आम बजट में आभूषण कारोबार पर एक्साइज़ ड्यूटी के चौतरफा विरोध के बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा समिति का गठन किए जाने के बावजूद सर्राफा कारोबारियों की हड़ताल खत्म नहीं हो रही है। सवाल यह है कि जब नरेंद्र मोदी सरकार जीएसटी बिल को जल्द ही लागू कराने के लिए आश्वस्त है, तो फिर हड़बड़ी में एक फीसदी एक्साइज़ ड्यूटी लगाने का क्या औचित्य है...?
जनता की बचत पर सरकार की बुरी नजर से आ सकती है मंदी - अमेरिका-यूरोप में जनता द्वारा अपनी हैसियत से अधिक कर्ज़ लेने की जीवनशैली से आर्थिक मंदी उपजी थी, जिसे पिछले दरवाजे से भारत लाने का दुष्प्रयास हो रहा है। विश्व बैंक से जुड़े अर्थशास्त्री भारतीय जनता की बचत के पैसे को भी मुक्त बाज़ार के हवाले करना चाहते हैं, जिससे विजय माल्या जैसे लोग ऐश कर सकें। आम बजट में जीपीएफ पर टैक्स और उसके बाद पीपीएफ और एनएससी की बचत दरों में सरकार द्वारा कमी की घोषणा, कहीं उसी दिशा में एक कदम तो नहीं है...? आभूषण कारोबार में एक्साइज़ ड्यूटी लगने से अगर जनता की ओर से सोने में निवेश कम हुआ तो 'आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया' की नीति से भारत भी मंदी की गिरफ्त में आ सकता है।
आभूषण कारोबार में एक्साइज़ ड्यूटी गैरकानूनी है - बजट प्रस्तावों के विरोध के बाद सरकार ने सर्कुलर जारी कर कहा है कि एक्साइज़ ड्यूटी, ज्वेलरी के कुल टर्नओवर या बिक्री के आधार पर ही लगेगी। कानून के अनुसार एक्साइज़ ड्यूटी, उत्पादन या निर्माण पर ही लगती है। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित टैक्स को कुल बिक्री के आधार पर लागू करने के तर्क को यदि मान भी लिया जाए, तो फिर बिक्रीकर वसूलने के लिए राज्य सरकारों की सहमति क्यों नहीं ली गई...? टैक्स-प्रस्ताव या फिर सरकारी स्पष्टीकरण, दोनों में कोई एक गलत है, जिस वजह से व्यापारी संगठन सरकार की नीयत पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं।
काले धन पर नियंत्रण की बजाए प्रस्तावित टैक्स से ज्वेलरी कारोबार बाधित होगा - सर्राफा कारोबार में नकदी की वजह से काले धन के प्रयोग की ज़्यादा संभावना रहती है, लेकिन उसके नियंत्रण के लिए इन्कम टैक्स कानून में पर्याप्त प्रावधान हैं। दो लाख रुपये से अधिक की ज्वेलरी की खरीद पर सरकार द्वारा पैन नम्बर अनिवार्य कर दिया गया है, जिसका यदि सही तरीके से पालन कराया जाए तो काले धन पर लगाम लग सकती है। एक्साइज़ ड्यूटी लगाने से काले धन पर नियंत्रण तो नहीं होगा, लेकिन इससे सर्राफा कारोबार की कमर ज़रूर टूट सकती है, जो असंगठित क्षेत्र के एक करोड़ से अधिक लोगों को रोज़गार देता है।
सोने को उत्पादक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाने में सरकार की विफलता - हीरे के कारोबार से देश को बड़े पैमाने पर विदेशी मुद्रा भी मिलती है, जो एक्साइज़ ड्यूटी लगने से प्रभावित हो सकती है। सोने की खपत और आयात कम करने के लिए सरकार द्वारा लाई गई गोल्ड बॉन्ड योजना विफल रही है, जिससे अधिकारीगण नए तरीकों को आजमा रहे हैं। धार्मिक स्थानों में बड़े पैमाने पर अनुत्पादक सोना है, जिसे मुख्यधारा में लाने पर सोने का इम्पोर्ट भी कम होगा और विदेशी मुद्रा भी बचेगी और उस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। सोने में मिलावट रोकने के लिए हॉलमार्क की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की बजाए एक्साइज़ ड्यूटी लगाने की हठधर्मिता से अर्थव्यवस्था की गाड़ी पटरी से उतर सकती है।
स्टार्टअप पर मेहरबानी के दौर में, सर्राफा व्यापार पर इंस्पेक्टर राज क्यों - नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा देश में रोज़गार बढ़ाने के लिए 'मेक इन इंडिया' तथा 'स्टार्टअप इंडिया' के तहत कारोबारियों को सभी प्रकार की टैक्स छूट दी जा रही है। दूसरी और सर्राफा व्यापारियों द्वारा सोने के इम्पोर्ट पर कस्टम ड्यूटी, बिक्री पर वैट तथा सर्विस टैक्स दिया जाता है। कारोबारियों के अनुसार खदान से सोना निकलने और ग्राहक को बिक्री तक सोने का माल 10 कारीगरों से गुज़रता है, जहां एक्साइज़ ड्यूटी लगाना मुश्किल है। कारोबारियों के अनुसार सरकार सर्राफा पर नई एक्साइज़ ड्यूटी लगाने की बजाए वर्तमान करों की दर को एक फीसदी अगर बढ़ा दे तो भी उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी, तो इस प्रस्ताव को सरकार क्यों नहीं मान लेती...?
बीजेपी द्वारा पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की आर्थिक नीतियों को विश्व बैंक के इशारे पर लागू करने के आरोप लगाए जाते रहे हैं। अब पूर्ण बहुमत की नरेंद्र मोदी सरकार एक्साइज़ ड्यूटी को किस दबाव में लागू कर रहे हैं, जिसके विरोध में स्वयं मोदी जी वर्ष 2012 में पत्र लिख चुके हैं...? सरकार को, 'भारत माता की जय' बुलवाने के साथ-साथ इसके गहनों को भी सुरक्षित रखने की जवाबदेही पूरी करनी होगी, वरना सोने की चिडि़या तबाह हो जाएगी...!
विराग गुप्ता सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ हैं...
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।
This Article is From Mar 22, 2016
आभूषणों पर एक्साइज़ ड्यूटी - सोने की चिड़िया ही न मर जाए
Virag Gupta
- ब्लॉग,
-
Updated:मार्च 22, 2016 16:49 pm IST
-
Published On मार्च 22, 2016 16:38 pm IST
-
Last Updated On मार्च 22, 2016 16:49 pm IST
-
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं