विज्ञापन
This Article is From May 06, 2019

लहर और अंडरकरन्ट के बीच फंसा पत्रकार अभी-अभी यूपी से लौटा है जनाब...

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मई 06, 2019 20:50 pm IST
    • Published On मई 06, 2019 20:50 pm IST
    • Last Updated On मई 06, 2019 20:50 pm IST

उत्तर प्रदेश वाले परेशान हैं. जिधर देखते हैं उधर दिल्ली से आए पत्रकार मिल जाते हैं. लोग अपना काम नहीं कर पा रहे हैं. लोगों को लगता है कि पत्रकार ख़बर खोज रहे हैं. पता चलता है कि दिल्ली से आकर लहर खोज रहे हैं. लहर खोज कर दिल्ली चले जाएंगे. वहां जाकर ट्वीट करेंगे. गांव के लोग एक तरफ से पत्रकारों को निपटाते हैं तो दूसरी तरफ से रिसर्चर आ जाते हैं. गांव के कुछ लोग अचानक दिल्ली और न्यूयॉर्क से कनेक्ट हो गए हैं. उन्हें लगता है कि भारतीय लोकतंत्र का सोर्स अगर कहीं फेंका पड़ा है तो गांव में है. चाय की दुकान पर सारे सोर्स बैठ गए हैं. बीच में बैठे पत्रकार का फोटो लिया जा रहा है. दिल्ली ट्वीट हो रहा है.

कंफर्म हो गया है कि ये मतदाता हैं. लेकिन सैंपल टेस्ट बाकी है. नाम से शुरू होकर बात टाइटल पर ख़त्म होती है. यादव को गठबंधन का समझा था मगर भाजपा का निकल गया है. मिश्रा जी समाजवादी हो गए हैं. पत्रकार को लगा था कि राष्ट्रवादी होंगे. मौर्या और कुशवाहा का पता करने का नया चलन है. इनका देखो किधर वोट करेंगे. क्या सोच रहे हैं. क्या बाल्मीकि जाटव के साथ जाएंगे, क्या कुशवाहा कुर्मी के साथ जाएंगे. कोई कहीं नहीं जा रहा है. सब वहीं चाय की दुकान पर बैठे हैं. टेंशन में हैं कि बिल कौन भरेगा. चर्चा का स्क्रीन शाट लिया जा चुका है. अब तो बचने का भी स्कोप नहीं कि हम ठीहे पर नहीं थे. चाय वाला तंग आ चुका है. दिल्ली से बबुनी आई है. गर्मी में आंचल सर पर है. बाबू की आंखों में चश्मा फ्लैश कर रहा है. अचानक से उसकी दुकान पर गोगा जासूस की टीम के दो कारकून नज़र आने लगे हैं. करें तो क्या करें.

उत्तर प्रदेश परेशान है. पत्रकार परेशान प्रदेश को लेकर परेशान है. परेशान परेशान को लेकर परेशान है. तभी जीएसटी से बर्बाद एक व्यापारी भारत माता की जय चिल्लाता है. जीएसटी के बाद काला धन समाप्त हो गया है. जी आपका कितना समाप्त हुआ. व्यापारी कहता है कि हमें बदनाम कर दिया गया. हम तो ईमानदारी की कमाई खाते थे. जीएसटी ने हमें चोर बना दिया. पत्रकार उत्साहित होता है. ये ऊपर से प्रो मोदी है मगर भीतर से एंटी मोदी हो गया है. व्यापारी समझने में लगा है कि पत्रकार प्रो मोदी है या एंटी मोदी है. वह दोनों बातें बोलकर चला जाता है. पत्रकार का नोट्स गिजबिज हो जाता है.

लू चल रही है. पत्रकार गांव में जाता है. तालाब के किनारे. जहां सारे पोलिथिन के पैकेट एक साथ रहते हैं. बड़े पैकेटों के बीच गुटखा का पाउच भी सेफ फील कर रहा है. चार लोग बैठे स्वच्छता की बातें कर रहे हैं. कम से कम चर्चा तो की. शौचालय तो बनाया. भले चल नहीं रहा मगर शौचालय खड़ा तो है. मुखिया जी ले लिए कुछ पैसे. लेकिन बाकी तो दिए. पत्रकार समझ नहीं पा रहा है. मोदी की तारीफ कर रहा है या खिंचाई. उसे सिर्फ एक ही बात जाननी है. मोदी या गठबंधन. गांव के लोग कई बातें बताना चाहते हैं. पत्रकार दो में से एक ही सुनना चाहता है. उसे दिल्ली में सबसे पहले ट्वीट करना है.

मतदाता के पास अपनी एक्स-रे मशीन है. पत्रकार के पास एमआरआई मशीन है. दोनों एक दूसरे का टेस्ट कर रहे हैं. चैनल का नाम सुनकर लोगों ने गला खखार लिया है. अपना पैंतरा बदल लिया है. मतदाता कोई सिग्नल ही नहीं देता है. मतदाता डरा हुआ है. पत्रकार सहमा हुआ है. बातचीत शुरू होती है. मतदाता डरा हुआ है. पत्रकार सहमा हुआ है. पता नहीं कौन क्या निकल जाएगा. मतदाता टेंशन में है कि पत्रकार मोदी भक्त है या गठबंधन का. पत्रकार टेंशन में है कि मतदाता मोदी भक्त है या गठबंधन का. दोनों एक दूसरे के विहेवियर का परीक्षण करते हैं. बाहर से आंतरिक परीक्षा चालू है.

लगता है ये मोदी भक्त है. चलो इतना तो कंफर्म हो गया है मगर बोल क्यों नहीं रहा है. बोलने के लिए ही तो मोदी भक्त बना था. दूसरे की बोलती बंद करने के लिए मोदी भक्त बना था. अब क्यों नहीं बोल रहा है. 2014 में तो ख़ूब बोल रहा था. 2019 में क्या हो गया है. पत्रकार सोचने लगता है. यार, ये लग तो रहा है कि मोदी भक्त है. कहीं हम उसे एंटी मोदी तो नहीं लग रहे हैं. क्या पता इसी से चुप हो. कुछ न्यूट्रल पूछते हैं.

राष्ट्रीय सुरक्षा का सैंपल निकालता है. अब तो बोलेगा ही. क्या आप पुलवामा अटैक के बाद भारत के अटैक से खुश हैं. सवाल फेंक कर पत्रकार मतदाता के फटने का इंतज़ार करता है. हां बोलेगा तो भक्त और ना बोला तो गठबंधन. मतदाता फटा ही नहीं. बोलता है कि बाबू हम पुलवामा पर मोदी के साथ हैं मगर यूपी में मायावती के साथ हैं. व्हाट! आप पुलवामा पर मोदी के साथ हैं मगर यूपी में मायावती के साथ. क्या मतलब हुआ इसका. अंडरकरेन्ट बोलते हैं इसे दिल्ली से आए बाबू जी. आप लहर खोजने आए थे. हम आपको अंडरकरेन्ट बता रहे हैं.

पत्रकार टेंशन में है. लहर खोजने आया था. अंडरकरन्ट मिल रहा है. तभी मोदी-मोदी करती हुए एक जीप गुज़रती है. आज शाम अमित शाह की रैली होने वाली है. दिल्ली से आया पत्रकार ट्विट करता है कि राहुल गांधी सो रहे हैं. अखिलेश यादव खो गए हैं. मायावती मिल नहीं रही हैं. चुनाव सिर्फ मोदी लड़ रहे हैं. पत्रकार इंतज़ार नहीं कर सकता है. वह यूपी आया है दिल्ली जाकर ट्वीट करने के लिए.

लखनऊ एयरपोर्ट. पत्रकार ट्वीट करता है. यूपी में गठबंधन की चर्चा तो है मगर ज़मीन पर भाजपा है. ट्वीट करने के बाद पत्रकार की दूसरी परेशानी शुरू हो जाती है. लाइक्स और री-ट्वीट गिनने लगता है. कम आया है. लगता है कि सोशल मीडिया से मोदी लहर मिट गई है. फिर वो नंबर ट्वीट करता है. गठबंधन-40, भाजपा 35, कांग्रेस-5. बस उसका सारा टेंशन निकल गया है. अब उसे हवाई जहाज़ की सीट के बगल में एक महिला मिलती है. कहती है कि वह तो प्रियंका को वोट देगी. फिर वो ट्वीट करता है कि प्रियंका को कोई कम न आंके. लेकिन एयरपोर्ट से बाहर आते ही ओला वाला बोलता है कि हम जौनपुर से हैं. मोदी जी आ रहे हैं. पत्रकार फिर ट्वीट करता है कि मोदी ही आ रहे हैं.

दिल्ली से जाने वाले पत्रकारों पर स्टोरी का दबाव नहीं होता है. नंबर और लहर बताने का दबाव होता है. नहीं बोलो तो लोग कोने में खींच कर ले जाते हैं. मुझे सिर्फ बता दो. लेकिन बताने से पहले अपना बता देते हैं. इन्होंने दिल्ली से ही यूपी का नंबर बता दिया है. अब दूसरा टेंशन. इससे मैच करता हुआ कुछ बोल दें या अपना वाला बोलने का रिस्क लें. पत्रकार बहुत परेशान है. उसे प्रासंगिक होना है. प्रासंगिक होने के लिए लहर बताना है. सही सही नंबर बताना है.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com