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This Article is From Mar 16, 2018

परीक्षा व्यवस्था पर क्यों उठते हैं सवाल?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मार्च 16, 2018 22:58 pm IST
    • Published On मार्च 16, 2018 22:58 pm IST
    • Last Updated On मार्च 16, 2018 22:58 pm IST
नौकरी सीरीज़ का 29वां अंक हाज़िर है. दिल्ली में एसएससी मुख्यालय के बाहर हज़ारों छात्र धरने पर बैठे हैं तो पटना की सड़कों पर दारोगा की परीक्षा को लेकर लाठी खा रहे हैं. राजस्थान के अखबारों में वहां हो रही सिपाही की भर्ती को लेकर प्रश्न पत्रों के लीक होने की खबरें छप रही हैं. भारत में ईमानदार परीक्षा व्यवस्था का होना बहुत ज़रूरी है. चयन आयोगों में कर्मचारियों की संख्या इतनी कम हो गई है कि उनके लिए भी इन बहालियों को संभालना मुश्किल है. कोर्ट मुकदमा कारण तो है मगर यही कारण नहीं हैं. अगर इनकी विश्वसनीयता होती तो यूपीएससी की तरह परीक्षाएं विवादित नहीं होतीं. उसके लिए कौन ज़िम्मेदार है कि परीक्षा का विज्ञापन निकला, छात्रों ने भारी फीस के साथ फार्म भरा और विज्ञापन सहित परीक्षा लापता हो गई. ऐसी बहुत सी परीक्षाएं हैं जो फार्म भराने के बाद लापता हो गई हैं. हमारी सीरीज़ का असर हो रहा है. नौजवानों में अपने सवालों को लेकर जागरूकता आने लगी है. लखनऊ में 12,460 शिक्षकों को बड़ी कामयाबी मिली है.

16 मार्च को सुबह उन्होंने बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जयसवाल के घर के बाहर धरना दे दिया. अपनी मांगों को लेकर शांति से बैठ गए. ये लोग इलाहाबाद हाईकोर्ट से दो-दो बार केस जीत आए हैं इसके बाद भी मांग कर रहे हैं. इन शिक्षकों ने शिक्षक बनने के साथ धरना प्रदर्शन के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. लाठियां खाईं हैं. ट्विटर पर ट्रेंड कराया. हमने भी प्राइम टाइम के नौकरी सीरीज़ के अंक 7, 24 और 28 में प्रमुखता से दिखाया, इसके बाद भी इन्हें नियुक्ति पत्र नहीं मिला. अदालत ने कहा कि 6 मार्च तक नियुक्ति पत्र मिल जाए मगर 16 मार्च को ये नियुक्ति पत्र के लिए अपने मंत्री का घर घेर रहे थे. ज़रूरी नहीं कि यह प्राइम टाइम की नौकरी सीरीज़ का ही असर हो मगर सरकारी नौकरी को फोकस में लाने की हमारी ज़िद असर करेगी. एक ईमानदार परीक्षा व्यवस्था का सिस्टम अब भी नहीं होगा तो कब होगा. तय कीजिए. टीवी पर हिन्दू मुस्लिम डिबेट चाहिए या डॉक्टर बनने का अवसर चाहिए. बहरहाल बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जयसवाल इनमें से पांच छात्रों को अपनी कार में ले गईं और मुख्यमंत्री से मुलाकात कराई. खबरों के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वादा किया है कि एक हफ्ते में नियुक्ति पत्र मिल जाएगा. 28 दिन की हमारी यात्रा में एसएससी के 15000 नौजवानों के बाद अगर 12,460 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र मिलता है तो यह सामान्य बात नहीं है. मारे खुशी के हम इस नौकरी सीरीज़ को अक्टूबर तक चलाना चाहते हैं. जो नियुक्ति पत्र ये अदालत के दो-दो आदेशों के बाद हासिल नहीं कर पाए क्या वाकई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 1 हफ्ते में नियुक्ति पत्र दे देंगे.

पहले इनके प्रदर्शनों का असर क्यों नहीं हो रहा था, वो इसलिए नहीं हो रहा था कि मीडिया और सरकारें इन छात्रों को फालतू समझने लगी थीं. अब हर छात्र ईमानदार परीक्षा व्यवस्था और पास होने के बाद नियुक्ति पत्र की मांग को लेकर सतर्क हो गया है. उनके मसले को मीडिया के पन्नों से गायब किया जा रहा है. अगर नौजवान इस तरह टिके रहे तो वे न्यूज़ चैनलों का भी भला कर देंगे. दो महीने के भीतर टीवी चैनलों से हिन्दू मुस्लिम डिबेट गायब हो जाएगा. हो ही जाना चाहिए, वरना यह आपके बच्चों में और आपके ज़हन में भी लंबे समय तक के लिए ज़हर भर चुका है. जगह-जगह छात्र सड़क पर हैं, मगर कोई सुन नहीं रहा है. झारखंड में 70 से 80 हज़ार पारा शिक्षक अपनी मांग को लेकर दर दर भटक रहे हैं. शिक्षक पेट पालने के लिए स्कूल आने से पहले ईंट भट्टे में मज़दूरी कर रहे हैं. तमाशा चल रहा है देश में. सरकारों ने नौजवानों के साथ जो ठगी की है उससे बड़ी खबर इस वक्त भारत में कोई भी नहीं है. टीवी देखने का तरीका बदल लीजिए वरना टीवी आपको बर्बाद कर देगा. 18 दिनों से दिल्ली में एस एस सी के बाहर छात्र धरने पर बैठे हैं. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी और उनके संगठन के लोग चेयरमैन से मिल आए, मगर इन छात्रों का दावा है कि उनसे चेयरमैन ने बात नहीं की.

तो फिर ये छात्र यहां किस लिए जमा हुआ, आप इन छात्रों की संख्या देखिए. ये 18 दिनों से यहां जमा हो रहे हैं, नारे लगा रहे हैं मगर मीडिया और सरकार की तरफ से एलान कर दिया गया है कि आंदोलन खत्म हो गया है. टीवी कैमरों के हट जाने से जनता की आंख बंद नहीं हो जाती है. ये छात्र अपने हालात देख रहे हैं. इनकी मांग से भले कुछ लोगों को सहमति न हो मगर हालात समझिए. अगर ईमानदार परीक्षा व्यवस्था नहीं होगी तो शक के सवाल होंगे, चोरी धांधली की खबरें और अफवाह दोनों ही बड़े स्तर पर फैल चुकी हैं. ये नौजवान अपने लिए सिर्फ और सिर्फ ईमानदार और पारदर्शी व्यवस्था की मांग कर रहे हैं ताकि इन्हें ये न लगे कि किसी ने पैसे देकर नौकरी ले ली. ये उनके अरमानों पर डाका है. परम पूज्य नीरव मोदी जी के करोड़ों लेकर भागने से भी बड़ा अपराध है; एसएससी की क्या विश्वसनीयता रह गई है आप छात्रों के हुजूम से अंदाज़ा लगा सकते हैं.

न्यूज़ चैनलों को लोगों के इस गुस्से को समझना होगा. गोदी मीडिया का चरित्र छोड़ कर जनता के मुद्दे पर आना होगा. यह नहीं हो सकता है कि वे दिन रात हिन्दू मुस्लिम टॉपिक पर डिबेट का मौका खोजते रहें और नौजवान, बैंकर, किसान, आधार से प्रभावित ग़रीब अपने मुद्दों को लेकर भटकते रहें. सरकार ने एलान किया था कि सीबीआई की जांच होगी मगर जांच किस स्तर पर है कौन कर रहा है, इन छात्रों को पता नहीं है. इनका कहना है कि जांच जल्दी हो और तब तक 2017 की परीक्षा स्थगित हो. वे यह भी मांग कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में जांच हो. वैसे एसआईटी बनी है भ्रष्टाचार की जांच के लिए, आपको पता है उसका रिज़ल्ट क्या है. क्या पता निकला हो हमें पता न हो और उससे पहले नीरव मोदी जी ही निकल लिए.

आखिर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भी इनके बीच आना पड़ा. राहुल गांधी ने इनके समर्थन में 15 मार्च को ट्विट भी किया था मगर जिस परीक्षा व्यवस्था से करोड़ों छात्रों का जीवन प्रभावित हो रहा है उसके बारे में राहुल सिर्फ ट्विट कर कैसे रह सकते थे, उन्हें इनके बीच में आना पड़ा. ये राजनीति है तो यही राजनीति करनी पड़ेगी. आप भारत के किसी भी राज्य में चयन आयोग का हाल पता कीजिए, बिहार में एक बीपीएससी है, 2014 में जो फार्म भरा गया था उसका रिज़ल्ट मार्च 2018 तक नहीं आया. हमारी सरकारें कैसे हमारे नौजवानों के सपनों के साथ खेल सकती हैं. इसके पहले यहां बीजेपी के सांसद मनोज तिवारी, मीनाक्षी लेखी भी आ चुकी हैं. योगेंद्र यादव तो कई बार आए. शशि थरूर ने भी इनके मुद्दे में दिलचस्पी दिखाई, अब राहुल आए हैं तो उन्हें भी चयन आयोगों के बारे में कोई ठोस वादा करना होगा.

हमारी नौकरी सीरीज़ की शुरुआत दिसंबर में ही हो गई थी जब एक लड़की के कहने और विस्तार से समझाने पर मैंने अपने ब्लॉग और फेसबुक पेज पर एक लेख लिखा. वो लेख प्रधानमंत्री और राहुल गांधी को पत्र की शक्ल में था आप इन लंबित परीक्षाओं पर ध्यान दें. मगर सबने हल्के में लिया. मैं उस लड़की का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं मगर उसका नाम भूल गया हूं. उसने मुझे न समझाया होता तो इतना बड़ा बदलाव नहीं आता. हमारी सीरीज़ के दौरान इसी स्टाफ सलेक्शन कमीशन से पास हुए अलग-अलग मंत्रालयों से 15,000 से अधिक नौजवानों को नियुक्ति पत्र नहीं मिलता, मिलने की प्रक्रिया शुरू नहीं होती. अभी तक कई मंत्रालय आराम फरमा रहे हैं, ज्वाइनिंग लेटर नहीं दे रहे हैं. वो ज़िद पर हैं तो हम भी ज़िद पर हैं. आप ही बताइये किस तर्क से हम इसे समझें कि अगस्त 2017 में मेरिट लिस्ट आने के बाद ये नौजवान सात महीने से घर पर बैठें. क्या सरकार को इन सात महीनों का भी वेतन इन्हें ज्वाइनिंग के दिन नहीं देना चाहिए. मेरी राय में इन्हें ज्वाइनिंग के पहले ही दिन सात महीने का वेतन भी मिलना चाहिए. राजस्थान, पंजाब, हिमाचल, बंगाल, बिहार, यूपी, दिल्ली में नौजवानों के साथ बड़े पैमाने पर विश्वासघात हुए है. दिल्ली अधीनस्थ कर्मचारी चयन आयोग की हालत इतनी बुरी है कि क्या बताएं. 2013 की परीक्षाएं लापता हो गई है. कोई बताने सुनने वाला नहीं है. यह कब तक चलेगा. एसएससी के छात्र 31 मार्च को दिल्ली चलो का नारा देने लगे है.

एक रेट कार्ड सामने आया है जिसे एसएससी के सामने छात्र लेकर आए हैं. कौन सी नौकरी कितने में मिलेगी, इसका रेट है. एसएससी के इस प्रदर्शन में आए नौजवानों की एक बात सही है. पढ़ाई करें या प्रदर्शन करें. अगर हालात नहीं बदले तो कोचिंग के बाद एक और कोचिंग की ज़रूरत पड़ेगी. जहां ये सीखाया जाएगा कि आपको रिज़ल्ट निकलवाने के लिए और निकल जाने के बाद नियुक्ति पत्र लेने के लिए किस किस तरह के प्रदर्शन करने होंगे. ये बिहार का नज़ारा है. दारोगा की परीक्षा हुई तो प्रश्न पत्र लीक होने की खबरें आने लगीं. ये लोग परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे हैं, पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा. दरअसल परीक्षा कराने की जो भी व्यवस्था है वो इतनी अविश्वसनीय हो चुकी है, कि ज़रा सी अफवाह सही लगने लगती है और अक्सर बातें सही ही निकलती हैं. चोरी धांधली से पास कराने वालों का गैंग भारत के हर राज्य में ऑपरेट कर रहा है. लाठी चार्ज से छात्र काफी नाराज़ हो गए हैं. सरकार को लाठी चार्ज की जगह ईमानदार परीक्षा व्यवस्था देने पर काम करना चाहिए.

हमने नौकरी सीरीज़ के दौरान बिहार कर्मचारी चयन आयोग और बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में हो रही देरी पर भी खूब फोकस किया था. आज नौजवानों ने हमें बताया कि 16 मार्च को उनकी काउंसलिंग का आदेश आया है. 28 मार्च तक इन्हें अपनी प्राथमिकता बतानी होगी और अप्रैल महीने से इनकी काउंसलिंग शुरू हो जाएगी. हमारी सीरीज़ के कारण 3300 नौजवानों के घर में खुशियां आने वाली हैं. बहुत से छात्रों ने वादा किया था कि वे कभी हिन्दू मुस्लिम पोलिटिक्स नहीं करेंगे, न डिबेट देखेंगे. उम्मीद है वे अपने इस वादे पर कायम रहेंगे. यह डिबेट पूरा फ्रॉड है और आपके बच्चों के साथ धोखा है.

इस नौकरी के बारे में हमने प्राइम टाइम की नौकरी सीरीज़ के तीसरे अंक में दिखाया था. 18 जनवरी को और उसके बाद 22 जनवरी को और उसके बाद भी ज़िक्र करते रहे. 2014 में सचिवालय सहायक, सहकारिता पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी जैसे पदों के लिए भर्ती का विज्ञापन निकला था. शुक्रवार को बिहार कर्मचारी चयन आयोग ने इनकी काउंसलिंग का आदेश वेबसाइट पर निकाल दिया है. इन छात्रों ने 10 जनवरी को 96 घंटे का धरना दिया था. भयंकर सर्दी में रात भर बैठे मगर किसी ने इनसे बात तक नहीं की. इस एपिसोड के दिखाए जाने के बाद भी छात्रों ने प्रदर्शन किया. एसएससी के दफ्तर के बाहर नोटिस लगा दिया कि ऑफिस के पास प्रदर्शन करेंगे तो उम्मीदवारी रद्द कर दी जाएगी. मगर उसके बाद आयोग के चेयरमैन ने अपनी परीक्षाओं का कैलेंडर निकाल दिया. उन्हें बधाई और बिहार के नौजवानों को भी बधाई. इसी तरह से सरकार से सही सवाल करें, भावुकता वाले टॉपिक को गोली मारिए, नौकरी सीरीज़ को घर घर पहुंचा दीजिए. बिहार कर्मचारी चयन आयोग का रिकार्ड बहुत ख़राब है. इस आयोग ने 2014 में एसएससीसीएचएसएल के 13,500 पदों पर बहाली होने जा रही है. 27 लाख छात्रों ने 350 रुपये की फीस देकर फार्म भरा. आयोग के पास 80 से 90 करोड़ आ गए. 2014 से 2018 आ गया, इसकी एक भी परीक्षा नहीं हुई. कायदे से सरकार को डबल पैसा लौटाना चाहिए और माफी मांगनी चाहिए.

कहीं ऐसा न हो कि नौकरी सीरीज़ के कारण नियुक्ति पत्र मिलने वालों की संख्या पहले 50,000 पर पहुंच जाए और उसके बाद 1 लाख न पहुंच जाए. हमें डर लग रहा है. बड़ी संख्या में लोग पत्र लिख रहे हैं. शपथ पत्र भेज रहे हैं कि हिन्दू मुस्लिम डिबेट नहीं करेंगे, न पोलिटिक्स करेंगे. यह मेरी छोटी सी फीस है. प्राइम टाइम अब जंतर मंतर में बदल गया है. हिन्दू मुस्लिम न करने का शपथ पत्र भेजिए और सरकार से नियुक्ति पत्र ले लीजिए. हरियाणा में भी हमारी सीरीज़ का असर देखा जा सकता है. हमने प्राइम टाइम की नौकरी सीरीज़ के 5वें अंक में दिखाया था कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की 6125 क्लर्क की बहाली के लिए का इंटरव्यू दे चुके लोग रिज्लट के इंतजार में जिलावार संघर्ष समिति बनाकर प्रदर्शन कर रहे थे. विज्ञापन 2015 में निकाला गया था और अक्टूबर 2017 में इंटरव्यू हुआ था. इस परीक्षा पर आलग-अलग कारणों से तीन मुक़दमे हुए थे, सीएम भी बहाली कराने का आश्वासन दे चुके थे. अब इस परीक्षा का रिजल्ट आ गया है. 15 मार्च को दो बजे के करीब वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ. इससे 6 हजार बच्चों की बहाली की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.. वे हमें फोन कर बधाई देने लगे.

29 दिनों तक एक ही टॉपिक करने से सर में दर्द हो जाता है. रोज़ हम खुद से लड़ते हैं कि फिर वही टॉपिक मगर किसी नौजवान का फोन आ जाता है कि एक बार और कोशिश कर दीजिए. हम जुट जाते हैं. आप ही बताइये मुझे क्या करना चाहिए, 29 दिनों की इस सीरीज़ से नौकरी पाने वाले छात्रों की संख्या 50,000 की तरफ बढ़ रही है. दो तीन लाख परिवारों में इस वक्त खुशियों का माहौल होगा. क्या मुझे इसे पूरे साल नौकरी सीरीज़ नहीं करनी चाहिए. जब न्यूज़ चैनल तीन महिना तक एक फिल्म पर चर्चा कर सकते हैं ताकि समाज में दंगाई तत्वों को बढ़ावा मिले तो आप कम से कम 6 महीने तक इस सीरीज़ को मेरे साथ देख ही सकते हैं. वादा रहा, समाज को खूबसूरत बना दूंगा. तो बताइये 2019 में कौन जीतेगा इस पर बहस करनी चाहिए या 2014 में जो जीता है उस जीत का क्या हो रहा है, इस पर बहस करनी चाहिए. इस पर फोकस करना चाहिए. आप नहीं भी बताएंगे तो भी मैं नौकरी सीरीज़ ही करूंगा. बैंक सीरीज़ बंद नहीं हुई है, सोमवार से फिर इसमें जुटने वाला हूं.

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