बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
पटना:
बिहार के मुख्यमंत्री और पूर्व रेल मंत्री नीतीश कुमार ने लोकसभा में पेश किए गए रेल बजट को 'निराशजनक' बताते हुए कहा कि इसमें स्वच्छता, सुरक्षा और ट्रेनों के नियत समय पर चलने को लेकर कोई भी कारगर बात नहीं कही गई है।
बिहार विधानमंडल परिसर में लोकसभा में पेश रेल बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए नीतीश ने कहा कि ट्रेनों का समय पर चलना, सफाई पर ध्यान देना, ये सब अब प्राथमिकता का विषय नहीं रहा है।
उन्होंने कहा कि कहा गया है कि किराया नहीं बढ़ाया गया, तो इस बार तो किराया घटना चहिए था। जब दुनिया के बाजार में तेल की कीमत घट गई और रेलवे तेल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, तो वैसी स्थिति में यात्री और माल भाड़ा घटना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि एक बात विचित्र लगी कि ट्रेनों में सुविधाओं के बारे में कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है। नीतीश ने कहा कि जब वह रेल मंत्री थे तो जन साधारण एक्सप्रेस ट्रेन चलाई गई थी और वह पहली ऐसी ट्रेन थी, जिसमें सारे डिब्बे अनारक्षित थे और पहली बार अनारक्षित डिब्बों को एक-दूसरे से जोड़ा गया था। उसमें कई तरह के सुरक्षा के उपाय किए गए थे तथा यात्रियों की सुविधा का ख्याल रखा गया था।
नीतीश ने कहा कि वह नहीं जानते कि जो जन साधारण एक्सप्रेस ट्रेन है उसे और बेहतर बनाने के बजाए एक नया नाम देकर चलाए जाने की क्या आवश्यक्ता है। उन्होंने कहा कि रेलवे के विकास के दृष्टिकोण से देखा जाए तो किसी भी क्षेत्र में कोई आशा की किरण दिखाई नहीं पड़ती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यात्रियों के हितों के दृष्टिकोण से देखा जाए तो उसमें कोई सुधार के लक्षण नहीं दिख रहे हैं। किसी भी नई परियोजना के लिए इनकी कोई योजना नहीं है। रेलवे केंद्र सरकार चलाती है और इसे उसे चलाते रहना चाहिए क्योंकि यह राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। ऐसे में रेलवे के विकास और उसके तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए केंद्र को और धन लगाना चाहिए। उन्होंने केंद्र में विचित्र स्थिति होने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे न तो पैसा जुटा पा रहे हैं और न ही खर्च कर पा रहे हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
बिहार विधानमंडल परिसर में लोकसभा में पेश रेल बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए नीतीश ने कहा कि ट्रेनों का समय पर चलना, सफाई पर ध्यान देना, ये सब अब प्राथमिकता का विषय नहीं रहा है।
उन्होंने कहा कि कहा गया है कि किराया नहीं बढ़ाया गया, तो इस बार तो किराया घटना चहिए था। जब दुनिया के बाजार में तेल की कीमत घट गई और रेलवे तेल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, तो वैसी स्थिति में यात्री और माल भाड़ा घटना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि एक बात विचित्र लगी कि ट्रेनों में सुविधाओं के बारे में कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है। नीतीश ने कहा कि जब वह रेल मंत्री थे तो जन साधारण एक्सप्रेस ट्रेन चलाई गई थी और वह पहली ऐसी ट्रेन थी, जिसमें सारे डिब्बे अनारक्षित थे और पहली बार अनारक्षित डिब्बों को एक-दूसरे से जोड़ा गया था। उसमें कई तरह के सुरक्षा के उपाय किए गए थे तथा यात्रियों की सुविधा का ख्याल रखा गया था।
नीतीश ने कहा कि वह नहीं जानते कि जो जन साधारण एक्सप्रेस ट्रेन है उसे और बेहतर बनाने के बजाए एक नया नाम देकर चलाए जाने की क्या आवश्यक्ता है। उन्होंने कहा कि रेलवे के विकास के दृष्टिकोण से देखा जाए तो किसी भी क्षेत्र में कोई आशा की किरण दिखाई नहीं पड़ती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यात्रियों के हितों के दृष्टिकोण से देखा जाए तो उसमें कोई सुधार के लक्षण नहीं दिख रहे हैं। किसी भी नई परियोजना के लिए इनकी कोई योजना नहीं है। रेलवे केंद्र सरकार चलाती है और इसे उसे चलाते रहना चाहिए क्योंकि यह राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। ऐसे में रेलवे के विकास और उसके तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए केंद्र को और धन लगाना चाहिए। उन्होंने केंद्र में विचित्र स्थिति होने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे न तो पैसा जुटा पा रहे हैं और न ही खर्च कर पा रहे हैं।
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