Google 26th Birth Anniversary: एक समय था जब इंटरनेट पर कुछ ढूंढना बेहद मुश्किल था. फिर एक ऐसा जादुई टूल बना, जिसने हमारी जिंदगी बदल दी.वेब ब्राउजिंग की बात हो या कुछ सर्च करने की... हम इंटरनेट ओपन करते हैं तो सबसे पहला नाम हमें जो याद आता है, वह है ‘गूगल'.... ब्राउज़िंग, डाउनलोडिंग से लेकर सर्च इंजन तक इंटरनेट के ज्यादातर कामों के लिए हम गूगल या गूगल से जुड़ी टूल्स पर बहुत हद तक निर्भर हैं. हम और आप में से अधिकांश लोग गूगल का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कभी सोचा है कि आप रोज़ जिस गूगल का इस्तेमाल करते हैं, दरअसल उसकी शुरुआत एक गलती से हुई थी. जी हाँ, आपने सही सुना है.
यहां हम आपको गूगल की कहानी बताएंगे, जिसमें हम जानेंगे कि गूगल की शुरुआत कैसे हुई थी? कैसे एक छोटी सी गलती की वजह से इस सर्च इंजन का नाम गूगल पड़ा? और यह कैसे दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन बना गया.
लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन तैयार किया सर्च इंजन
दरअसल, सर्च इंजन गूगल मशहूर अमेरिकी टेक्नोक्रेट लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन के दिमाग की उपज थी. यह दोनों अमेरिका के स्टैंड फोर्ड यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर साइंस विभाग में एक साथ काम करते थे. दोनों वर्ल्ड वाइड वेब को लोगों के लिए समान और आसान बनाने की कोशिश कर रहे थे. इसी क्रम में इन दोनों ने 7 सितंबर 1998 को गूगल आईएनसी की स्थापना की. दोनों ने गूगल डॉट स्टैनफोर्ड डॉट ईडीयू इंटरनेट पर सर्च इंजन तैयार किया.
इसके बाद 7 सितंबर को गूगल का जन्मदिन मनाया जाने लगा. बाद में इसे 8 सितंबर और फिर 26 सितंबर को कर दिया गया. इसके कई सालों बाद कंपनी ने इसका जन्मदिन 27 सितंबर को ऑफिशियली मनाने की घोषणा की. इसके पीछे की वजह यह थी कि गूगल ने इसी दिन अपने सर्च इंजन पेज सर्च नंबर का नया रिकॉर्ड बनाया था.
मतलब 1,2,3,4 आदि जैसे पेज हमें गूगल पेज के सबसे नीचे को देखने मिलते हैं, उसके इस्तेमाल का सबसे बड़ा रिकॉर्ड कंपनी ने इसी दिन बनाया था. इसी वजह से गूगल ने अपना जन्मदिन मनाने की ऑफिशियल तारीख को 27 सितंबर कर दी.
अल्फाबेट इंक दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल
इस समय गूगल के सर्च इंजन से कहीं आगे यूट्यूब, जीमेल, गूगल मैप्स और एंड्रॉयड जैसे कई प्रोग्राम आते हैं. यह सारे अपने आप में इंडिविजुअल तौर पर काम करते हैं, जो गूगल को सर्च इंजन के अलावा दुनिया में बहुत बड़ा ट्रैफिक दिलाते हैं. यही वजह है कि गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक इस समय दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है.
कैसे रखा गया गूगल का नाम?
लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन जब अपने सर्च इंजन को बनाने की सोच रहे थे तो उन्होंने इसका नाम ‘बैकरब' रखना तय किया था. दोनों इसी नाम को रखने की अपनी योजना पर आगे बढ़ रहे थे. लेकिन, यूनिवर्सिटी में आम सहमति न बन पाने की वजह से इस नाम का आइडिया ड्रॉप कर दिया गया. फिर, इस सर्च इंजन का नाम ‘गूगॉल' रखा जाना तय किया गया, जिसका मतलब ‘टेन टू द पावर हंड्रेड' या किसी संख्या में दस के बाद निन्यानवे जीरो यानी कुल सौ जीरो होता है.. इस भारी भरकम संख्या को दिखाने का तात्पर्य इस सर्च इंजन की असीमित क्षमता को दिखाना था.
डोमेन खरीदते समय एक टाइपिंग एरर
आसान शब्दों में कहें तो यह यूज़र के रिक्वेस्ट के मुताबिक, असीमित रिजल्ट दिखाने की गूगल की कैपेसिटी को बताता था. ‘गूगॉल' की नाम की स्पेलिंग में जी डबल ओ जी के बाद ओ एल आना था. लेकिन, डोमेन खरीदते समय एक टाइपिंग एरर की वजह से इसका नाम गूगल हो गया. इस तरह दुनिया की सबसे बड़ी सर्च इंजन का नाम गूगल पड़ा.
इसके बाद गूगल अपने क्लीन यूजर इंटरफेस और बेहतरीन सर्च रिजल्ट की वजह से दुनिया में फेमस होता चला गया. इन्हीं दो मुख्य वजहों से इस सर्च इंजन की पापुलैरिटी दिन पर दिन बढ़ती रही. इसके बाद जैसे-जैसे कंपनी को फंडिंग मिलती रही, कंपनी नए-नए प्रोडक्ट और सर्विस लॉन्च करती रही.
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