चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं. केरल के नीलांबुर, पंजाब की लुधियाना पश्चिम सीट, गुजरात के काडी और विसावदर और पश्चिम बंगाल की कालीगंज सीट पर उपचुनाव हुए थे. केरल के नीलांबुर को छोड़कर बाकी जगहों पर वही पार्टी जीती है, जिसने पिछली बार भी इन सीटों को जीता था. नीलांबुर की सीट को कांग्रेस ने वाम मोर्चे से छीना है और वहां सीपीएम को हराया है जबकि गुजरात की विसावदर सीट आम आदमी पार्टी ने बचाई है जबकि उनका विधायक भूपेन्द्र भयानी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे, जिसकी वजह से यहां उपचनाव करवाना पड़ा.
इस उपचुनाव के नतीजे से तीन बड़े संकेत मिल रहे हैं, पहला संकेत है केरल के नीलांबुर से जहां कांग्रेस के आर्यादन शौकत ने सीपीएम के एम स्वराज को हराया है. ये सीट दो बार के विधायक रहे और सीपीएम के सर्मथन से जीतने वाले निर्दलीय पीवी अनवर के इस्तीफा देने से खाली हुई थी.अनवर इस बार भी निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़े और उन्हें करीब 10 हजार वोट मिले और यही अंतर रहा कांग्रेस और सीपीएम के जीत की भी. कांग्रेस के लिए नीलांबुर की जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यह विधानसभा वायनाड लोकसभा में आती है और वहां की सांसद होने के नाते प्रियंका गांधी ने भी चुनाव प्रचार में जमकर हिस्सा लिया था. नीलांबुर में कांग्रेस ने तीसरी बार उपचुनाव जीता है.
1970 और 1980 में भी कांग्रेस नीलांबुर का सीट उपचुनाव में जीत चुकी है. कांग्रेस ने 2021 के बाद पहली बार कोई सीट सीपीएम से जीती है. यहां मतदान का प्रतिशत भी सबसे ज्यादा 73.26 फीसदी रहा है. केरल में इसी साल स्थानीय निकायों के चुनाव होने हैं और अगले साल विधानसभा के. ऐसे में कांग्रेस की इस जीत को केरल के लिहाज से एक संकेत के रूप में देखा जा रहा है, जहां कहा जाता है कि कांग्रेस बंटी हुई है. शशि थरूर का अपना कैंप है और बाकियों का अपना. यहां से जीतने वाले आर्यदन शौकत के पिता भी 1987 से लेकर 2016 तक इस सीट को जीतते आए थे.
दूसरी सबसे बड़ी कहानी है आम आदमी पार्टी का विसावदर की सीट जीतना. यह सीट तब खाली हुई थी जब आप विधायक बीजेपी में चले गए थे. आम आदमी पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेता गोपाल इटालिया को मैदान में उतारा था, जिन्होंने साढ़े 17 हजार से जीत दर्ज की. इस जीत के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी ने जो हमारा विधायक चोरी किया था उसे हम छीन लाए मतलब साफ है कि अब लड़ाई BJP Vs AAP है. गुजरात में कांग्रेस अब नहीं रह गई, कांग्रेस बीजेपी की कठपुतली बनकर रह गई है. गुजरात में 2027 में विधानसभा के चुनाव होने हैं.
तीसरी कहानी लुधियाना पश्चिम के उपचुनाव की.यह सीट आम आदमी पार्टी के विधायक के निधन के बाद खाली हुई थी और यहां से आप ने अपने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को टिकट दिया था.संजीव अरोड़ा जीते भी.कहा जा रहा है संजीव अरोड़ा की खाली हुई राज्यसभा सीट से शायद अरविंद केजरीवाल चुनकर आएं मगर उपचुनाव में जीत के बाद हुई प्रेस कांफ्रेंस में केजरीवाल ने राज्यसभा में जाने से इंकार किया है.लुधियाना उपचुनाव में कांग्रेस के भारत भूषण आशु दूसरे स्थान पर रहे उन्हें 24,542 वोट मिले जबकि संजीव अरोड़ा को 35,179 वोट, मगर असली कहानी बीजेपी और अकाली दल की है. लुधियाना उपचुनाव ये संकेत दे रहा है कि यदि पंजाब में बीजेपी को कुछ करना है तो उसे अकाली दल का साथ लेना होगा. अब ये कैसे होगा ये दोनों दलों पर निर्भर करता है क्योंकि किसान आंदोलन के बाद इनके संबंध बहुत खराब हो गए हैं मगर आंकड़े यही इशारा कर रहे हैं.लुधियाना उपचुनाव में बीजेपी के 20,323 और अकाली दल के 8,203 के वोट अगर जोड़ दिए जांए तो बीजेपी-अकाली गठबंधन दूसरे नंबर पर आता है और वो आम आदमी पार्टी को चुनौती दे सकता है.बाकी दो और सीटों पर जहां उप चुनाव हुए गुजरात के काडी और पश्चिम बंगाल के कालीगंज वहां सत्तारूढ़ दलों ने जीत दर्ज की है.बंगाल में टीएमसी की जीत का अंतर बीजेपी से और बढ़ा है.
मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में मैनेजिंग एडिटर हैं...
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.