विज्ञापन
This Article is From Dec 24, 2015

भारत की नई मसकुलर विदेश नीति का नतीजा है अफगानिस्तान को हेलीकॉप्टर देना!

Kadambini Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 26, 2015 22:01 pm IST
    • Published On दिसंबर 24, 2015 01:55 am IST
    • Last Updated On दिसंबर 26, 2015 22:01 pm IST
सालों से चली आ रही नीति से बिल्कुल अलग हटते हुए भारत ने अफ़गानिस्तान को चार अटैक हेलीकॉप्टर देना मंज़ूर किया। ये ख़बर पिछले महीने आई थी और अब इन Mi25 रूसी गनशिप में से तीन काबुल पहुंचा भी दिए गए हैं। ये हेलीकॉप्टर मशीन गन, रॉकेट और ग्रेनेड लॉन्चरों से लैस हैं।

दुनिया के इस हिस्से में जितने हथियारों के सौदे हुए हैं उनमें से ये शायद सबसे अहम और सबसे कम शोरगुल के साथ किया गया है। असल में अफ़ग़ानिस्तान की इस तरह के हथियारों की मांग नई नहीं है। यहां तक कि यूपीए सरकार भी उसे ऐसे हथियार देते-देते रुक गई थी। अफ़ग़ानी सरकार रूस से सीधे भी हथियारों की मांग कर चुकी है, लेकिन अभी की स्तिथि दोनों देशों में (भारत और अफ़ग़ानिस्तान में) बदली है।

अफ़ग़ानिस्तान से नाटो फ़ोर्स निकल चुकी हैं। अफ़ग़ानी पुलिस और सेना को भरसक ट्रेनिंग तो उन्होंने दे दी, लेकिन तालिबान के हर दिन के हमले, काबुल के अंदर कड़ी सुरक्षा वाले इलाक़ों में हमले, कई शहरों-क़स्बों पर क़ब्ज़ा और इस्लामिक स्टेट के बढ़ते प्रभाव ने अफ़गान सरकार और जानकारों को भी सतर्क कर दिया है। इस तरह के हालात का सीधा असर भारत पर भी हो सकता है, इसका ऐहसास यहां है।

भारत ने अब तक अफ़ग़ानिस्तान में सड़कें, इमारतें बनाने और वहां के सैन्य बलों को ट्रेनिंग तक ही ख़ुद को सीमित रखा है। वहां के संसद भवन का निर्माण भी भारत ने ही किया है, जिसे आधिकारिक तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को काबुल की अपनी पहली यात्रा पर राष्ट्रपति अब्दुल गनी को सौंप सकते हैं।

अमेरिका की तरफ से कई बार कहा गया कि भारत, अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान से लड़ने में सैन्य सहयोग दे, लेकिन भारत दूर ही रहा। एक वजह ये भी थी कि भारत, रावलपिंडी को बेवजह भड़काना नहीं चाहता था। पाकिस्तान लगातार भारत पर अफ़ग़ानिस्तान में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश का आरोप लगाता रहा है। पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान में मज़बूत पकड़ चाहता है, क्योंकि इससे उसे भारत को घेरने और दबाव बनाने में मदद मिलेगी।

अफ़ग़ानिस्तान में सक्रिय हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकवादी संगठनों को पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई का मदद और समर्थन कोई छुपी बात नहीं है। लेकिन अब लगता है, भारत ने इस रावलपिंडी फ़ैक्टर को नज़रअंदाज़ करने का फ़ैसला कर लिया है। न सिर्फ ये भारत की काफी हद तक एक नई मसकुलर विदेश नीति का नतीजा है, बल्कि इस बात का भी कि पाकिस्तान से बातचीत का तरीक़ा बदलने की भी कोशिश चल रही है। ऐसे में या तो पाकिस्तान इन महज़ चार हेलीकॉप्टरों को नज़रअंदाज़ कर देगा या एक बार फिर अफ़ग़ानिस्तान में भारतीय ठिकानों पर हमले बढ़ेंगे और कश्मीर में और आतंकी भेजें जाएंगे।

लेकिन इस हेलीकॉप्टर सौदे से ये तो साफ है कि भारत की अफ़ग़ानिस्तान नीति में बदलाव आया है। रूस ने अफ़ग़ानिस्तान को ये हेलीकॉप्टर देने पर कोई आपत्ति नहीं जताई ये भी बड़ा बदलाव है। अब देखना सिर्फ यह है कि पाकिस्तान की प्रतिक्रिया इस पर क्या होती है और तुरंत होती है या रुक कर।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
BLOG : हिंदी में तेजी से फैल रहे इस 'वायरस' से बचना जरूरी है!
भारत की नई मसकुलर विदेश नीति का नतीजा है अफगानिस्तान को हेलीकॉप्टर देना!
बार-बार, हर बार और कितनी बार होगी चुनाव आयोग की अग्नि परीक्षा
Next Article
बार-बार, हर बार और कितनी बार होगी चुनाव आयोग की अग्नि परीक्षा
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com