टीम इंडिया के वर्ष 1999−2000 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे से पहले भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) के तत्कालीन सचिव जयवंत लेले ने कहा था कि टीम इंडिया 3-0 से हारेगी, और उस दौरे पर ऐसा ही हुआ... इस बार ऑस्ट्रेलियाई दौरे से भी बहुत पहले ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ ग्लेन मैक्ग्रा ने कुछ ऐसी ही बात कहकर टीम इंडिया की फिक्र बढ़ा दी है...
फिक्र इसलिए भी बढ़ गई है, क्योंकि टीम की ताकत और कमज़ोरियों का आकलन, खिलाड़ियों के गर्लफ्रेन्ड और बीवियों के साथ गुज़ारे गए वक्त के बारे में चर्चा से शुरू हो रहा है... इंग्लैंड में टेस्ट मैचों में टीम इंडिया की हार के सही पोस्टमार्टम से पहले इसकी वजहों का पता लगाने के लिए जो रुख अख्तियार किया गया है, वह टीम इंडिया के लिए फिक्र की बड़ी वजह बन सकता है... दरअसल, फिक्र यह नहीं होनी चाहिए कि किस खिलाड़़ी ने अपनी गर्लफ्रेन्ड के साथ इंग्लैंड में कहां कितना वक्त बिताया, बल्कि फिक्र इस बात की होनी चाहिए कि मैदान पर अगर खिलाड़ी अपना फोकस बरकरार नहीं रख पाए तो उसकी सही और ठोस वजह क्या रही...
टीम इंडिया के डायरेक्टर बने रवि शास्त्री ने खिलाड़ियों से करीब दो घंटे की मुलाकात के बाद जिन बातों पर गौर फरमाया, उनमें खास बातें ये हैं...
- खिलाड़ी इंग्लैंड में हुए टेस्ट मैचों में अपनी गलतियां दोहराते रहे...
- विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा स्विंग के खिलाफ कारगर नहीं दिखे...
- टीम स्पाइनलेस दिखी, यानि खिलाड़ियों ने लड़ने से पहले ही घुटने टेक दिए...
लेकिन पूर्व कप्तान रवि शास्त्री ने उम्मीद जताई है कि टीम इंडिया बाउंसबैक ज़रूर करेगी, और टीम इंडिया का यह इम्तिहान इंग्लैंड के खिलाफ पांच वन-डे इंटरनेशनल मैचों की शृंखला के साथ ही शुरू हो जाएगा... वैसे, यह इम्तिहान इंग्लैंड में ही खत्म नहीं होने वाला, क्योंकि इसके बाद तो दरअसल मुश्किल परीक्षाओं का दौर शुरू होगा... भारतीय टीम को नवंबर में ऑस्ट्रेलिया का दौरा करना है, जहां उसे चार टेस्ट मैच और वन-डे मैचों की एक ट्राई-सीरीज़ में हिस्सा लेना है...
सो, टीम इंडिया में खलबली की ग्लेन मैक्ग्रा के बयान से भी ज़्यादा बड़ी वजह उनकी खुद की उभरकर सामने आई कमज़ोरियां हैं, जिन्हें दूर किए बिना जीत के बारे में सोचना बेमानी होगा...