कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि चार साल तक केंद्र की सत्ता में काबिज रहने के बाद भी भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार शिक्षा, रोजगार और कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने में नाकाम रही है. संसद में पेश 2017-18 की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पर जारी प्रतिकिया में चिदंबरम ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के 4 साल सत्ता में रहने के बावजूद कृषि क्षेत्र के हालात भी बदतर बने हुए हैं. 'वास्तविक कृषि क्षेत्र वृद्धि और वास्तविक कृषि राजस्व यथावत ही हैं.' इससे पता चलता है कि कृषि क्षेत्र पर ध्यान नहीं दिया गया.
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चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 6.75 प्रतिशत रहने के समीक्षा में किए गए दावे पर भी उन्होंने सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि साल की पहली छमाही में आर्थिक वृद्धि 6 प्रतिशत रही है. इसे देखते हुए लगता है कि साल की समाप्ति पर आर्थिक वृद्धि 6 से 6.5 प्रतिशत रह सकती है. इसके अधिक रहने के समर्थन में कोई तथ्य समीक्षा में नहीं दिए गए हैं.
VIDEO : आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट की 10 खास बातें
प्रतिक्रिया में समीक्षा के पैराग्राफ का हवाला देते उन्होंने कहा है कि सरकार की शौचालय, जनधन खाता, एलपीजी कनेक्शन और गांवों के विद्युतीकरण जैसे प्रमुख कार्यक्रम भी कोई ठोस परिणाम हासिल नहीं कर पाए हैं. उन्होंने कहा कि समीक्षा में राजकोषीय घाटे और चालू खाते के घाटे को संवेदनशील बताया गया है. इससे राजकोषीय मजबूती में धीमी प्रगति का संकेत मिलता है. इससे सरकार के आर्थिक स्थिति मजबूत होने का दावा झूठा साबित होता है.
(इनपुट : एजेंसी)
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चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 6.75 प्रतिशत रहने के समीक्षा में किए गए दावे पर भी उन्होंने सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि साल की पहली छमाही में आर्थिक वृद्धि 6 प्रतिशत रही है. इसे देखते हुए लगता है कि साल की समाप्ति पर आर्थिक वृद्धि 6 से 6.5 प्रतिशत रह सकती है. इसके अधिक रहने के समर्थन में कोई तथ्य समीक्षा में नहीं दिए गए हैं.
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प्रतिक्रिया में समीक्षा के पैराग्राफ का हवाला देते उन्होंने कहा है कि सरकार की शौचालय, जनधन खाता, एलपीजी कनेक्शन और गांवों के विद्युतीकरण जैसे प्रमुख कार्यक्रम भी कोई ठोस परिणाम हासिल नहीं कर पाए हैं. उन्होंने कहा कि समीक्षा में राजकोषीय घाटे और चालू खाते के घाटे को संवेदनशील बताया गया है. इससे राजकोषीय मजबूती में धीमी प्रगति का संकेत मिलता है. इससे सरकार के आर्थिक स्थिति मजबूत होने का दावा झूठा साबित होता है.
(इनपुट : एजेंसी)
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