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This Article is From Jan 25, 2018

क्या करणी सेना गर्भ में ही मार दी जाने वालीं 'पद्मावतियों' के लिए आंदोलन करेगी?

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 25, 2018 19:59 pm IST
    • Published On जनवरी 25, 2018 19:57 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 25, 2018 19:59 pm IST
पद्मावत का विरोध जारी है, सरकार मूक दर्शक बनी हुई है. खासकर बीजेपी शासित राज्य तो हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. आखिरकार अपने आदमियों पर कार्रवाई कैसे करें, कल को वोट के लिए उनकी जरूरत तो पड़ेगी ही. राजस्थान में तो लोग रैलियां भी निकाल रहे हैं और पुलिस के सामने ही भड़काऊ बयानबाजी भी कर रहे हैं..

चलिए राजस्थान तो समझ में आता है, मगर हरियाणा में उपद्रव क्यों...यही नहीं, बिहार और उत्तरप्रदेश में पद्मावत को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं. बात समझ में नहीं आती, यहां के लोगों को पद्मावती से क्या लेना-देना.. यानि बहती गंगा में हाथ धोने के बराबर है ये. उत्तरप्रदेश सरकार ने हर एक जिले के अफसरों के लिए फरमान जारी किया है कि जो 'पद्मावत' का विरोध शांति पूर्ण ढंग से कर रहे हैं उनको न रोका जाए. यानि प्रदर्शन की इजाजत सरकार की तरफ से है...

बात हरियाणा की करते हैं, यहां पूरी जनसंख्या का महज चार फीसदी राजपूत हैं. ये प्रदर्शन केवल इसलिए है कि यहां कुछ भी करने पर तुरंत मीडिया में दिखने लगेंगे.. और तो और ये शूरवीर लोग जो आंदोलन कर रहे हैं उसमें उन्होंने बच्चों की स्कूल बस पर भी पत्थर फेंके जिससे बस के शीशे टूट गए. इन मासूमों पर इस घटना की छाप कई दिनों कर रहेगी. हालांकि हरियाणा पुलिस ने 18 लोगों को गिरफ्तार किया है मगर उससे क्या होगा. इन लोगों की जमानत हो जाएगी और वे फिर आजाद होंगे, क्या करे.. सरकार अपनी है. वही बात है, सैंया भए कोतवाल तो.... दरअसल राजनीति का भी इसमें बड़ा हाथ है. राजस्थान में दो लोकसभा क्षेत्रों और एक विधानसभा क्षेत्र के लिए उपचुनाव होने हैं और वहां की वसुंधरा सरकार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती क्योंकि अजमेर और अलवर में राजपूतों की संख्या खासी है. ऐसे में उनको नाराज नहीं किया जा सकता. इसलिए करणी सेना को खुली छूट मिली हुई है.

काश ऐसा होता कि करणी सेना उन चीजों के लिए आंदोलन करती जिसके लिए राजस्थान बदनाम है..उन कुरीतियों के खिलाफ खड़ी होती जिससे राजस्थान की छवि खराब हुई है..पूरे देश में लड़के और लड़कियों के बीच का अनुपात 76.16 फीसदी है तो राजस्थान में 60.41 फीसदी. साल 2001 में प्रत्येक 1000 लड़कों के अनुपात में राजस्थान में 888 लड़कियां पैदा हुईं. वर्ष 2015 में यह बढ़कर 925 हो गया..इसके लिए सरकार को कई योजनाएं चलानी पड़ी हैं. सरकार उस परिवार को पैसे देती है जहां लड़कियां पैदा होती हैं. लिंग जांच के लिए राजस्थान काफी बदनाम रहा है. पिछले दो सालों में सोनोग्राफी मशीनों के 395 लाइसेंस रद्द किए गए हैं. यही नहीं बार-बार जांच के दौरान 400 से अधिक मशीनों को सीज किया गया है. ये सब अवैध रूप से काम कर रहे थे. भ्रूण हत्या को रोकने के लिए राजस्थान सरकार ने मुखबिर नाम से एक योजना चलाई है जिसमें दो लाख का इनाम दिया जाता है. इसमें एक महिला एक तीमारदार के साथ सोनोग्राफी करवाने जाती है यह पता लगाने के लिए कि इस नर्सिंग होम में सोनोग्राफी का इस्तेमाल लिंग परीक्षण के लिए तो नहीं हो रहा है. इनाम की दो लाख की राशि में से जानकारी देने वाले और जांच के लिए जाने वाली महिला को 40-40 फीसदी मिलते हैं और तीमारदार को 20 फीसदी.

एक ऐसा भी उदाहरण है जिसमें बीकानेर में 40 डॉक्टरों ने लड़कियों को बचाने के लिए उनको गोद लिया हुआ है. वे इन बच्चियों के शिक्षा और स्वास्थ्य का खर्च उठाते हैं. यदि ये सब लोग राजस्थान में लड़कियों को बचाने में लगे हैं तो करणी सेना को किसने ऐसा करने से रोका है. इतनी सारी पद्मावती राजस्थान में या तो पेट में ही या फिर पैदा होने के बाद मार दी जाती हैं. क्या यह करणी सेना का धर्म नहीं बनता है कि इन पद्मावतियों के लिए सड़कों पर उतरें, आंदोलन करें, मोटरसाइकिल रैली निकलें जिससे लोगों में जागरूकता फैले. क्या ये राजपूताना गौरव के खिलाफ है? क्या एक फिल्म का विरोध करना ही गौरव का प्रतीक है? सड़कों पर पत्थर फेंकना,स्कूल बस पर पथराव करना ही राजपूताना गौरव है? राजस्थान बना है 19 राजवाड़ों को एक साथ मिलकर जिसमें टोंक को छोड़कर सभी हिंदू राजा थे और भरतपुर और धौलपुर जाट राजवाड़े थे. कहने का मतलब है कि आजादी के इतने साल बाद हमें उस मानसिकता से निकलना होगा जहां लड़कियों को दूसरा दर्जा दिया जाता था. आज वहां एक महिला मुख्यमंत्री है. यदि आपको उनका शासन स्वीकार है तो फिर बेटियों को बचाने में पीछे क्यों हैं? आइए एक आंदोलन 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' के लिए हो जाए...


(मनोरंजन भारती एनडीटीवी इंडिया में सीनियर एक्जीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल, न्यूज हैं)

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