पूरा रविवार यह बताने में गुजर गया कि अग्निवीर को सेना में क्या-क्या मिलेगा और सेना के बाहर क्या-क्या मिलेगा. वायु सेना के बाद थल सेना ने भी अग्निवीर की भर्ती का नोटिफिकेशन निकाल दिया. यानी सरकार इस योजना पर स्पष्ट तरीके से बढ़ चुकी है. सोमवार को जारी सेना के नोटिफिकेशन में साफ-साफ बताया गया है कि अग्निवीर को क्या-क्या मिलेगा और क्या-क्या नहीं मिलेगा. रविवार की प्रेस कांफ्रेंस में सैन्य मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव,लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने साफ-साफ कहा था कि सेवा शर्तों में अग्निवीरों के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा.
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने एक दम साफ-साफ कहा है कि कोई गुंज़ाइश ही नहीं है कि रत्तीभर भी उसको हम छोटा सोचें. आप कह सकते हैं कि लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी भत्तों के संदर्भ में कह रहे हैं कि कोई फर्क नहीं किया जाएगा लेकिन आज के नोटिफिकेशन में कई शर्तों में अंतर दिखाई नहीं देता. आम सैनिक को जहां साल में 90 दिनों की छुट्टी मिलती है, अग्निवीर को एक साल में 30 दिनों की छुट्टी मिलेगी. क्या यह सेवा शर्तों में अंतर नहीं है? यही नहीं अग्निवीर एक अलग रैंक होगा. यूनिफार्म सैनिकों का है मगर कंधे पर अलग बैज होगा. अग्निवीरों को पूर्व सैनिकों का दर्जा नहीं मिलेगा. अग्निवीर को चार साल बाद सेना की कैंटीन का लाभ बंद हो जाएगा. अग्निवीर को चार साल बाद पूर्व सैनिकों वाली मेडिकल सुविधा नहीं मिलेगी. अग्निवीरों को पूर्व सैनिकों को मिलने वाली अन्य सुविधाएं नहीं मिलेंगी. अग्निवीर को पेंशन और ग्रेच्युटी नहीं मिलेगी. सामान्य सैनिकों की तरह अवार्ड मिलेगा. चार साल बाद स्किल सर्टिफिकेट मिलेगा. 12 वीं का सर्टिफिकेट मिलेगा.
इन शर्तों को पढ़कर आम सैनिक और अग्निवीर को सेवा और सेवा के बाद मिलने वाली सुविधाओं में कई बिन्दुओं पर अंतर दिखते हैं. सेना ने अपने नोटिफिकेशन में यह भी है कि चार साल पूरे होने पर सभी अग्निवीर निकाल दिए जाएंगे. हर बैच से किसे चुना जाएगा यह सेना का अधिकार होगा. सभी को रेगुलर कैडर के लिए अप्लाई करने का मौका मिलेगा. लेकिन हर बैच से 25 प्रतिशत नियमित कैडर के लिए चुने जाएंगे. जो चुने जाएंगे उनका रैंक जूनियर कमीशंड अफसर का होगा और 15 साल की सेवा होगी. चार साल तक अग्निवीरों की मेडिकल जांच होगी, तरह तरह के इम्तिहान देने होंगे.
नोटिफिकेशन में कहा गया है कि अग्निवीर जनरल ड्यूटी, अग्निवीर टेक्निकल, अग्निवीर क्लर्क, अग्निवीर स्टोर कीपर और अग्निवीर ट्रेड्समैन के लिए जुलाई महीने से पंजीकरण होगा. अग्निवीर के पैकेज को लेकर अलग-अलग राशि बताई जा रही थी लेकिन आज जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि पहले साल का मासिक पैकेज 30000 है, चौथे साल का मासिक पैकेज 40,000 का होगा. भत्ते वगैरह अलग से दिए जाएंगे. हर अग्निवीर के मासिक वेतन का 30 परसेंट सेवा निधि में जमा होगा. इतना ही सरकार अपनी तरफ से जमा करेगी. दोनों का मिलाकर 10 लाख 4 हज़ार होते हैं, ब्याज की राशि अलग से होगी. ब्याज फिक्स नहीं है, मगर इस राशि पर कोई आयकर नहीं लगेगा.
पहले बताया गया गया कि चार साल पूरे होने पर अग्निवीरों को 11 लाख 72 हज़ार मिलेंगे, सेना के नोटिफिकेशन में यह राशि 10 लाख 4 हज़ार है. ब्याज अलग से. आधा पैसा तो अग्निवीर का ही है. सरकार केवल पांच लाख अपनी तरफ से देगी. सेना के नोटिफिकेशन में लिखा है कि सेवा के दौरान 48 लाख का बीमा मिलेगा. इसके लिए उन्हें प्रीमियम नहीं देने होंगे. चार साल बाद यह सेवा समाप्त हो जाएगी.
एक करोड़ का इंश्योरेंस मिलेगा, लेकिन नोटिफिकेशन में है कि 48 लाख का बीमा मिलेगा. प्रेस कांफ्रेंस में कई बार शब्द इधर से उधर हो जाते हैं, बेहतर है इस पर सेना की एक और सफाई का इंतज़ार कर लें. यह सब पहले बता दिया ताकि अग्निवीरों को मिलने वाली शानदार सुविधाओं से ध्यान न हटे और युवा अफवाहों के जाल में न फंसें. रविवार को सेना ने यह भी साफ कर दिया है कि अग्निवीर से ही अब नई भर्ती होगी और जो भी भर्ती होगी अग्निवीर से होगी. पुराने फॉर्म या पुरानी प्रक्रिया जो शुरू हो गई थी, वो रद्द हो चुकी है.
तो इस तरह से रविवार से बहस चली कि अग्निवीर योजना से कितने फायदे हैं, उससे भी बड़ी बहस इस बात को लेकर होने लगी कि अग्निवीर से ज़्यादा फायदा सेना को है या दूसरे रोज़गारों को है? रविवार को अग्निवीर के फायदे की लिस्ट इतनी लंबी होने लगी कि रविवार का दिन छोटा पड़ने लगा, लगा सोमवार आते-आते भारत की जनता अब हर लाभ या फायदे को अग्निवीर कहने लगेगी. फायदा या लाभ की जगह अग्निवीर का इस्तेमाल करने लगेगी. शेयर बाज़ार में फायदा होगा तो कहेगी अग्निवीर हुआ, घाटा होने पर कहेगी अग्निवीर नहीं हुआ. केवल फायदा गिनाने के लिए इतने लोग मैदान में उतर गए हैं कि अब फायदा गिनने से ज्यादा मुश्किल काम इन लोगों की गिनती करना हो गया है. मौजूदा सैनिक अफसर, जनरल और वरिष्ठ नेतृत्व फायदा गिना रहे हैं तो रिटायर्ड जनरल और अफसर भी फायदा गिनाने आ गए हैं. उनके रहते किसी की ज़रूरत नहीं थी.
मगर इस योजना को श्रेष्ठ बताने के लिए धर्म गुरु और उद्योगपति भी मैदान में उतर गए हैं. गुजरात पहुंचे बाबा राम देव ने कहा है कि योजना का विरोध कर रहे देशद्रोही हैं. अग्निवीर योजना से सेना और देश दोनों का भला होगा. आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर भी योजना को उत्तम बता रहे हैं और अपील कर रहे हैं कि योजना को समझकर इससे मिलने वाली सुविधा और प्रशिक्षण को अपने और राष्ट्र हित में लगाएं. उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने ट्विट किया है कि इस योजना से कुशल अग्निवीरों को बहुत काम मिलेगा. महिंद्रा ग्रुप भी ऐसे कुशल और योग्य युवाओं को नियुक्ति के अवसर का स्वागत करता है. इंडस्ट्री को तैयार लोग मिलेंगे जो प्रशासन से लेकर सप्लाई चेन तक का काम संभालेंगे. हर्ष गोयनका ने ट्विट किया है कि RPG ग्रुप अग्रिवीर को नौकरी पर रखने के अवसर का स्वागत करता है. उम्मीद है कि दूसरे कॉरपोरेट भी यह शपथ लेंगे और युवाओं के भविष्य को आश्वस्त करेंगे. भारत बायोटेक की किरण मजुमदार शॉ ने भी हर्ष गोयनका के ट्विट पर लिखा है कि मैं यकीन करती हूं कि इंडस्ट्री के जॉब मार्केट में अग्निवीर को विशेष फायदा होगा. प्रधानमंत्री भी बार बार कह रहे हैं कि रिफार्म अप्रिय लग सकता है लेकिन आगे चल कर फायदा होगा.
अग्निपथ योजना का लाभ बताने में गोदी मीडिया भी काफी मेहनत कर रहा है, उसकी इस सेवा को भी देश सेवा में गिना जाना चाहिए. नोटबंदी के समय गोदी मीडिया ने इतनी मेहनत की कि 2000 के नोट में जीपीएस टेक्नालॉजी लगा दिया. अब देखिए कमाल अमिताभ बच्चन उसी झूठ को लेकर कौन बनेगा करोड़पति का प्रोमो कर रहे हैं. कि खबरों को सुनते वक्त टटोल लिया करें कि सही है कि नहीं.
क्या नोटबंदी की तरह ही इस बार फायदा बताने वालों की होड़ मच गई है. मोदी सरकार के मंत्री और बीजेपी के नेता भी किसी से पीछे नहीं हैं. मोदी सरकार के संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि कपड़ों की धुलाई, बाल की कटाई और बिजली मिस्त्री से लेकर वाहन चालक तक का काम मिलेगा क्योंकि चार साल इसकी ट्रेनिंग दी जाएगी. फायदा गिनाने वालों में बीजेपी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय क्यों पीछे रहते. वे भी आगे आ गए.
इतने स्पष्ट बयान के बाद भी कैलाश विजयवर्गीय कहते हैं कि टूलकिट से जुड़े लोग तोड़मोड़ करके कर्मवीरों का अपमान करने की कोशिश कर रहे हैं. उनकी सफाई की भाषा का अध्ययन होना चाहिए कि इस तरह से सफाई जारी की जाए कि लगे ही न कि बयान क्या था.
अच्छा हुआ सफाई आ गई वैसे उनसे पूछा जा सकता था कि बीजेपी के दफ्तर के बाहर जो गार्ड तैनात है, उनका क्या होगा, क्या उन्हें अब गार्ड की नौकरी के लिए अग्निवीर बनना होगा? यह भी पूछा जा सकता था कि कैलाश विजयवर्गीय जी पार्टी दफ्तर में तैनात सिक्योरिटी गार्ड को अग्निवीर जितना वेतन देते हैं? चौथे साल में अग्निवीर का पैकेज 40,000 बताया गया है.
केंद्रीय मंत्री और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह का यह बयान और भी व्यावहारिक और सुंदर है कि अग्निवीर वैकल्पिक है. वैसे तो दुनिया की हर नौकरी वैकल्पिक है. तो क्या उसकी शर्तों को लेकर कोई बात ही न हो.
इस बीच कांग्रेस नेता अजय माकन ने आज प्रेस कांफ्रेंस में भारत के पहले चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का बयान जारी किया जिसमें वे कह रहे हैं कि जवानों के रिटायरमेंट की उम्र बढ़ानी चाहिए. जवानों की रिटायरमेंट एज बढ़ेगी तो सेना बेहतर होगी.
सरकार ने साफ कर दिया है, अग्निपथ आ चुका है. अग्निवीर के लिए नोटिफिकेशन आने लगे हैं. साथ ही इस बहस में अजीब मोड़ आ गया है. कहा जा रहा है कि अग्निवीर के पास एक विशेष स्किल होगा जिसके कारण इंडस्ट्री और सिक्योरिटी कंपनियों में काम मिलेगा. लेकिन इसकी ट्रेनिंग के लिए भारत में अनेक टाप क्लास प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनियां हैं ही और स्किल इंडिया में भी इसके लिए एक प्रोग्राम है. 2015 में स्किल इंडिया लांच हुई तो उसमें सिक्योरिटी गार्ड के लिए 160 घंटों की ट्रेनिंग का ज़िक्र है.क्या सरकार बता सकती है कि स्किल इंडिया ने कितने सिक्योरिटी गार्ड तैयार किए. स्किल इंडिया से तैयार कितने सिक्योरिटी गार्ड को कारपोरेट ने नौकरी दी है? स्किल इंडिया से तैयार गार्ड सप्लाई चेन से लेकर कोरपोरेट सुरक्षा क्यों नहीं कर सकते?
स्किल इंडिया के पहले से ही भारत में प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनियों का जमा जमाया कारोबार है. प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनियां ज़्यादा बड़े रिस्क को कवर कर रही हैं और भारत सहित दुनिया भर में उनकी अपनी पहचान है. इस सेगमेंट की कई कंपनियां जैसे SIS,APS GS4 और रिलायंस के गार्ड भारत और दुनिया भर में तैनात हैं. रिलायंस जैसी कंपनी के पास अपनी सिक्योरिटी ट्रेनिंग है और कंपनी है. जिसमें अप्लाई करने की शर्तों में यह भी शामिल है कि युवक के पास NCC की B और C सर्टिफिकेट हो. उद्योग जगत की हर ज़रूरत को ये कंपनियां पूरा करती हैं.अगर इन कंपनियों के सिक्योरिटी सिस्टम में पेशेवर कमी होती, ट्रेनिंग नहीं होती तो बड़े-बड़े कारपोरेट हाउस से लेकर फाइव स्टार, बैंक, और अरबों रुपए की संपत्ति वाले मॉल, लाखों हाउसिंग सोसायटी की सुरक्षा कैसे होती. यहां तक कि मीडिया हाउस की सुरक्षा भी प्राइवेट एजेंसियों के ही गार्ड करते हैं. टेक्नालॉजी में भी ये कंपनियां और इनके गार्ड किसी से कम नहीं हैं. सबसे बड़ी बात है कि इन्हें ट्रेनिंग देने वालों में ज़्यादातर सेना से ही रिटायर अफसर हैं. कुछ रिटायर्ड अफसरों की अपनी सिक्योरिटी कंपनी भी है.
सेना के रिटायर अफसर लाखों प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड की फौज संभाल रहे हैं, उन्हें ट्रेनिंग देते हैं, फिर क्यों कहा जा रहा है कि चार साल बाद अग्निवीरों को प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड में तैनाती होगी, कारपोरेट इन्हें काम पर रखेंगे? थल सेना चौथे साल में अग्निवीर को 40,000 का पैकेज देगी, क्या कारपोरेट अग्निवीरों को इतनी सैलरी देगा? मौजूदा अफसर से ट्रेनिंग लेकर आएं या रिटायर अफसर से, सिक्योरिटी गार्ड के काम और जीवन सुरक्षा में क्या अंतर आने वाला है? ऐसा नहीं है कि सेना और सिक्योरिटी चलाने वाली कंपनियां में दूरी है.
यह पत्र सूचना कार्यालय PIB की प्रेस रिलीज है. 16 सितंबर 2021 की. इसमें जानकारी दी गई है कि रक्षा मंत्रालय ने NCC की व्यापक समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है. बीजेपी के नेता और पूर्व सांसद बैजयंत पांडा इसके चेयरमैन है. इसके 14 सदस्यों में महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा, और प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनी SIS इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक ऋतुराज सिन्हा इसके सदस्य हैं. इससे संकेत मिलता है कि NCC की समीक्षा के बहाने इंडस्ट्री और प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनियां रक्षा मंत्रालय के संपर्क में आ गई थीं. इस पर भी यथोचित ध्यान देने की ज़रूरत है. भारत में प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड का कारोबार 57000 करोड़ का है, क्या इतना बड़ा बिज़नेस बिना ट्रेनिंग और अनुशासन के खड़ा हो गया है? अगर अग्निवीर के फायदे गिनाते हुए पुलिस और अर्ध सैनिक बलों के अलावा प्राइवेट सुरक्षा के बाज़ार की तरफ दिखाया जा रहा है तो आप एक बार प्राइवेट सुरक्षा सेक्टर की तरफ भी देख लें. कुछ साल पहले टैक्स और ऑडिट का काम करने वाली कंपनी BDO ने FICCI के साथ एक रिपोर्ट तैयार की है. इसके अनुसार प्राइवेट सिक्योरिटी भारत में सबसे ज़्यादा रोज़गार देने वाले सेक्टर में से एक है.
2016 में 89 लाख लोगों को रोज़गार मिला है, जो सेना के तीनों अंगों की क्षमता से ज़्यादा है. 2016 में प्राइवेट सिक्योरिटी का बाज़ार 57000 करोड़ का था, जो 2022 तक 1.5 लाख करोड़ का हो जाएगा. भारत में अगर 100 सुरक्षाकर्मी हैं तो इसमें 83 प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड हैं, 17 पुलिस के सिपाही हैं. जर्मनी में यह अनुपात 50/50 का है, अमेरिका में 58 प्राइवेट गार्ड हैं, 42 सरकारी गार्ड हैं.
पूरी दुनिया में पुलिस की संख्या कम हो रही है और प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड की संख्या बढ़ रही है. यह मामला विकल्प का नहीं है.अगर पुलिस की भर्ती ज़्यादा होती तो युवा पुलिस में जाते.
जो कोई यह दलील दे रहा है कि पुलिस की भर्ती में अग्निवीर को प्राथमिकता मिलेगी उसे यह रिपोर्ट पढ़नी चाहिए. मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट को यूपी और बिहार से कहना पड़ा कि आप सिपाही की भर्ती कैसे करेंगे, इसका ख़ाका बनाकर दीजिए, इसके अलावा 12 राज्यों को भी इसी तरह का निर्देश दिया गया था.यह केस 2013 से चल रहा था कि पुलिस की भर्ती नहीं हो रही है.बहुत सारे पद ख़ाली हैं. उस साल 24 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया था कि चार साल में डेढ़ लाख पदों की भर्ती करें.
पुलिस की भर्ती खाली थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट को आदेश देना पड़ा. कोई भर्ती इतनी आसानी से नहीं निकलती है और निकलती है तो समय पर पूरी नहीं होती है. कई सरकारें आगे आकर कह रही हैं कि वे अपनी भर्तियों में अग्निवीर को आरक्षण और प्राथमिकता देंगी. अच्छी बात है, उन्हें यह भी बताना चाहिए कि उन भर्तियों की हालत क्या है, कब आखिरी बार निकली हैं, और पिछले पांच साल में कितनी बहाली हुई है? सेना में बहाली का एक कैलेंडर होता है, क्या उस तरह से इन राज्यों में पुलिस की बहाली होती है? कई राज्यों के लिए जवाब ना में ही आएंगे.
बिहार में जिस तरह से रेलगाड़ियों को निशाना बनाया गया है, उससे रेलवे को कई सौ करोड़ का नुकसान हुआ है. यही नहीं असुरक्षा के कारण कई सौ रेलगाड़ियों के फेरे रद्द करने पड़े जिससे रेल यात्रियों को भारी परेशानी का सामना कर पड़ रहा है. रेलवे स्टेशन पर भारी अफरा-तफरी है.
आज देश के कई शहरों में अग्निवीर योजना के विरोध में प्रदर्शन हुए हैं. बिहार में हिंसा नहीं हुई और बंद भी असरदार नहीं रहा. कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने सड़क जाम किया. हरियाणा में किसान भी युवाओं के समर्थन में आ गए और तीन घंटे तक टोल नाकों को फ्री कर दिया. रेवाड़ी में किसानों ने टोल फ्री रखकर प्रदर्शन किया. हरियाणा में किसान यूनियन सेना में भर्ती की तैयारी करने वालों के साथ आ गया है. सोनीपत में छात्र एकता मंच ने प्रदर्शन किया. हरियाणा के महेंद्रगढ़ में कोचिंग संस्थान बंद कर दिए गए. हरियाणा में बिहार जैसी हिंसा कहीं नहीं हुई और न यूपी की तरह बसें जलाई गईं. यूपी में आज का प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा. शुक्रवार और रविवार की हिंसा के आरोप में यूपी में कई सौ लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं. दिल्ली में कांग्रेस पार्टी ने अग्निपथ योजना का विरोध किया. कांग्रेस रविवार से ही जंतर मंतर पर सत्याग्रह कर रही है. आज कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने शिवाजी ब्रिज रेलवे स्टेशन पर ट्रेन रोकने की कोशिश की.कनाट प्लेस पहुंच कर सड़कों पर लेट गए. कांग्रेस मंगलवार को भी देश भर में अग्निपथ योजना के खिलाफ प्रदर्शन जारी रखेगी.
कांग्रेस ने कहा कि राहुल गांधी ED पूछताछ के लिए गए हैं, आज का प्रदर्शन अग्निपथ योजना को वापस लेने के लिए था. एक तरफ जहां सेना के तीनों प्रमुख अग्निपथ को अच्छा बता रहे हैं, उनके साथ रिटायर्ड जनरल और अफसर भी आगे आ गए हैं, लेकिन इस योजना का विरोध करने वाले रिटायर्ड जनरल और अफसर भी कम नहीं हैं.
लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया, लेफ्टिनेंट जनरल तेज सप्रू, लेफ्टिनेंट जनरल पी आर शंकर, लेफ्टिनेंट जनरल राज कदयान,मेजर जनरल जीडी बख्शी,मेजर जनरल यश मोर, मेजरल जनरल सीएम सेठ, लेफ्टिनेंट कर्नल अनिल दुहून, कर्नल एनएस मल्हन, ,कर्नल दिनेश कुमार. सेना से रिटायर इन अफसरों का मानना है कि अग्निपथ योजना समाप्त कर देनी चाहिए. कुछ का मानना है कि सीधे लागू करने से पहले पायलट प्रोजेक्ट अच्छा होता. मेजर जनरल जीडी बख्शी ने अभी तक इस योजना को लेकर आशंकाएं ही जताई हैं. यूक्रेन का उदाहरण देकर बताया है कि कम साल के लिए नियुक्त जवानों के दम पर यूक्रेन नहीं लड़ सका. हम तीस साल में लोगों को पहले निकाल रहे थे, उन्हें भी इंडस्ट्री में जॉब नहीं मिल रहा था. अगर इन युवाओं को जॉब नहीं मिला तो ये आतंकवादी या उग्रवादी बन जाएंगे. चार साल के ठेके पर रखने से सेना में इंटिग्रेशन नहीं होगा, घुल मिल नहीं सकेंगे. लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया ने भी कहा है कि यह सशस्त्र सेनाओं के लिए मौत की घंटी है. कोई पायलट प्रोजेक्ट नहीं. सीधे लागू कर दिया. निकाले जाने वाले 75 प्रतिशत नौजवान समाज में हाशिये पर रहेंगे. इससे किसी को फायदा नहीं.
मेजर जनरल यश मोर ने एनडीटीवी हिन्दी की वेबसाइट पर एक लेख लिखा है. मेजरल जनरल यशमोर का कहना है कि तकनीक का रोल है मगर मानव संसाधन के फैक्टर को खारिज करना गलत होगा.
चीन के साथ हालिया गतिरोध, विशेष रूप से सर्दियों के दौरान, में हमने देखा कि जब मशीनें मंद होने लगीं तो भारतीय सैनिकों ने गजब की हिम्मत दिखाई. इसलिए भविष्य में तकनीकी से भरपूर युद्धक्षेत्र में भी हमें ऐसे पुरूषों की आवश्यकता होगी जो युवा हों, शारीरिक रूप से स्वस्थ हों और उच्च स्तर की सैन्य कौशल और मोटिवेशन के साथ हों. यह सब तभी होगा जब सिपाही इसे अपनी जिंदगी का मकसद समझकर अपने काम पर पहुंचेगा. हमें पेशेवरों की जरूरत है न कि नवसिखुओं की. मैल्कम ग्लैडवेल ने अपनी किताब “आउटलियर्स” में कहा है कि जटिल कौशल में महारत हासिल करने के लिए दस हजार घंटे का गहन अभ्यास करना पड़ता है. दस हजार घंटे का मतलब हुआ लगभग 15 महीने. अगर हम आठ घंटे का कार्य दिवस मानते हैं तो उन दस हजार घंटों के गहन अभ्यास में लगभग चार साल लगेंगे. और ये अभ्यास सिर्फ किसी को कुशल ही बना सकते हैं उसकी कुशलता को अपग्रेड नहीं कर सकते.जब तक दस हज़ार घंटे की यात्रा पूरी होगी 75 प्रतिशत सैनिक हटा दिए जाएंगे. अग्निवीरों का नया दल आ जाएगा. अगर पेंशन समस्या है तो नई पेंशन स्कीम का विकल्प सोचा जाना चाहिए था.
केंद्रीय नौकरियों में भर्ती का हाल सबने देखा है. कब भर्ती बंद हो जाए और कब नहीं. सेना की भर्ती नियमित चलती रहती है.अब उससे निकले 75 प्रतिशत जवान भी इंतज़ार करेंगे कि कब भर्ती निकलेगी. कब पूरी होगी. इसलिए जवानों को धक्का लगा है. सरकार को लगता है कि कोचिंग वाले भड़का रहे हैं, हो सकता है उनका हाथ हो लेकिन अगर अग्निपथ योजना चल पड़ी तो इससे तो कोचिंग वालों को ही फायदा होगा. पहले से भी ज्यादा बैच मिलेंगे. जो सेना में जाएगा, वो लौट कर नई भर्ती के लिए फिर कोचिंग करेगा.
सुधीर शर्मा बीजेपी के टप्पल मंडल के उपाध्यक्ष हैं. एक तस्वीर में सांसद सतीश गौतम के साथ भी दिख रहे हैं लेकिन फोटो से बस इतना ही पता चलता है कि सतीश शर्मा बीजेपी के एक सक्रिय नेता होंगे. सतीश शर्मा का उल्लेख शुक्रवार के दिन यमुना एक्सप्रेस वे पर हुई हिंसा के संदर्भ में कर रहे हैं. टप्पल के पास बस जला दी गई और जट्टारी चौकी पर हमला हुआ था, चौकी की गाड़ी जला दी गई. NBSA के सुझावों के अनुसार हम टप्पल की हिंसा की पुरानी तस्वीरों को नहीं दिखा रहे हैं. सुधीर शर्मा की तस्वीर तो दिखा ही सकते हैं. सुधीर शर्मा टप्पल में यंग इंडिया कोचिंग सेंटर चलाता था. इस पर आरोप है कि टप्पल की हिंसा में कथित रुप से इसका भी हाथ है. सुधीर शर्मा को पुलिस ने दंगा फैलाने, जानलेवा हमला करने की विभिन्न धाराओं के तहत गिरफ्तार किया है. सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की धारा भी लगी है. रविवार को ही अलीगढ़ के भाजपा ज़िलाध्यक्ष ने सुधीर शर्मा को पार्टी से निकाल दिया. निष्कासन के आदेश में इतना ही लिखा है कि सुधीर शर्मा की गतिविधियां ठीक नहीं थीं. टप्पल की हिंसा में पुलिस ने करीब 80 लोगों को जेल भेज दिया है. हिंसा फैलाने के आरोप में अलीगढ़ के 9 कोचिंग संचालक गिरफ्तार हुए हैं. अगर एक कार्यकर्ता कांग्रेस का पकड़ा गया होता तो आज दिल्ली में बीजेपी प्रेस कांफ्रेंस कर रही होती या गोदी मीडिया डिबेट कर रहा होता कि देश के खिलाफ हिंसा में कांग्रेसी नेता का हाथ. क्या यही है राहुल का देश जलाओ प्लान.
बिहार में भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल के अनुसार सेना में भर्ती के नए नियम अग्निपथ का विरोध करने वाले जेहादी लोग हैं. हरिभूषण जी ने जो फायदे गिनाए हैं वो सुनने के बाद जिस किसी ने भी अग्निपथ का विरोध किया है,उसे उपवास कर प्रायश्चित करना चाहिए.
काश युवाओं ने बीजेपी के विधायक हरिभूषण ठाकुर का बयान सुन लिया होता, वे अग्निवीर योजना की वापसी का आंदोलन नहीं करते बल्कि मांग करते कि जो भी सैलरी दी जा रही है, बीमा दिया जा रहा है, वह सब ले लिया जाए. वे अब हरिभूषण जी से प्रेरित हो गए हैं, फ्री में सेवा करने आ रहे हैं. लेकिन हिंसा कर युवाओं ने बड़ा मौका गंवा दिया. अपनी बात सुने जाने का और समाज से समर्थन हासिल करने का. समाज का किसी प्रकार समर्थन है भी तो वह सामने नहीं है. उन्हें हिंसा का रास्ता छोड़ कर समाज से संवाद करना चाहिए. अपनी और समाज की बात को आगे लाना चाहिए जैसे बीजेपी ने अपने ट्विटर हैंडल से समाज के उस हिस्से का बयान ट्विट किया है जिनके पीछे गुटखा टंगा दिखता है. बीजेपी इससे बच सकती थी, किसी शो रूम के मालिक भी समर्थन में बयान दे ही सकते थे.
अग्निवीर भारत के सभी रोज़गारों में फायदेमंद साबित किया जा चुका है, जहां कहीं भी रोज़गार है, वहां अग्निवीर की संभावना है. ऐसी संभावनाएं कम होती हैं जो हर जगह पैदा हो जाती है. जो युवा व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी से इतिहास पढ़ रहे थे,अब उसके आईने में अपना भविष्य भी देख सकते हैं.