दिल्ली में बीते हफ़्ते पेड़ों की कटाई पर खूब चर्चा रही. हज़ारों पेड़ काटे जाने की ख़बर सुर्खियों में आई तो सरकार पर तोहमत आई. लिहाज़ा सरकार ने भी लंबे लंबे दावे करके ये बताने की कोशिश कि सब ठीक है, हल्ला मचाना गलत है. लेकिन सरकार के दावों और ज़मीनी हक़ीक़त में कितना अंतर होता है ये मैंने भी तब जाना जब सरकार के हवाई दावों की तह में गया.
कानूनन दिल्ली में एक पेड़ काटोगे तो बदले में आपको 10 पौधे हर्जाने के तौर पर लगाने होंगे. केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने भी ट्वीट कर कहा कि एक के बदले 10 लगाएंगे. लेकिन कुछ आपको पता है कि ये पेड़ काटकर हर्जाने के तौर पर पौधे कहां लगाए जाएंगे?
जो भी दिल्ली के अंदर रहता है या दिल्ली का भूगोल समझता है वो ये जानकर हंसेगा. सरकार के मुताबिक सेंट्रल दिल्ली के नौरोजी नगर, नेताजी नगर, और मथुरा रोड जैसे महत्वपूर्ण और दिल्ली का दिल कहे जाने वाले इलाके से हज़ारों पेड़ काटकर हर्जाने वाले 10 गुना पौधे यमुना किनारे कहीं जंगल में लगाए जाएंगे. सोचकर देखिए आपके अपने रिहायशी इलाके से पेड़ काटकर शहर को वीरान करके बदले में 10 गुना पौधे कहीं दूर जाकर वीराने में लगाने की योजना आपको तर्कसंगत लगती है?
खैर आगे बढ़िये...
NGT के दिशानिर्देश हैं कि पहले हर्जाने वाले 10 पौधे लगाओ उसके बाद ही कोई पेड़ काटो. नॉरोजी नगर में कुल 1465 पेड़ काटे जाने हैं जिसके बदले में 14650 पौधे उत्तर पूर्वी दिल्ली में यमुना किनारे गढ़ी मांडू वन में सिगनेचर ब्रिज और वजीराबाद बैराज के बीच लगाए जाने हैं. नॉरोजी नगर में अब तक 1302 पेड़ काटे जा चुके हैं यानी अब तक उसके हर्जाने के 13020 पौधे लग जाने चाहिए? लेकिन मैं इस इलाके में गया तो इस वाली योजना का एक भी पौधा लगा हुआ नहीं मिला.
नेताजी नगर में कुल 2490 पेड़ हटाये या काटे जाने हैं जिसके बदले में 21450 पौधे हर्जाने के तौर लगाए जाने हैं. जिनमें कुछ हिस्सा उत्तर पूर्वी दिल्ली में यमुना किनारे गढ़ी मांडू वन में सिगनेचर ब्रिज और वजीराबाद बैराज के बीच, कुछ हिस्सा यमुना किनारे ही ITO बैराज और यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन के बीच और कुछ हिस्सा यमुना किनारे ही यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन और CWG विलेज रेलवे लाइन के बीच लगाया जाना है. लेकिन यहां पर भी एक भी पौधा इस योजना के तहत नहीं लगा.
प्रगति मैदान के इर्द गिर्द एक सुरंग के ज़रिए रिंग रोड को मथुरा रोड से जोड़ने और एक ट्रांजिट कॉरिडोर बनाये जाने की योजना है जिसके लिए कुल 1535 पेड़ काटे जाने हैं, बहुत से काटे भी जा चुके हैं. इसके हर्जाने के 15350 पौधे भी यमुना किनारे यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन के पास लगने हैं लेकिन ये भी नहीं लगे.
खास बात ये है कि इन तीनों मामले में पौधे बाढ़ की ज़मीन पर लगाये जाने हैं. यानी बाढ़ आने पर पौधे बह जाने की संभावना है. साथ ही यमुना किनारे कौन देखने जा रहा है कि कौन से पेड़ काटकर कौन से पौधे लगाए जा रहे हैं, कितने लगाए जा रहे हैं. नीम, पीपल, जामुन के पेड़ काटकर कहीं शोपीस पौधे तो नहीं लगाए जा रहे? कोई हिसाब कैसे रखेगा? जहां जाते गए हैं वहां तो फिर भी लोग हिसाब लगा लेंगे लेकिन यमुना किनारे...
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन ने बताया कि इन तीनों मामले में यमुना किनारे ज़मीन डीडीए ने उनको अभी तक नहीं दी है. डीडीए को कई बार वन विभाग लिख चुका है लेकिन अभी तक ज़मीन हैंडओवर नहीं हुई. बताइये हज़ारों पेड़ कट गए और जब हर्जाने वाले पौधे देखने निकले तो पता लगा ज़मीन ही नहीं, पौधे तो बहुत दूर की बात है.
यही नहीं सरकार एक दावा और कर रही है कि वो पेड़ को काटने की जगह उसको ट्रांसप्लांट भी कर रही है. यानी उस पेड़ की मूल जगह से उखाड़कर दूसरी किसी पास की जगह लगा रही है. इस दावे से सरकार के संवेदनशील होने का माहौल बनता है. मैं शुक्रवार को नॉरोजी नगर की साइट पर गया. वहां मैंने ट्रांसप्लांट हुए पेड़ों की स्तिथि देखी. ट्रांसप्लांट हुए बहुत से पेड़ सूख चुके थे और उनको देखकर ऐसा नहीं लगता था कि कल को ये हरे होंगे. यानी सरकार की ये टेक्नोलॉजी कितनी कामयाब है इसपर सवाल हैं.
शरद शर्मा एनडीटीवी इंडिया में वरिष्ठ संवाददाता हैं.
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This Article is From Jun 30, 2018
दिल्ली में पेड़ों की कटाई : आसमान में दावे, ज़मीन पर सच्चाई
Sharad Sharma
- ब्लॉग,
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Updated:जून 30, 2018 21:52 pm IST
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Published On जून 30, 2018 21:52 pm IST
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Last Updated On जून 30, 2018 21:52 pm IST
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