कपिल शर्मा के साथ नेता, अफसर और बिल्डरों पर भी हो एफआईआर

कपिल शर्मा के साथ नेता, अफसर और बिल्डरों पर भी हो एफआईआर

स्टैंडअप कॉमेडियन कपिल शर्मा (फाइल फोटो)

हास्य कलाकार कपिल शर्मा द्वारा बीजेपी-शिवसेना शासित बृह्नमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) अधिकारी की घूसखोरी की शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ट्विटर पर करने के बाद उन्हीं के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है. भारतीय संविधान के अनुसार समान अपराध के लिए समान सजा मिलनी चाहिए. इसी तर्ज़ पर नेता, अफसर और बिल्डरों पर भी एफआईआर दर्ज कर सख्त आपराधिक कार्रवाई यदि हो तो फ्लैट ग्राहकों के अच्छे दिन ज़रूर आएंगे.

देश में 85 फीसदी मकान, दुकान एवं ऑफिस अनियमित एवं गैरकानूनी हैं : देश के गांव तथा कस्बों में नक्शा पास कराने का प्रचलन ही नहीं है. नगर निगमों के जटिल नियमों के कारण शहरों की अधिकांश बिल्डिंगों में कम्प्लीशन सर्टिफिकेट के बिना ही बड़ी आबादी रहती है. इन अनियमितताओं से बेखबर सरकार एवं रेलवे की जमीन पर भू-माफिया द्वारा गैरकानूनी कॉलोनियों को सरकार भी कानूनी घोषित कर देती है, क्योंकि वहां के वोट बैंक से सत्ता का दरवाज़ा खुलता है. अंग्रेज़ी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस में पिछले हफ्ते की एक ख़बर के अनुसार सरकार की नाक के नीचे मुंबई के बांद्रा इलाके में 13-मंजिल की इमारत गैरकानूनी तरीके से बनकर खड़ी हो गई. क्या कपिल शर्मा की तर्ज पर बांद्रा इलाके के बीएमसी अधिकारी और बिल्डर के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होना चाहिए...?

नगर निगम तथा सरकारी प्राधिकरण कानून का पालन कराने में हैं विफल : देश में 76,000 रजिस्टर्ड बिल्डर ही बिल्डिंग बना सकते हैं, लेकिन सरकार की लापरवाही से लाखों छुटभैये बिल्डर ग्राहकों को चूना लगाकर चंपत हो जाते हैं. प्राधिकरण तथा सरकारी विभागों द्वारा डिफॉल्टर बिल्डरों की पब्लिक नोटिस जारी करने की जिम्मेदारी कभी पूरी ही नहीं होती. सरकार द्वारा बिल्डिंग निर्माण की सभी अनुमतियां मिलने तक प्रोजेक्ट के विज्ञापन और जनता से पैसे वसूली की मनाही के बावजूद धड़ल्ले से जनता को चूना लगाया जाता है. नोएडा एक्सप्रेस-वे पर सुपरटेक बिल्डर के गैरकानूनी टॉवरों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैरकानूनी घोषित कर दिया, लेकिन बिल्डर के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने की बजाय सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी. अदालती व्यवस्था की कमजोरियों को बिल्डर अच्छी तरह समझने लगे हैं, इसीलिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद यूनिटेक, सुपरटेक और जेपी जैसे बिल्डर आम जनता के साथ छलावा जारी रखे हैं.

आशियाने के लिए परेशान ग्राहकों को सरकार और अदालत से राहत नहीं : देश के 27 बड़े शहरों में 17,000 प्रोजेक्टों में 56 फीसदी अधूरे चल रहे हैं, जिनसे लाखों परिवारों की गाढ़ी कमाई संकट में है. वर्तमान कानूनों का पालन कराने में विफल सरकार रियल एस्टेट बिल पारित करके चुप बैठ गई है. बगैर अनुमति के प्रोजेक्ट बनाकर ग्राहकों को ठगने वाले कंपनियों के प्रमोटर और जवाबदेह सरकारी अधिकारियों को जेल भेजने से गुरेज़ क्यों...? प्रोजेक्ट में विलंब के बावजूद बिल्डरों द्वारा ग्राहकों को ब्याज और जुर्माना नहीं दिया जाता, फिर भी सभी सरकारें खामोश रहती हैं, क्योंकि बिल्डरों द्वारा राजनीतिक दलों को चंदा दिया जाता है. बिल्डरों की मनमानी से त्रस्त ग्राहक उपभोक्ता अदालतों के चक्कर में परेशान हैं, जहां कानून के अनुसार तीन महीने में निर्णय होना चाहिए, परंतु 3.72 लाख मामले लंबित हैं. बड़े वकीलों के दम पर लंबी कानूनी लड़ाई का दम रखने वाले बिल्डर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी नाफरमानी करते हैं, फिर आम जनता न्याय की उम्मीद कैसे करे...?

सेलिब्रिटीज को विशेषाधिकार गलत हैं, लेकिन व्हिसलब्लोअर को संरक्षण ज़रूर मिले : अवैध निर्माण सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत और भ्रष्टाचार के बगैर नहीं हो सकते. कपिल शर्मा ने अपने आवास तथा कार्यालय के अवैध निर्माण हेतु रसूख तथा पैसे का इस्तेमाल किया ही होगा. उनके पहले शाहरुख खान के बंगले में भी अवैध निर्माण का मामला गर्माया था. दिल्ली के लुटियंस ज़ोन में अधिकांश मंत्रियों तथा वीआईपी बंगलों में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण की शिकायतों के बावजूद उन पर कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई. महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार को बेजा प्रभावित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कॉमेडियन का ट्वीट उल्टी करवट बैठ गया, क्योंकि कपिल को नवजोत सिंह सिद्धू से जोड़कर ट्वीट को बीजेपी विरोधी माना गया. कपिल शर्मा पर एफआईआर की तर्ज पर देशभर के नेता, अफसर तथा बिल्डरों पर सख्त आपराधिक कार्रवाई होने से आम जनता के अच्छे दिन ज़रूर आ सकते हैं. यदि कानून का शासन लाकर सभी पर कारवाई करना सरकार के गले की हड्डी बन गया हो, तो फिर कपिल शर्मा को व्हिसलब्लोअर का प्रोटेक्शन मिलना ही चाहिए...!

विराग गुप्ता सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

इस लेख से जुड़े सर्वाधिकार NDTV के पास हैं. इस लेख के किसी भी हिस्से को NDTV की लिखित पूर्वानुमति के बिना प्रकाशित नहीं किया जा सकता. इस लेख या उसके किसी हिस्से को अनधिकृत तरीके से उद्धृत किए जाने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी.


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com