैं. सीतारमण ने कहा, ‘‘मैं अर्थव्यवस्था के आगे बढ़ने को लेकर बहुत आशावादी हूं.''

उन्होंने चर्चा में कुछ सदस्यों के मुद्रास्फीति बढ़ने के दावों को खारिज करते हुए कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति कम हुई है जो कोविड के बाद सबसे कम स्तर पर है.

उन्होंने कहा, ‘‘हम खाद्य मुद्रास्फीति के बेहतर प्रबंधन के लिए प्रतिबद्ध हैं जिसके लिए मौसम भी एक कारक है.''

वित्त मंत्री ने कहा कि देश में सब्सिडी वाली दर पर विशेष दुकानों से भारत ब्रांड आटा और दाल समेत अन्य खाद्य उत्पाद सस्ते दाम पर खरीदे जा सकते हैं जहां दाल 60 रुपये प्रति किलोग्राम, आटा 30 रुपये प्रति किलोग्राम और चावल 34 रुपये प्रति किलोग्राम मिल रहे हैं.

उन्होंने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति के पिछले 25 साल के तरीके को देखें तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकारों में यह नियंत्रित रही है जबकि गैर-राजग या संयुक्त प्रगतिशील (संप्रग) की सरकार में यह दहाई अंक में पहुंच गई थी.

उन्होंने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति में भी यही तरीका देखा जा सकता है, वहीं ईंधन मुद्रास्फीति संप्रग-दो की सरकार में 8.9 प्रतिशत से घटकर 2014-2024 में 4.4 प्रतिशत हो गई.

सीतारमण ने दावा किया कि भारत के पड़ोसी देशों नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश में जहां एलपीजी सिलेंडर के दाम 1,000 रुपये अधिक हैं, वहीं देश में उज्ज्वला लाभार्थियों के लिए एक रसोई सिलेंडर का मूल्य 503 रुपये तथा गैर-उज्जवला उपभोक्ताओं के लिए (दिल्ली में) इसका प्रभावी दाम 803 रुपये है.

बेरोजगारी पर विपक्षी सदस्यों की चिंताओं को खारिज करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के पेरोल के आंकड़ों के अनुसार इस साल पहली छमाही में ईपीएफओ अंशधारकों की संख्या 91.9 लाख बढ़ी है जिसमें दो-तिहाई 18 से 28 वर्ष की उम्र वाले हैं.

पश्चिम बंगाल को मनरेगा और पीएम आवास-ग्रामीण योजना के लिए लंबित धन केंद्र की ओर से नहीं दिए जाने के तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के आरोपों पर वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य में मनरेगा के धन के दुरुपयोग की बात साबित हो गई है.

उन्होंने कहा कि राज्य में मनरेगा में भ्रष्टाचार रुक जाएगा तो उसका पूरा धन दे दिया जाएगा.

उन्होंने काले धन पर रोक लगाने के लिए भी सरकार के अनेक कदम गिनाए और कहा कि 120 मामलों में कार्रवाई की गई है तथा 33,393 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति का पता चला है.

उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय पर कई तरह के आरोप लगते हैं, लेकिन उसने बड़े मामलो में 22,280 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है.

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