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This Article is From Oct 17, 2016

बॉब डिलेन को रवीश कुमार का पत्र- कहां हो बॉब...

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अक्टूबर 17, 2016 23:38 pm IST
    • Published On अक्टूबर 17, 2016 23:38 pm IST
    • Last Updated On अक्टूबर 17, 2016 23:38 pm IST
प्रिय बॉब डिलेन,

आशा है तुम जहां कहीं भी होगे, सकुशल होगे. तुम्हें तो पता ही होगा कि तुम्हें इस साल का साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला है. क्या है कि स्वीडिश अकादमी कई साल से इंतजार कर रही थी कि तुम कुछ साहित्यिक लिखो तो वे नोबेल दे दें, लेकिन तुमने लिखा ही नहीं. अच्छी बात यह है कि वे तुम्हें नोबेल देने के इरादे से पीछे नहीं हटे. कहा कि कोई बात नहीं. बॉब डिलेन को हम उसके गीतों के लिए देंगे. पता है बॉब जैसे ही पता चला कि तुम्हें इस साल का नोबेल पुरस्कार मिला है, हमने सबसे पहले यही पता किया कि तुम हो कौन. पता चलते ही यू ट्यूब से तुम्हारे ब्लैक एंड व्हाइट गीत खूब सुने. मज़ा आया यार.

यह क्या बॉब. स्वीडिश अकादमी तुमसे संपर्क करना चाहती है. गुड न्यूज बताना चाहती है. तुम फोन उठा नहीं रहे या तुम्हारा फोन लग नहीं रहा. कहीं तुम कॉल ड्राप वाली राजधानी दिल्ली में तो नहीं हो. अगर दिल्ली में हो तो फौरन बारापुला फ्लाईओवर से उतरकर मूलचंद अस्पताल की तरफ आ जाओ. वहां सिग्नल मिल जाता है. वहां से तुम स्वीडिश अकादमी को कॉल बैक कर सकते हो.

सिग्नल का प्राब्लम नहीं है तो कोई बात नहीं. अगर तुमने भारत की किसी यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया है तो एक काम करो. तुरंत सरकार की आलोचना कर दो या पुतला जला दो. वाइस चांसलर तुम्हें खोज ही लेंगे और तुम्हें स्वीडिश अकादमी के हवाले कर देंगे. तुम खुद नहीं चलोगे तो भी टांगकर तुम्हें वहां पहुंचा दिया जाएगा. तमाम परिस्थितियों से मुझे यही लगता है कि तुम भारत में हो. इसीलिए तुम डरकर बाहर नहीं आ रहे.

चिंता नहीं करो. यहां डर का माहौल सिर्फ टीवी डिबेट में है. लोगों को एंकर से ही डर लगता है, इसलिए सरकार एंकरों को सुरक्षा दे रही है. बाकी यहां सड़क पर सब सामान्य है. बॉब अगर तुम टीवी देखकर भारत के बारे में अंदाजा लगा रहे हो तो गलत हो. तुम बेखौफ़ बाहर आओ और स्वीडन चलो. कम से कम नोबेल कमेटी के खर्चे पर मुझे ले चलो. मैं अकेले ही चलूंगा. मेरे साथ सुरक्षाकर्मी नहीं होते हैं. इसलिए उनके टिकट का पैसा तो बच ही गया न.

लेकिन हां नोबेल लेने के बाद पुरस्कार वहीं जमा कर देना. मैं साफ-साफ बात करता हूं. तुम्हें धोखे में नहीं रखना चाहता. क्या है कि तुमसे पहले गीतों के लिए हमारे पूजनीय गुरुदेव की गीतांजली को नोबेल मिला था. लेकिन 2004 में उनका मेडल चोरी हो गया. तब से हमारी सीबीआई चोर को पकड़ नहीं सकी है. अब बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सीबीआई से केस लेकर खुद जांच करवाना चाहती हैं. यह पहला मामला होगा जब कोई राज्य सीबीआई से केस मांगेगा. वर्ना हमारे राज्यों में हर केस सीबीआई को सौंपने का चलन है. बंगाल का चुनाव था तो नेताजी की पुरानी-पुरानी फाइलें ले आए सब. अगर उस वक्त तुम्हें नोबेल मिला होता तो गुरुदेव का मेडल भी खोज लाते.

कोई बात नहीं. भारत में 'विंड ब्लो' कर रहा है. हम अब हवाओं में ही जवाब ढूंढ रहे हैं. मुझे फिजाओं में तो कुछ नजर नहीं आ रहा है. खैर तुम दुखी न हो. बाहर आओ और अपना नोबेल लेने चलो. अकादमी ने कहा है कि तुम नहीं आओगे तो भी पार्टी चलेगी. यार, बेकार में दो प्लेट खाना बर्बाद होगा. मेरा पत्र पढ़ते ही बाहर आ जाओ. चलो न नोबेल लेने चलते हैं.

तुम्हारा

रवीश कुमार

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