
क्विक कॉमर्स, ट्रेंड-फर्स्ट कॉमर्स और हाइपर-वैल्यू कॉमर्स के बढ़ते ट्रेंड के बीच घरेलू ई-रिटेल बाजार 2030 तक सकल व्यापारिक मूल्य (जीएमवी) में 170-190 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा ई-रिटेल शॉपर बेस बन चुका है. साल 2024 में शॉपर बेस 27 करोड़ से अधिक रहा.
बैन एंड कंपनी और फ्लिपकार्ट की रिपोर्ट के अनुसार, देश का ई-रिटेल बाजार 2030 तक मौजूदा 60 अरब डॉलर से तीन गुना होने का अनुमान है.
वहीं, खुदरा बाजार का आकार 2024 में एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक था और ऑनलाइन चैनल के बढ़ने के बावजूद यह एक महत्वपूर्ण चैनल बना हुआ है.
ई-रिटेल में 2030 तक 18 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है. भारत का प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 3,500-4,000 डॉलर को पार कर गया है, जो वैश्विक स्तर पर ई-रिटेल खर्च में देखा गया एक महत्वपूर्ण बदलाव है. बैन एंड कंपनी के पार्टनर अर्पण शेठ ने कहा कि टियर-3+ शहरों और दूरदराज के वंचित क्षेत्रों में राष्ट्रीय ब्रांडों/मिश्रण तक बढ़ती पहुंच के साथ खरीददारी परिदृश्य का 'लोकतांत्रिकरण' वृद्धि का एक प्रमुख चालक है.
साल 2030 तक किराना, लाइफस्टाइल और रोजमर्रा के सामान जैसे हाई-परचेज फ्रीक्वेंसी कैटेगरी का ई-रिटेल बाजार की वृद्धि में योगदान लगभग 70 प्रतिशत होने की संभावना है. ई-रिटेल का विस्तार टियर 2 शहरों से टियर 3 और उससे भी छोटे गंतव्यों तक हो गया है. साल 2020 से 60 प्रतिशत नए ग्राहक इन्हीं क्षेत्रों से आए हैं और साल 2023 से 45 प्रतिशत ऑर्डर इन्हीं क्षेत्रों से मिले हैं. सेलर इकोसिस्टम भी बड़ा और विविध हो रहा है। साल 2021 से 60 प्रतिशत विक्रेता टियर 2 या उससे छोटे शहरों से आए हैं.
फ्लिपकार्ट ऐड्स के उपाध्यक्ष और महाप्रबंधक विजय अय्यर ने कहा कि शॉपर बेस के हिसाब से भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ई-रिटेल बाजार बन गया है, जहां 27 करोड़ से अधिक ऑनलाइन खरीदार 60 अरब डॉलर के उद्योग को आगे बढ़ा रहे हैं.
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