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This Article is From Aug 06, 2016

क्या राहुल गांधी खोल पाएंगे अखिलेश यादव के खिलाफ नया मोर्चा?

Ratan Mani Lal
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अगस्त 06, 2016 12:05 pm IST
    • Published On अगस्त 06, 2016 11:48 am IST
    • Last Updated On अगस्त 06, 2016 12:05 pm IST

पिछले 13 वर्षों से बारी बारी से उत्तर प्रदेश पर शासन कर रही समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के लिए 2017 का चुनाव अब “तुम चलो, मैं आया” की स्थिति से अलग जाता दिख रहा है. जहां कुछ महीने पहले तक मायावती की बसपा को सत्ता का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, वहीँ अब कांग्रेस के भी दम भरने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सामने चुनौती और कठिन होती जा रही है. इसके अलावा, भारतीय जनता पार्टी का रवैया तो और भी आक्रामक होने के ही आसार हैं ही.

ऐसे में क्या अखिलेश यादव अपनी साफ़ छवि और तेज़ काम करने के अंदाज़ के बावजूद दूसरी पारी जीतने में कामयाब हो पाएंगे? क्या प्रदेश में अपराध व कानून-व्यवस्था के मुद्दे के सामने अखिलेश के काम पीछे रह जायेंगे? क्या भाजपा को निशाने पर लेने के साथ राहुल गांधी अखिलेश को भी कमजोर मुख्यमंत्री साबित कर पाएंगे? क्या उत्तर प्रदेश में अगले साल के चुनावी समर में दो वरिष्ठ युवा नेताओं के बीच ताकत आजमाने का प्रदर्शन होगा?

समाजवादी पार्टी में निर्णय हो चुका है कि इस बार भी अखिलेश यादव की ही अगुआई में चुनाव लड़े जायेंगे और उन्हें ही प्रदेश के 'युवा ह्रदय सम्राट' के तौर पर पेश किया जायेगा. ऐसे में कम से कम पार्टी में तो उनके नेतृत्त्व को कोई चुनौती होने की उम्मीद नहीं है, लेकिन कांग्रेस के उपाध्यक्ष और अमेठी के सांसद राहुल गांधी जिस तरह से कांग्रेस के लिए लिखी गयी नयी पटकथा के अनुसार काम कर रहे हैं, उससे अखिलेश के लिए एक नया मोर्चा खुल गया है इसमें संदेह नहीं है.

अखिलेश यादव इस वर्ष 43 वर्ष के हुए और उनका राजनीतिक करियर लगभग 16 साल पुराना है– उन्होंने 2009 में कन्नौज से लोक सभा चुनाव जीतने के बाद अपनी पारी की शुरुआत की थी. लोक सभा में तीन साल बिताने के बाद ही उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने पाया कि वे अब उत्तर प्रदेश का नेतृत्त्व करने के लिए तैयार हैं, और 2012 में उन्हें न केवल विधान सभा चुनाव में भावी मुख्यमंत्री के रूप में पेश किया गया बल्कि उनकी शानदार सफलता के बाद उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष भी बना दिया गया.

इसके विपरीत राहुल गांधी 46 वर्ष के हुए, वे 2004 से लोक सभा के सदस्य हैं और इस बीच वे अपने पार्टी के कई महत्त्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं. इसके बावजूद उनकी पार्टी में भी उनकी राजनीतिक क्षमता को मानने वाले लोग कम ही हैं. परन्तु अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने स्वास्थ्य की वजह से चुनाव प्रचार में शायद अधिक सक्रिय न रहें, इस वजह से राहुल गांधी पर ही प्रचार के नेतृत्त्व का दारोमदार होगा, क्योंकि प्रियंका वाड्रा की भूमिका को लेकर अभी भी संशय बरकरार है.

पार्टी ने उत्तर प्रदेश में अपने नवीनीकरण के लिए एक महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम पर काम करना शुरू कर दिया है जिसके तहत प्रदेश की नयी टीम, प्रचार के लिए नया चेहरा और लोगों से संवाद करने के नए तरीके शामिल हैं. चूंकि इस नवीनीकरण परियोजना के सूत्रधार वही प्रशांत किशोर (पी.के.) हैं जिन्होंने 2014 में नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के लिए शानदार प्रचार अभियान डिजाइन किया था, इसलिए आजकल उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश भर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह है कि 2017 में तो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन ही रही है.

लखनऊ के माल एवेन्यू स्थित प्रदेश कांग्रेस के कार्यालय में अब कुछ गतिविधियां दिखने लगी हैं, नेताओं की दिनचर्या में कुछ व्यस्तता आ गई है, तमाम तरह की रिपोर्ट बनाकर कई जगहों पर भेजी जा रही है. यह बिना कहे ही स्पष्ट है कि लखनऊ में ही एक दूसरी जगह कुछ महीने पहले स्थापित हुए प्रशांत किशोर की कंपनी इंडियन पोलिटिकल एक्शन कमिटी (आईपैक) के दफ्तर से समन्वय बनाये रखन सबसे पहली प्राथमिकता है.

कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में 2017 में होने वाले विधान सभा चुनाव कितने महत्त्वपूर्ण हैं, इसका अंदाज़ इसी से लगाया जा सकता है कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की अस्वस्थता के बावजूद न केवल वाराणसी में 2 अगस्त के कार्यक्रम में भाग लेने आयीं, बल्कि वहां नियत कार्यक्रम के अलावा भी जन संपर्क करने के अति उत्साह के कारण उनकी तबियत ज्यादा बिगड़ गयी और उन्हें कार्यक्रम छोड़ तुरंत दिल्ली जाना पड़ा जहां उनका इलाज अभी भी चल रहा है. आगामी कार्यक्रम के लिए इलाहाबाद को चुना गया है और इसके बाद प्रदेश में कई जगह पार्टी का रोड शो और रैली होंगी. माना जा रहा है कि हर कार्यक्रम में कुछ नवीनता होगी जिससे मीडिया में कार्यक्रम को प्रमुखता तो मिले ही, बल्कि स्थानीय लोगों में भी इस नयेपन का आकर्षण बना रहे.

विगत 29 जुलाई को लगातार हो रही बरसात के दौरान हुए कार्यक्रम में राहुल गांधी ने लखनऊ के रामाबाई मैदान में बड़ी संख्या में उपस्थित कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच घूम घूम कर उनसे बात की, उनके सवालों का जवाब दिया और उनमे उत्साह भरने की कोशिश की. उनका उद्देश्य था कि कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेताओं के बीच दूरी कम हो और वे पार्टी नेतृत्व के प्रति विश्वास बनाये रखें, और इस उद्देश्य में यह आयोजन काफी हद तक सफल रहा. लखनऊ में 29 जुलाई को हुए अपने पहले बड़े कार्यक्रम में जब राहुल ने अखिलेश की ओर इशारा करते हुए कहा कि वह “अच्छा लड़का है, लेकिन काम नहीं कर पा रहा है,” तो एकबारगी ऐसा लगा कि शायद राहुल खुले तौर पर उत्तर प्रदेश के चुनावी संग्राम में अखिलेश के लिए कड़े शब्दों के प्रयोग से बच रहे हैं. लेकिन जिस तरह से राहुल, शीला दीक्षित और अन्य कांग्रेस नेता समाजवादी पार्टी की सरकार पर हमला बोल रहे हैं, उससे साफ़ है कि अखिलेश को जवाबी हमले के लिए तैयार रहना ही होगा.


रतन मणिलाल वरिष्ठ पत्रकार हैं...

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