शरद शर्मा की खरी खरी: असंवेदनशीलता की हद कर दी एलजी ने

शरद शर्मा की खरी खरी: असंवेदनशीलता की हद कर दी एलजी ने

डेंगू का प्रकोप दिल्ली भर में...

दिल्ली में डेंगू किस तरह फ़ैल रहा है और किस तरह लोगों की जान इस बीमारी में जा रही है ये पिछले कई दिनों से हम लोग देख ही रहे हैं। और हम लोग ये भी देख रहे हैं कि कैसे न्यूज़ चैनल दिल्ली सरकार और नगर निगम की ज़िम्मेदारी तय करने में लगे हैं।

लेकिन, मेरे मन में एक बात कई दिन से आ रही थी जिसको मैं बोल नहीं रहा था। वो ये कि खुद को दिल्ली की 'सरकार' बताने वाले उपराज्यपाल नजीब जंग साहब ने ऐसा क्या किया जिससे दिल्ली में ऐसे हालात ना बनते और अब जब डेंगू भयानक रूप ले चूका है तब एलजी साहब ने क्या किया? कुल मिलाकर जब पूरा सिस्टम डेंगू से लड़ने में लगा था तब वो शख्स जो खुद को दिल्ली की सरकार बता रहा था उसका एक भी बयान या प्रेस रिलीज़ तक का ता पता नहीं था।

लेकिन, मुझे ये लेख रात के एक बजे लिखने के लिये मजबूर होना तो उसका कारण है उपराज्यपाल की तरफ से दिल्ली के सभी सरकारी विभाग में भेजा गया वो आदेश जिसमे वो डेंगू पर कुछ नहीं बोल रहे बल्कि अधिकारियों को चेतावनी दे रहे हैं कि अगर भारत सरकार के आदेश की बजाय दिल्ली सरकार की बात मानोगे तो कार्रवाई होगी।

इस आदेश में मुख्य रूप से सीएनजी फिटनेस घोटाले में जो दिल्ली सरकार ने जांच आयोग बनाया जिसको गृह मंत्रालय ने अवैध घोषित कर दिया था उसका और दूसरे कुछ और मामलों का ज़िक्र है जिसमें केंद्र सरकार दिल्ली सरकार का आदेश रद्द कर देती है लेकिन दिल्ली सरकार उस पर आगे बढ़ती है। ज़ाहिर है, अफसर वही करते हैं तो दिल्ली सरकार कहती है इसलिए उनको चेतावनी दी गयी है कि संविधान का उल्लंघन हो रहा है और जो भी करिएगा अपने जोखिम पर करिएगा क्योंकि ऐसा करने पे कड़ी कार्रवाई होगी।

मुझे एलजी साहब के इस आदेश पर कोई आपत्ति नहीं है। क्योंकि एलजी/केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार में पिछले काफी समय से ये लड़ाई चल रही है। और अलग अलग तरह के आदेश इस लड़ाई में दोनों तरफ से आते रहते हैं लेकिन कोई मानता ही नहीं। लेकिन सवाल ये है कि जब दिल्ली में डेंगू महामारी का रूप लेने की और बढ़ रहा है ऐसे में एलजी साहब को अपने अधिकारों की चिंता सता रही है?

डेंगू पर,इसकी रोकथाम पर,हालात पर,नगर निगम पर,दिल्ली सरकार पर या किसी पर भी एलजी साहब का एक बयान नहीं दिखा और दिखा तो अफसरों को धमकी भरा आदेश? इस समय दिल्ली सरकार जब अपने सभी अफसरों पर डेंगू से लड़ने के लिए दबाव बना रही है ऐसे में अफसरों को ऐसे आदेश देना क्या उनका मनोबल प्रभावित नहीं कर देगा?
 

ऐसी क्या ज़रूरत पड़ी थी एलजी साहब को ऐसे मौके पर ऐसे आदेश देने की? अरे ये लड़ाई तो चल ही रही थी और चलती रहेगी और वैसे भी मामला कोर्ट में भी चल ही रहा है तो चार दिन बाद ऐसे आदेश दे देते तो क्या हो जाता?

एलजी साहब के आदेश की टाइमिंग ने उनकी असंवेदनशीलता को दर्शाया है और मैं तो कहूंगा कि उन्होंने असंवेदनशीलता की हद ही कर दी है। आप लोगों की लड़ाई अपनी जगह है लेकिन जिस समय बिलकुल इमरजेंसी घोषित हुई है दिल्ली में डेंगू पर,सारे डॉक्टर और स्टाफ की छुट्टियां रद्द हो गई हैं, लोगों को अस्पताल में दाखिले के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है, दिल्ली के हर कोने में डेंगू का खौफ व्याप्त है। ऐसे समय में बजाय डेंगू पर कुछ करते दिखने के आपका अधिकारों की लड़ाई में जुटे रहना और अफसरों को धमकाना......मुझे एलजी साहब से ऐसी उम्मीद नहीं थी।

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