यह ख़बर 10 नवंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

राजीव रंजन की कलम से : सावधान, आगे रास्ता ख़तरनाक है

नई दिल्ली:

एक ही दिन में तीन-तीन मंत्रियों के इंटरव्यू लेना आसान नहीं हैं- ख़ासकर तब, जब उनसे असुविधाजनक सवाल पूछने हों। सोमवार को मोदी सरकार के तीन मंत्रियों का मैंने इंटरव्यू किया। लेकिन मेरे इंटरव्यू से तीनों नाराज़ हो गए। मंत्री पद की शपथ लेने के अगले ही दिन उन्हें कुछ मुश्किल सवालों से गुजरना पड़ा। अगर आप उनसे अच्छे-अच्छे और उनके मनमुताबिक सवाल पूछें तो उन्हें कोई दिक़्क़त नहीं लेकिन जैसे ही सवाल की धार तीखी होती है, उनका गुस्सा भी बढ़ता जाता है।

सबसे पहले मैंने मोदी सरकार के नये स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से बात की। मैंने उनसे सीधा सवाल पूछा कि क्या आप पूर्व स्वास्थमंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन की तंबाकू विरोधी नीतियों को जारी रखेंगे तो पहले तो इतना कहा कि अभी तो मुझे मंत्रालय को जानने का वक्त दीजिए। मैंने नीतियों के स्तर पर उनको तरह-तरह से कुरेदा, लेकिन मुझे मेरे सवाल का सीधा जवाब नहीं मिला। वे कहते रहे कि सरकार निरंतरता में चलती है। एम्स के सीवीओ संजीव चर्तुवेदी का सवाल पूछता, उससे पहले मंत्री जी मुझे पीछे छोड़ते हुए आगे निकल गए।

अब बात एक और मंत्री गिरिराज सिंह की। पहले तो हमसे बात करने को तैयार नहीं हुए फिर सवाल जैसे ही सुना, भड़क गए और वे आगे-आगे, मैं उनके पीछे-पीछे। सवाल बस इतना था कि आपको तो अभी तक आपके घर से बरामद करोड़ों रुपये के मामले में क्लीन चिट नहीं मिली है? और क्या अपने पुराने उस बयान पर कायम हैं, जिसमें आपने कहा कि अगर कोई नरेंद्र मोदी का विरोध करता है तो उसे पाकिस्तान भेज दीजिए।

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जैसे ही कैमरा बंद हुआ तो मंत्री जी ने पकड़कर करीब से कान में बोले, क्या दिक्कत है, क्यों आपलोग मेरे पीछे पड़े हैं? उधर मंत्री जी के कुछ लोगों ने हमारे कैमरामैन विजय पटवाल को भी पकड़ लिया। बेशक हमारे साथ कोई गलत सलूक नहीं हुआ और फौरन हमें छोड़ दिया गया, लेकिन डरना तो लाजिमी है।
 
इसके बाद पहुंचा नए राज्यमंत्री रामशंकर कठेरिया के पास। जनाब के ऊपर एक नहीं बल्कि क़रीब दो दर्जन मामले चल रहे हैं, जिनमें मर्डर की कोशिश से लेकर जालसाजी के साथ साथ दंगा करवाने तक का आरोप है। मगर मंत्री जी ने साफ कहा कि ये सारे मामले जनता की वजह से लगे हैं। ये सब राज्य सरकार ने राजनीतिक साजिश की वजह से लगाए हैं और कुछ हट गए हैं और बाकी भी हट जाएंगे। कैमरा ऑफ होते ही कहा, आज तो शुभ शुभ बातें कीजिए कहां गड़े मुर्दे उखाड़ने लगे।
 
जाहिर है, आप नेताओं और मंत्रियों के आगे-पीछे हों तो आप बहुत अच्छे और बड़े हैं, लेकिन जहां आपने उनको सवालों से घेरा, आपको घेरने का काम शुरू हो जाएगा- इसमें आपको इंटरव्यू के बाद प्यार से समझाने से लेकर क़रीब से जकड़ लेने, बहुत मद्धिम लहजे में छुपी धमकी देने, खुलकर ऊपर शिकायत कर देने की चेतावनी देने तक शामिल है और फिर भी अगर आप समझदार बनने से इनकार कर रहे हों तो आप ख़तरे में पड़ सकते हैं। लेकिन यह ख़तरा न उठाएं तो पत्रकार कैसे कहाएं?