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This Article is From Feb 18, 2016

देश के प्रति अपनी "भक्ति" साबित करने का तरीका बदलना होगा

Sushil Kumar Mohapatra
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    फ़रवरी 18, 2016 19:54 pm IST
    • Published On फ़रवरी 18, 2016 19:35 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 18, 2016 19:54 pm IST
''देश भक्त" और "देश भक्ति" इस दोनों शब्दों की सराहना होने लगी है। पिछले कई सालों से जिन शब्दों का अर्थ समझने की जरूरत महसूस नहीं हुई, शायद आज उसके बारे में सुनकर डर लगने लगा है। "भक्ति" और "भक्तों" के बीच देश बेहाल नज़र आ रहा है। अपनी भक्ति साबित करने के लिए भक्तों की भीड़ लगी हुई है। सवाल उठाया जा रहा है कि देश के असली  भक्त कौन हैं? कौन अपने देश से सबसे ज्यादा  प्यार करता है? आज तक मुझे यह एहसास नहीं हुआ कि मैं देश भक्त हूं या नहीं, शायद इसलिए नहीं हुआ क्योंकि मैं इसी देश में पैदा हुआ हूं, इस देश से प्यार करता हूं तो स्वाभाविक रूप से देश के प्रति मेरी भक्ति है। लेकिन जिस तरह से इसके लिए जंग छिड़ी हुई है, उसे देखकर अब ऐसा एहसास होने लगा है कि सबको देश के प्रति अपनी भक्ति साबित करना जरूरी हो गया है।

लेकिन सवाल यह उठता है कि कैसे साबित किया जाए ?  क्या उन वकील की तरह, जो पटियाला हाउस कोर्ट के परिसर में देश भक्ति साबित करने के लिए मीडिया पर हमला कर देते हैं, हाथ में डंडा लेकर एक-दूसरे से लड़ पड़ते हैं, या उन एंकर की तरह जो अपने शो में चिल्लाते हुए, चीखते हुए अपनी देश भक्ति साबित करने में लगे हुए हैं, या फिर हाथ में झंडा लेकर गली-गली में ''भारत माता की जय'' का  नारा लगाना चाहिए।

देश भक्ति के नाम पर देश में जो हंगामा हो रहा है, उसे देखकर ऐसा लगने लगा है कि क्या सच में जो लोग हंगामा कर रहे हैं, वह अपने देश से प्यार करते हैं या प्यार की नौटंकी। एक वकील अगर एक गरीब आदमी का केस लड़कर उसे न्याय देने की कोशिश करेगा तो यह देश के  प्रति असली भक्ति होगी। कोर्ट के परिसर में कई ऐसे निर्दोष आदमी घूमते रहते हैं लेकिन उनका केस कोई नहीं लड़ता है क्योंकि उनके पास  पैसा नहीं होता है। कई बार ऐसा भी देखा गया कि अच्छा वकील न होने की वजह से एक निर्दोष को भी सजा हो जाती है। जो वकील कानून का हवाले देते हुए केस जीतने की कोशिश करता है, वह कानून को हाथ में कैसे ले सकता है। अगर आप देश से प्यार करते हैं तो अपने देश के लोगों से प्यार करना सीखिए, उनकी समस्या को समझने की कोशिश कीजिए।

सिर्फ वकील नहीं, जरा मीडिया की बारे मे सोचिए। टीवी चैनल देखकर ऐसा लगने लगा है कि एंकर भी अपनी  देश भक्ति साबित  करने में पीछे नहीं हैं। अपने शो के दौरान एंकर गेस्ट के ऊपर चिल्‍लाते हुए यह साबित करने लगे हैं कि देश के सबसे बड़े भक्‍त एंकर ही हैं। किसी भी गेस्ट को बात करने का मौका नहीं देना, सिर्फ अपनी बात रखना... ये ही तो असली देश भक्ति है। जब एक एंकर बोलता है कि "पूरा देश जानना चाहता है " तो ऐसा लगता है कि देश का ठेका इन एंकरों ने लिया है। देश तो बहुत कुछ जानना चाहता है। देश तो यह भी जानना चाहता है कि जब एक किसान आत्महत्या करता है तो कितने एंकर, किसानों के पीछे खड़े हुए नज़र आते हैं। देश यह भी जानना चाहता है कि सामाजिक समस्या को लेकर एंकर कितना संजीदा है। जब देश के अंदर दंगे  का माहौल पैदा होता है तो क्या यह एंकर मैदान पर उतरते हैं और लोगों को समझाने की कोशिश करते हैं या स्टूडियो में  बैठकर इस मुद्दे पर ऐसे बहस करते है जैसे स्‍टूडियो के अंदर दंगा होने वाला है। कितने ऐसे एंकर हैं, जो फील्ड में जाते है, ग्राउंड रिपोर्टिंग करते हैं और देश की असली समस्या को दिखाने की कोशिश करते हैं।

असली देश भक्त तो सोशल मीडिया में छुपे हुए हैं जो अपनी पहचान छुपाकर दूसरों को गालियां देते हैं, मारने की धमकी देते हैं। अगर किसी पत्रकार की सोच से आप सहमत नहीं तो सामने आइए, उससे बहस कीजिये और यह साबित कर दीजिये कि वह गलत है। अगर ऐसा कर दिया और एंकर की सोच को बदल दिया तो आप से बड़ा देश भक्त कोई हो नहीं सकता। मैं भी मानता हूं कि मीडिया में काफी बदलाव आया है। कभी-कभी ऐसा लगता है कि पत्रकार किसी राजनैतिक दल की सोच से प्रभावित हैं। मीडिया व्‍यक्ति केंद्रित हो गया है, लेकिन सवाल यह उठता है कि कुछ पत्रकारों को चुन-चुनकर क्यों गाली दी जा रही है। उन पत्रकारों के ऊपर सवाल क्यों नहीं उठाया जाता जो किसी पार्टी के प्रवक्ता के रूप में बात करते हैं।

जेएनयू के अंदर अगर ऐसा कोई नारा लगाया गया है जो देश के खिलाफ है तो यह पूरी तरह गलत है। जो लोग इसमें शामिल हैं, उन्‍हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। ऐसे लोगों को माफ नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन यह सजा कानून देगा। कोर्ट के इन्‍वेस्‍टीगेशन से पहले टीवी स्टूडियो में इन्वेस्टीगेशन शुरू हो जाती है। गेस्ट को देखकर लगता है, जैसे दोनों तरफ से वकील बैठे हुए हैं और एंकर जज बन गया है। कभी-कभी ऐसा लगता है कि बहस से पहले स्टूडियो में बैठा हुआ जज अपना फैसला सुना देता है। एंकर रूपी जज ये ही साबित करना चाहता है कि शो से पहले वह अपने  दिमाग में जो जजमेंट लिखकर आया है वही सही है।

चलिए हम सब मिलकर देश से प्यार करते हैं। देश की लोगों से प्यार करते हैं। किसान के पास चलते हैं उसकी समस्या का समाधान करते हैं। गरीब की समस्या का समाधान करते हैं। यह कोशिश करते हैं कि देश में कोई खाली पेट नहीं सोये। यह मान लेते हैं कि देश हमारा परिवार है, अपनी  कमाई का एक हिस्सा दूसरों को देते हैं। जाति और धर्म के नाम पर वोट मांगना बंद कर देते हैं। बताइए, कौन-कौन है जो यह सब करने केलिए तैयार है। जरा आपका नाम बताइए, सामने आइए। कितने वकील हैं, कितने एंकर हैं, कितने राजनेता हैं, कितने वह लोग हैं जो हाथ में झंडा लेकर घूम रहे हैं। क्या वह लोग आएंगे जिन्‍होंने सोशल मीडिया में देश भक्ति का ठेका ले रखा है। अगर ऐसा करेंगे तो सबसे बड़े देश भक्त आप ही होंगे। लेकिन मुझे पता है कि ऐसा करने पहले आप दस बार सोचेंगे। लेकिन जब देश की प्रति अपना भक्ति साबित करने की समय आएगा तो बिना सोचे डंडा और झंडा लेकर प्रोटेस्ट करना शुरू कर देंगे।

सुशील कुमार महापात्रा एनडीटीवी इंडिया में गेस्ट डेस्क के हेड हैं

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