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This Article is From Mar 13, 2018

नरेश अग्रवाल बीजेपी को सिखाने आए हैं या सीखने?

Sushil Kumar Mohapatra
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मार्च 15, 2018 16:43 pm IST
    • Published On मार्च 13, 2018 09:55 am IST
    • Last Updated On मार्च 15, 2018 16:43 pm IST
14 नवंबर 2013 को उत्तर प्रदेश के हरदोई में नरेश अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा था एक चाय बेचने वाला कभी भी देश का प्रधानमंत्री नहीं बन सकता है. अग्रवाल ने कहा था एक चाय के दुकान से उठने वाला नज़रिया कभी राष्ट्रीय स्तर का नहीं हो सकता ठीक वैसे ही जैसे एक सिपाही को कप्तान बना दिया जाए तो उसका नज़रिया कप्तान का नहीं हो सकता. नरेश अग्रवाल इस बयान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साथ कई बीजेपी ने सीनियर नेता नरेश अग्रवाल पर हमला बोला था.  नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के दुर्गपुर के एक रैली में कहा था यह मोदी की बात नहीं है यह उन लोगों की बात है जो अमीर घर में पैदा होते हैं, राजा की तरह जीवन बिताते हैं और ग़रीबों की मज़ाक उड़ाते हैं इसीलिए वह ऐसे भाषा की इस्तेमाल कर रहे हैं. नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा क्या देश को लीड करने के लिए यह तय किया जाएगा कि वह कहां पैदा हुया है और कहां शिक्षा ली.

सिर्फ मोदी नहीं अरुण जेटली ने भी नरेश अग्रवाल पर हमला बोलते हुए कहा था नरेश अग्रवाल जैसे वास्तविक समाजवादी नेता को मोदी जैसे चाय बेचने वालों को ऊपर उठते हुए देखकर दुखी नहीं बल्कि खुश होना चाहिए. अरुण जेटली ने यह भी कहा था राजनीतिक बहस एक स्तर तक सीमित रहनी चाहिए. सिर्फ इतना ही नहीं मौजूदा उपराष्ट्रपति और उस वक्त के सीनियर बीजेपी नेता वैंकया नायडू भी नरेश अग्रवाल की आलोचना की थी. यह तो पांच साल पहले की बात है. एक महीने पहले ही नरेश अग्रवाल ने प्रधानमंत्री मोदी के लिए जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल करते उन्हें वैश्य समाज का हिस्सा मानने से मना कर दिया था. प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के घोर आलोचक नरेश अग्रवाल ने अब बीजेपी का दामन थाम लिया है.  लेकिन आज ऐसा क्या हुया की नरेंद्र मोदी पर हमले करने वाला आज बीजेपी में शामिल हो गया. सोमवार केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने नरेश अग्रवाल को बीजेपी में शामिल करवाया.

इससे पहले अक्टूबर 26, 2013 को  भी नरेश अग्रवाल ने नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ ऐसा भाषा का इस्तेमाल किया जिस को लेकर उनकी काफी आलोचना हुई थी. नरेंद्र मोदी ने झांसी में समाजवादी पार्टी में परिवारवाद को लेकर जब सवाल उठाया था तब नरेश अग्रवाल ने कहा था बीजेपी में जब शादी का चलन नहीं है तो परिवार कहां से आएगा और अग्रवाल ने कहा था  “हमारी गांव में एक कहावत कहलाती है “ ....... आशीर्वाद मांगने जायो कहती है हमारी तरह हो जायो". नरेश अग्रवाल की इस बयान के बाद चारों तरफ उनकी आलोचना हुई थी. महिला आयोग भी इस पर सफाई मांगा था. नरेश अग्रवाल अपने स्टेटमेंट पर मीडिया से बात करते हुए कहा था वह कोई गलत शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है. अग्रवाल ने कहा “हमें बीजेपी  न पढ़ाये, हम बीजेपी से सीखने-पढ़ने नहीं जा रहे हैं हम बीजेपी को सिखा-पढ़ा देंगे”. तो अब  आगे देखना है कि नरेश अग्रवाल बीजेपी को सिखाने आए हैं या सीखने ?

नरेश अग्रवाल जैसे नेताओं को बीजेपी में शामिल करने के पीछे क्या कारण है वह तो खुद बीजेपी ही जानती होगी लेकिन नरेश अग्रवाल जैसा नेता महिलाओं और नेताओं के खिलाफ कई बार ऐसा भाषा का इस्तेमाल किया है जिसे लेकर उनकी किरकिरी हुयी है. बीजेपी में शामिल होने के तुरंत बाद नरेश अग्रवाल ने ही जया बच्चन पर कमेंट करते हुए कहा कि  'फिल्मों में काम करने वाली से मुझे कमतर आंका गया. ऐसे शख्स के लिए मुझे राज्यसभा टिकट नहीं दिया गया जो फिल्मों में नाचती है, फिल्मों में काम करती है. मैं इसे उचित नहीं मानता.’’. नरेश अग्रवाल के बयान के बाद सुषमा स्वराज और स्मृति ईरानी  ने उन्हें तुरंत नसीहत दे डाली.  

सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर कह, “श्री नरेश अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं. उनका स्वागत है. लेकिन जया बच्चन जी के विषय में उनकी टिप्पणी अनुचित एवं अस्वीकार्य है.”. ट्विटर पर स्मृति ईरानी ने लिखा “मेरा केस पिछले 5 सालों से कोर्ट में है. लेकिन मेरी लड़ाई को दूसरे महिलाओं को शर्मिंदा करने का बहाना नहीं बनाया जा सकता. वास्तव में हमें यह बताना चाहिए कि अगर किसी भी महिला के सम्मान को चुनौती दी जाती तो हम राजनीतिक मतभेदों को भूलकर एक सुर में इसका विरोध करते हैं.'. बीजेपी से रूपा गांगुली भी नरेश अग्रवाल के बयान पर आपति जताई है.  अब बीजेपी को देखना है महिलाओं के खिलाफ ऐसा बयान देने वाले नरेश अग्रवाल पार्टी के लिए कितने फ़ायदेमंद है. समय के साथ साथ नरेश अग्रवाल अपने आप को बदल देंगे या बीजेपी को यह तो आगे ही पता चलेगा. 


सुशील कुमार महापात्रा एनडीटीवी इंडिया के चीफ गेस्ट कॉर्डिनेटर हैं...

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