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This Article is From Jan 22, 2024

निर्माण रामराज्य का : क्या है रामराज्य...?

Sadhguru
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 23, 2024 16:30 pm IST
    • Published On जनवरी 22, 2024 11:19 am IST
    • Last Updated On जनवरी 23, 2024 16:30 pm IST

देश में जबरदस्त उत्साह है. इन सबका क्या मकसद है? एक देवता की स्थापना या प्राणप्रतिष्ठा की प्रक्रिया एक ऊर्जावान या प्राणिक रूप को स्थिर करने के बारे में है, जो निर्धारित गुणों को बिखेरता है. जिन गुणों को हम देवता के रूप में मानते हैं, वे वही गुण हैं, जिन्हें हम श्रेष्ठ मानते हैं और जिनकी कामना करते हैं. इस सभ्यता में जिसे हम हिन्दुस्तान कहते हैं, यहां हम ईश्वर के नीचे उतरने की प्रतीक्षा नहीं करते हैं, बल्कि अपने भीतर उस संभावना को पोषित और विकसित करते हैं. इस प्रयास में अपने भीतर एक स्थिर आधार बनाना महत्वपूर्ण है, और इसे संस्कृत में 'अनुष्ठानम्' और दक्षिण भारत में 'अनुष्ठाना' कहा जाता है और हिन्दीभाषी लोग इसे 'अनुष्ठान' कहते हैं.

यह हमारे भीतर दिव्य संभावना की नींव बनाने का एक प्रयास है, या इस शरीर को शुद्धीकरण प्रक्रियाओं और जीवन को बेहतर बनाने के तरीकों के साथ एक जीवित मंदिर में बदलने जैसा है, जिससे शरीर को ईश्वर के रहने लायक बनाया जा सके. हम यहां जो भी प्राणप्रतिष्ठा करते हैं, उसमें शामिल होने वालों को हमेशा उचित योग साधना दी जाती है. ये साधनाएं अपने भीतर स्थिर आधार बनाने का एक तरीका हैं, जो उस देवता या ऊर्जा रूप को, जो प्राणप्रतिष्ठा के माध्यम से प्रकट होता है, का निर्माण करने के लिए है. अनुष्ठानम् की यह प्रक्रिया अलग-अलग समय के लिए की जाती है. ऐसे साधक हैं, जो इसे एक पूरे सौर चक्र के लिए करते हैं, जो 12 साल से बस ज़रा-सा कम होता है. ऐसे लोग हैं, जो 36 महीनों के लिए करते हैं. कुछ लोग हैं, जो 90 दिन, 64 दिन, 33 दिन, 28, 21, 12, 11, 9, 7, 5, 3 दिन के लिए अनुष्ठान करते हैं, और यह प्राणप्रतिष्ठा के प्रकार पर निर्भर करता है.

इन साधनाओं को डिज़ाइन किया गया है, ताकि साधक अपनी स्मृति और इससे संबंधित भावनाओं की छापों से परे देवता की प्रकृति को आत्मसात करने में सक्षम हो सके, जिससे हमारे प्राणमय कोष और विज्ञानमय कोष पर प्रभाव डाला जा सके. इसका मतलब है कि भौतिक शरीर और मानसिक संरचनाओं से परे हम इस रूप और इसके गुणों - दोनों की इस छाप को भीतर गहराई में ले जाना चाहते हैं. दूसरे शब्दों में, एक दिव्य संभावना को अपने भीतर गहराई में सहेजना या बोना, ताकि जीवन की सामान्य अड़चनें उस संभावना को नकार न सकें या उसे दूषित न कर सकें. इंसान की मुक्ति या मोक्ष की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है.

अनुष्ठान की प्रक्रिया केवल प्राण प्रतिष्ठा के समय ही मायने नहीं रखती, बल्कि यह व्यक्ति की सुविधानुसार किसी भी समय की जा सकती है. यह प्रक्रिया उन लोगों के लिए आम बात थी, जो अपने जीवन में महत्वपूर्ण चीजें करने की कोशिश कर रहे थे, वे ख़ास अवधि तक अनुष्ठान करते थे. ये चीजें अच्छी तरह से दर्ज हैं कि राजा युद्ध या महत्वपूर्ण अभियानों में जाने से पहले अनुष्ठान किया करते थे, क्योंकि सफलता आपकी इच्छा के कारण नहीं मिलती है, बल्कि यह सुनिश्चित करने से मिलती है कि आपकी अपनी प्रवृत्ति या काम के निर्धारित पैटर्न आपकी राह में बाधा न बनें.

दुनिया की बड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए सबसे पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि आप खुद एक समस्या नहीं हैं. अनुष्ठान एक शक्तिशाली तरीका है, जिसमें व्यक्ति के विकास-स्तर के अनुसार अलग-अलग तरीकों को शामिल किया जाता है या हर तरह के इंसान के लिए एक विशेष अनुष्ठान तैयार किया जा सकता है. इसे कई तरीकों से निर्धारित किया जा सकता है, जैसे - शारीरिक प्रक्रिया या सांस-प्रश्वांस द्वारा या किसी विधि-विधान या ऊर्जा या चेतना से जुड़ी प्रक्रियाओं द्वारा. हर इंसान को अनुष्ठान करने या इसे करने का एक तरीका खोजने की ज़रूरत है, अगर वह एक तृप्त और प्रभावशाली जीवन जीना चाहते हैं तो.

यह जानकर मुझे बड़ी ख़ुशी हुई कि इस गौरवशाली सभ्यता के राष्ट्रप्रमुख राम पर अनुष्ठान कर रहे हैं. वह राम, जिन्हें कई मायनों में एक न्यायपूर्ण स्थिर और समृद्ध शासन का प्रतीक माना जाता है. केवल एक नेता को नहीं, बल्कि भारत के सभी नेताओं और नागरिकों को रामराज्य या एक ऐसा राष्ट्र बनाने के लिए अनुष्ठान करना चाहिए, जो नियमबद्ध हो या एक ऐसा राष्ट्र, जो सिद्धांतों और नियमों पर आधारित हो, कानून मानने वाला राष्ट्र हो, जिसे हम धर्म कहते हैं. एक शब्द के रूप में 'धर्म' को आम मान्यता के हिसाब से religion के रूप में समझ लिया गया है, जबकि धर्म का मतलब है - नियम. यहां पर कई तरह के धर्म थे. राजा के लिए - राजधर्म, परिवार में रहने वाले लोगों के लिए - गृहस्थ धर्म, गुरुओं के लिए - गुरु धर्म : कई तरह के धर्म होते थे अलग-अलग कार्यों के लिए, यानी कि वे नियम, सिद्धांत और नीतियां, जो बताते हैं कि कोई भूमिका आपको किस तरह निभानी चाहिए. पर सबसे महत्वपूर्ण धर्म है - स्वधर्म, यानी वह धर्म, जो खुद आपके बारे में है. वही आध्यात्मिक प्रक्रिया है और यह प्रधान हो गया है और आज दूसरे धर्मों के बारे में चर्चा नहीं की जा रही.

तो रामराज्य का क्या मतलब है? क्या इसका मकसद फिर धनुष-बाण वाले युग में जाना है? नहीं. यह मूल्यों के बारे में है, उस बुनियादी नीति के बारे में है, जिसे आपको धारण करना चाहिए, अगर दूसरे लोग आपके प्रभाव में आते हैं तो. एक ऐसा लीडर, जो लोगों की भलाई के लिए अपनी व्यक्तिगत ख़ुशी को किनारे रख देते हैं, वह हैं राम. जनकल्याण के लिए अपनी निजी इच्छाओं को त्यागने के लिए तैयार हैं, वह हैं राम. जो हर तरह की बुराइयों का समाधान समभाव और शालीनता से करते हैं, वह हैं राम. जो कानून का शासन या धर्म की स्थापना के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं, वह हैं राम. खुद को बेहतर बनाने की निरंतर चेष्टा, ताकि अपने जीवन के हर पल में बेहतर सेवा दे सकें, वह हैं राम.

और अगर लीडर्स की ऐसा बनने की अभिलाषा हो, अगर वे इन गुणों पर अनुष्ठान करें, तो रामराज्य होगा. जब मैं लीडर कहता हूं, तो केवल राजनैतिक या मिलिटरी लीडर्स के बारे में मत सोचिए या वैसा कोई. अगर आपके पास एक भी जीवन है, जिसे आप प्रभावित कर सकते हैं. अगर आपका प्रभाव एक व्यक्ति या 10 लोगों या लाखों या करोड़ों लोगों पर है; अगर आप में किसी दूसरे जीवन को प्रभावित करने की और उस पर असर डालने की क्षमता है, तो आपको इन पांच सिद्धांतों को अपनाना चाहिए और जहां पर भी आप हैं, वहीं आपको रामराज्य बनाना चाहिए, यही इसका मतलब है.

लीडर केवल वह नहीं है, जो ऊपर बैठा हुआ है. कोई निर्वाचित व्यक्ति या राजा या मिलिटरी लीडर या बिज़नेस लीडर; हां, उन सबके लिए यह ज़रूरी है. पर महत्वपूर्ण यह है कि हम समझें कि लीडरशिप का मतलब है कि हमारे पास किसी दूसरे के जीवन को बदलने का अवसर है. चाहे वह एक हो या एक करोड़, सवाल वह नहीं है.

आइए, सब मिलकर रामराज्य का सपना साकार करें.

भारत में 50 सर्वाधिक प्रभावशाली गिने जाने वाले लोगों में सद्गुरु एक योगी, दिव्यदर्शी, और युगदृष्टा हैं और 'न्यूयार्क टाइम्स' ने उन्हें सबसे प्रचलित लेखक बताया है. 2017 में भारत सरकार ने सद्गुरु को उनके अनूठे और विशिष्ट कार्यों के लिए देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मविभूषण से नवाज़ा. वह दुनिया के सबसे बड़े जन-अभियान 'जागरूक धरती - मिट्टी बचाओ' के प्रणेता हैं, जिसने 4 अरब से ज़्यादा लोगों को छुआ है.

डिस्क्लेमर: इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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