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This Article is From Jan 26, 2017

अरुण जेटली का चौथा बजट : सरकार को निपटना होगा कई मोर्चों से...

अरुण जेटली का चौथा बजट : सरकार को निपटना होगा कई मोर्चों से...
अरुण जेटली के इस बजट में सरकार को निपटना होगा कई मोर्चों से.. (अरुण जेटली, फाइल फोटो)
नई दिल्ली: अपना चौथा बजट पेश करने जा रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली के लिए 1 फरवरी को बजट पेश करना कोई बहुत सीधी लकीर नहीं होनी जा रही है. खासतौर से ऐसी स्थिति में जब अगले वित्तीय वर्ष में जीएसटी लागू किए जाने की तारीख तक पूरी तरह से निश्चित नहीं है और उससे होने वाले रेवेन्यू पर भी अनुमान बनाए रखना है. नोटबंदी के असर से अस्त वयस्त देश की अर्थव्यवस्था और टैक्सपेयर्स को राहत भी देनी है और इकॉनमी को मजबूत भी करना है. अर्थशास्त्रियों और निवेशकों को संदेह है कि सरकार इस मोर्चों से निपटने के लिए राजस्व संबंधी बहुत अधिक जोखिम ले लेती है.

अधिकारियों का कहना है कि सरकार द्वारा निवेश को चालू वित्तीय वर्ष में अधिक तवज्जो दी जा सकती है. मामले की संवेदनशीलता के चलते गोपनीयता की गुजारिश करते हुए एक सीनियर अधिकारी ने रॉयटर्स से कहा- राजस्व संबंधी अनुशासनात्क तौर तरीकों में एक हद तक लचीलापन गैर जिम्मेदाराना राजस्व प्रबंधन करार नहीं देना चाहिए. राजस्व संबंधी मामलों की सलाहकार समिति जिसमें रिजर्व  बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल भी शामिल हैं, ने बजट घाटे के जीडीपी के 3 फीसदी से थोड़ा सा अधिक होने की वकालत की है ताकि सड़कों, रेलवे और सिंचाई संबंधी प्रॉजेक्ट्स के लिए फंड्स सुनिश्चित किए जा सकें.

एक अधिकारी के मुताबिक, वित्तीय घाटे को जीडीपी से 3 फीसदी बढ़ाए बिना पूंजीगत खर्चों से तालमेल बनाकर चला संभव नहीं होगा. पहले दो वित्तीय वर्षों में देश का वित्तीय घाटा घटाकर जीडीपी का 3 परसेंट तक लाने का लक्ष्य रखा गया था. स्वतंत्र अर्थशास्त्री आगामी वित्तीय वर्ष में संघीय घाटे के ऊंचा रहने की अटकलें लगा रहे हैं जोकि जीडीपी का  3.3-3.4 फीसदी हो सकता है और सरकार के 6 अरब डॉलर निवेश के अटकलें भी लगा रहे हैं. देश की अर्थव्यवस्था का पीएम मोदी के 8 नवंबर को किए गए विमुद्रीकरण के ऐलान के बाद के असर से उबरना अभी बाकी है. काले धन से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम से चलन में मौजूद 86 फीसदी नोट अवैध करार हो गए थे.

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के मुताबिक़, इस साल भारत की विकास दर 6.6 फ़ीसदी रहने का अनुमान है. यह पिछले साल की विकास दर 7.6 फ़ीसदी से 1 फ़ीसदी कम है. विकास दर के अनुमान पर नोटबंदी का असर बताया जा रहा है. वहीं आईएमएफ ने भारत के पड़ोसी देश चीन के विकास दर के अनुमान को बढ़ाया है. हालांकि यह उम्मीद जताई है कि अगले दो साल में भारत की अर्थव्यवस्था दोबारा पटरी पर लौट आएगी.

वित्त मंत्रालय के अधिकारी इस बारे में कुछ भी कहने से बच रहे हैं कि नोटबंदी के देश की अर्थव्यवस्था पर पड़े असर के बाद यह कितनी जल्दी रफ्तार पकड़ सकती है. भारत जिन चीजों का आयात करता है उनमें क्रूड ऑयल सबसे अधिक मंहगा आइटम है. तेल का उत्पादन करने वाले देशों द्वारा इसके प्रॉडक्शन में कमी लाने के बाद वित्त मंत्रालय को इसका आयात अभी और भारी पड़ने वाला है. इसका सीधा सा असर रेवन्यू पर तो पड़ेगा ही साथ ही ग्रोथ भी प्रभावित होगी. आंशिक रूप से सरकार द्वारा भी वित्त पोषित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस ऐंड पॉलिसी में अर्थशास्त्री एनआर भानुमूर्ति कहते हैं- यह बजट बेहद अनिश्चितपूर्ण स्थितियों में पेश किया जा रहा है. जेटली के चौथे बजट में सरकार जनहित संबंधी निवेश करती है तब भी इसमें बहुत ज्यादा युक्ति की उम्मीद नहीं है.

सरकारी खर्च के 10 रुपए में लगभग 9 रुपए कर्ज निपटाने और खर्चे भाड़े से लेकर सब्सिडी देने में जाते हैं. बजट प्लानिंग से सीधे तौर पर जुड़े वित्तीय मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा- यह लोकप्रिय नहीं लेकिन व्यावहारिक बजट होगा.

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