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वोटर लिस्ट पर केजरीवाल के आरोपों पर इस खामोशी की वजह क्या?

Prem Shankar Singh
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 07, 2024 22:46 pm IST
    • Published On दिसंबर 07, 2024 22:46 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 07, 2024 22:46 pm IST

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले घर-घर जाकर चुनाव अधिकारी वोटरों का जायजा ले चुके हैं. अपनी रिपोर्ट दे चुके हैं. वोटर डिलिशन यानी मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाने का काम अब भी जारी है. चुनाव के डेढ़ महीने पहले वोटर लिस्ट से मतदाताओं के नाम हटाने पर आम आदमी पार्टी सवाल उठा रही है. अरविंद केजरीवाल ने मांग की है कि वोटर लिस्ट से नाम हटाने का काम बिल्कुल बंद होना चाहिए. 

वोटर लिस्ट से वोटरों के नाम हटाने का काम आमतौर पर घर का पता बदलने या वोटर के दिवंगत होने के मामलों में होता है. यह काम चुनाव ड्यूटी से जुड़े लोग करते हैं. चुनाव आयोग ऐसे नामों को जिन्हें मतदाता सूची से हटाया जाता है, वेबसाइट पर डालते हैं. आपत्तियों का इंतजार करते हैं. 

अरविंद केजरीवाल ने शाहदरा विधानसभा क्षेत्र से ऐसे आवेदनों की कॉपी दिखलाई है, जिसमें बीजेपी नेता के हस्ताक्षर हैं और मुहर हैं और जो चुनाव आयोग को प्रेषित की गई हैं. इन आवेदनों में 11,018 नामों को मतदाता सूची से हटाने का आग्रह है. हालांकि शाहदरा में केजरीवाल की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद दोपहर 2.27 बजे डीएम ने ट्वीट कर बीजेपी की ओर से 11018 आवेदन दिए जाने की बात को गलत बताया है. ट्वीट में कहा गया है कि 29 अक्टूबर से अब तक केवल 494 फॉर्म 7 प्राप्त हुए हैं. 

अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि बीजेपी पूरा होमवर्क करके आम आदमी पार्टी के लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाने में जुटी है और चुनाव आयोग से उनकी मिलीभगत है. वे पांच हजार के अंतर से चुनाव जीतने वाली आम आदमी पार्टी को हराने के लिए शाहदरा से 11 हजार से ज्यादा आम आदमी पार्टी समर्थक वोटरों के नाम हटाने की कोशिश कर रही है. केजरीवाल का दावा है कि उन्होंने चुनाव धांधली की बड़ी कोशिश पकड़ ली है.

 आप के इन आरोपों को बीजेपी मनगढ़ंत बता रही है. बीजेपी का कहना है कि केजरीवाल सरकार को अपने कामकाज पर वोट मांगने चाहिए न कि मनगढ़ंत आरोपों पर. अरविंद केजरीवाल जो आरोप लगा रहे हैं, उस पर किसी बड़े बीजेपी नेता को अभी कोई सफाई नहीं आई है. क्या केजरीवाल की प्रेस कान्फ्रेंस से उपजे इन सवालों का जवाब बीजेपी को नहीं देना चाहिए? 

अरविंद केजरीवाल के मुताबिक बीजेपी की 11,018 वोटरों के नाम डिलीट करने वाली सूची में शामिल 75 फीसदी से ज्यादा लोग अब भी अपने पुराने पते पर रह रहे हैं और जीवित हैं. चुनाव आयोग कह सकता है कि अभी ये नाम नहीं हटाए गए हैं. इसलिए ये सिर्फ आरोप हैं और ये सही नहीं है. हालांकि केजरीवाल दावा कर रहे हैं कि चुनाव आयोग ने बीजेपी की डिलीशन लिस्ट पर कार्रवाई करने का निर्देश 22 नवंबर को दे रखा है. ऐसे में चुनाव आयोग को भी स्थिति साफ करने की जरूरत है.  

आम तौर पर मतदाताओं के नाम जोड़ने के लिए राजनीतिक दल चुनाव आयोग की मदद करते हैं. इसका मकसद यही होता है कि वोट देने के अधिकार से कोई वंचित नहीं रह जाए. आप का आरोप है कि वोटरों के नाम हटाने में जिस तरह से संगठित होकर हजारों लोगों की सूची बनाई गई है, यह बात शक पैदा करती है. 

अरविंद केजरीवाल ने चुनाव आयोग से जुड़े अफसरों को भी कानूनी कार्रवाई की धमकी दी है. साथ ही कहा है कि इस मामले में वे आगे भी हर तरह की वैधानिक लड़ाई लड़ने को तैयार हैं. केजरीवाल ने बीजेपी के समक्ष ऐसी चुनौती रखी है कि उसका जवाब देना बीजेपी के लिए जरूर हो गया है.

प्रेम शंकर सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और इंडिया न्यूज में आउटपुट एडिटर रहे हैं.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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