
वित्त वर्ष 2024-25 में सोने ने सभी इन्वेस्टमेंट ऑप्शन को पीछे छोड़ते हुए सबसे ज्यादा रिटर्न दिया है. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की ओर से सोमवार को यह जानकारी दी गई.NSE की रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान सोने ने डॉलर के हिसाब से 41 फीसदी रिटर्न दिया, जो सभी एसेट क्लास में सबसे ज्यादा है.
क्यों चमका सोना?
ग्लोबल लेवल पर अस्थिरता बढ़ने के चलते निवेशकों ने सेफ ऑप्शन के तौर पर सोने का रुख किया. इसी वजह से सोने की डिमांड में जोरदार बढ़ोतरी देखने को मिली. सोने में तेजी आने की अहम वजह मांग में वृद्धि होना है, यह पिछले 15 सालों के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है. खास बात ये है कि लगातार तीसरे साल दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और ईटीएफ इनफ्लो की वजह से गोल्ड की मांग 1,000 टन से ज्यादा रही है.
इक्विटी से कितना मिला रिटर्न?
जहां सोना 41 फीसदी का रिटर्न देने में कामयाब रहा, वहीं NSE का निफ्टी इंडेक्स (Nifty) सिर्फ 5.34 फीसदी रिटर्न दे सका. हालांकि लॉन्ग टर्म में भारतीय इक्विटी ने बेहतर रिटर्न दिए हैं और वेल्थ बनाने में मदद की है. पिछले 20 सालों में निफ्टी ने डिविडेंड जोड़कर 14.4 फीसदी का सालाना रिटर्न दिया है, जो सोने के लॉन्ग टर्म रिटर्न से काफी अधिक है.
केंद्रीय बैंकों की गोल्ड खरीद से आया बूस्ट
दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों ने अपने फॉरेन रिजर्व को डाइवर्सिफाई करने के लिए बड़ी मात्रा में सोना खरीदा है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में भी यह ट्रेंड दिखा है. पिछले तीन से पांच सालों में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) दुनिया के तीसरे सबसे बड़े गोल्ड खरीदार के रूप में उभरा है. अब RBI के फॉरेन रिजर्व में सोने का हिस्सा 11% से ज्यादा हो चुका है.
ज्वैलरी मांग घटी, इनवेस्टमेंट बढ़ा
सोने की कीमतों के बढ़ने की वजह से गोल्ड ज्वैलरी की डिमांड में कमी आई है, लेकिन निवेश में बढ़ोतरी हुई है. भारत समेत दुनिया भर में गोल्ड बेस्ड ईटीएफ (ETF) में जबरदस्त इनफ्लो देखने को मिला है. अकेले 2025 की पहली तिमाही में गोल्ड ETF में 21 अरब डॉलर यानी करीब 226 टन का नेट इनफ्लो हुआ है, जो 2020 की दूसरी तिमाही के बाद सबसे अधिक है.
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