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This Article is From Jun 22, 2015

उपराष्ट्रपति अंसारी के योग कार्यक्रम में शामिल नहीं होने के बवाल पर सवाल

Ravish Kumar
  • Blogs,
  • Updated:
    जून 22, 2015 21:57 pm IST
    • Published On जून 22, 2015 21:45 pm IST
    • Last Updated On जून 22, 2015 21:57 pm IST
इस बात का पता किसी को नहीं चलता कि योग दिवस के कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति को नहीं बुलाया गया है, अगर आरएसएस के पूर्व प्रवक्ता और बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ट्वीट न करते। योग दिवस के कार्यक्रम में किसी की मौजूदगी और ग़ैर मौजूदगी की पहचान उस कार्यक्रम को अनिवार्य बनाती है, जिसके बारे में सरकार ने बार-बार कहा है कि किसी को मजबूर नहीं किया जा रहा है। लेकिन सोशल मीडिया पर राजनीतिक समर्थकों की एक जमात पूछने लगी कि आपने योग किया या नहीं। सरकार भले यह काम न करें, लेकिन समर्थकों के इस सवाल से सतर्क रहना चाहिए।

हमारे आपके बीच से वे कौन लोग हैं जो गणतंत्र दिवस से लेकर योग दिवस तक उपराष्ट्रपति की पहचान पहनावे, हुलिये और विश्वास के आधार पर करने का मौका ढूंढते रहते हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे लोगों की प्रोफाइल देखा कीजिए, एक खास धर्म, विचारधारा, संगठन और नेता के प्रति दीवानगी दिखेगी। ये वो लोग हैं जो उपराष्ट्रपति को अक्सर मैग्निफाइंग ग्लास से देखते रहते हैं।

गणतंत्र दिवस के मौके पर सोशल मीडिया पर 'शेम ऑन हामिद अंसारी' ट्रेंड करने लगा कि उन्होंने राष्ट्रगान के वक्त तिरंगे को सलामी नहीं दी। उपराष्ट्रपति भवन को तब भी प्रेस रिलीज जारी करनी पड़ी थी कि राष्ट्रगान के समय जो मुख्य अतिथि होते हैं और जो वर्दी में होते हैं उन्हीं को सलामी करनी होती है। बाकी को सावधान की मुद्रा में खड़े रहना पड़ता है। पद की संवैधानिक गरिमा के बावजूद उनकी निष्ठा को वक्त बेवक्त मज़हबी चश्मे से परखने की इस आदत का इलाज होना चाहिए। भले ही भारत सरकार या उसका कोई मंत्री इसमें शामिल नहीं है, लेकिन समाज और राजनीतिक दल के कुछ समर्थकों में ऐसी सोच है तो उसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्री स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रवक्ता राम माधव ने अपना ट्वीट तुरंत ही डिलीट कर दिया, मगर तब तक कई लोगों ने उनके ट्वीट का फोटो उतार लिया था। उनका पहला ट्वीट था कि 'क्या राज्यसभा टीवी जो करदाता के पैसे चलता है, योग दिवस के कार्यक्रम का बहिष्कार किया है। राष्ट्रपति ने हिस्सा लिया मगर उपराष्ट्रपति ने नहीं।'

राज्यसभा टीवी राज्य सभा के अंतर्गत आता है। उपराष्ट्रपति राज्य सभा के चेयरमैन होते हैं। राम माधव ने अपने इस ट्वीट को तुरंत डिलीट कर दिया और फिर एक ट्वीट किया, 'मुझे बताया गया कि उपराष्ट्रपति बीमार हैं। मैंने अपना ट्वीट वापस ले लिया। माफी मांगता हूं क्योंकि उपराष्ट्रपति की संस्था का सम्मान किया जाना चाहिए।'

कम से कम माफी वाली ट्वीट तो रहने देते, लेकिन उसे भी डिलीट कर दिया। उप राष्ट्रपति भवन की तरफ से भी सफाई आ गई कि वे बीमार नहीं हैं। इस कारण से उन्होंने हिस्सा नहीं लिया बल्कि उन्हें योग कार्यक्रम के लिए बुलाया ही नहीं गया था। उपराष्ट्रपति उन्हीं कार्यक्रमों में जाते हैं जहां संबंधित मंत्री प्रोटोकोल के तहत उन्हें आमंत्रित करते हैं।

उपराष्ट्रपति के बारे मे राम माधव की हर जानकारी ग़लत निकली। दक्षिणपंथी टिप्पणीकार और अंग्रेज़ी के अख़बारों में काफी समझदारी से लिखने वाले स्वपन दास गुप्ता के ट्वीट से मुझे भी हैरानी हुई। उनका भी ट्वीट भाषा और सोच में राम माधव से काफी मिलता-जुलता रहा, 'सभी न्यूज़ चैनल योग दिवस का कार्यक्रम दिखा रहे हैं केवल एक को छोड़कर। करदाताओं के पैसे से चलने वाला भारत का एकमात्र चैनल- राज्य सभा टीवी।'

2007 में उपराष्ट्रपति पद के लिए हामिद अंसारी का नाम सीपीएम ने बढ़ाया था तो क्या इसलिए राज्यसभा को लेफ्ट का एकमात्र चैनल कहा गया। क्या राज्यसभा टीवी के बहाने स्वपन दास गुप्ता जैसे गंभीर लेखक और वक्ता ने उपराष्ट्रपति को निशाना बनाया। वे जितना संभलकर लिखते और बोलते हैं, कहना मुश्किल है मगर राज्यसभा को निशाना बनाने की बात उस दायरे से बाहर भी नहीं लगती। राज्यसभा के एडिटर इन चीफ गुरदीप सप्पल ने ट्वीट कर दिया कि 'एक बार फिर आरएस टीवी के ख़िलाफ़ बेबुनियाद अफ़वाह कि हमने योग दिवस का ब्लैक आउट किया। सरासर झूठ। आज राजपथ और योग कांफ्रेंस से आरएस टीवी पर लाइव रहा।'

गुरदीप सप्पल ने एक प्रेस रीलीज़ भी जारी कर बताया कि यहां तक विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का संयुक्त राष्ट्र में जो कार्यक्रम हुआ उसे भी राज्यसभा टीवी पर दिखाया गया और ये सभी कार्यक्रम यू ट्यूब पर भी उपलब्ध हैं। आयुष मंत्री श्रीपाद नाईक ने कहा कि जब किसी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री चीफ गेस्ट बनते हैं तो उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति को नहीं बुलाया जाता है। इसलिए उन्हे आमंत्रित नहीं किया गया था।

आयुष मंत्री की सफाई सही है। उनके मंत्रालय ने राज्यसभा, लोकसभा और दिल्ली के विधायकों को भी आमंत्रित किया था। बकायदा कार्ड भेजे गए। इस कार्ड में आरएसवीपी भले नहीं लिखा गया है यानी पहुंचने पर किससे संपर्क करना है, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लेकर उप-राज्यपाल नजीब जंग को भी आमंत्रित किया गया था।

राजपथ पर शामिल लोगों की धर्म के आधार पर पहचान ठीक नहीं है। सरकार ने कई बार कहा है कि योग का धर्म से संबंध नहीं है। इसे ही सरकार की लाइन समझा जाना चाहिए, फिर भी मीडिया ने भी राजपथ पर आए लोगों में से मुसलमानों की तलाश की और अलग से हेडलाइन बनाई। कैमरों ने अलग से खोजा कि इसमें मुसलमान है या नहीं। यह भी कम ख़तरनाक नहीं है।

एक साल में यह दूसरा मौका है जब उपराष्ट्रपति को लेकर विवाद हुआ है। गणतंत्र दिवस के मौके पर सोशल मीडिया के अनाम अज्ञात लोग थे, मगर इस बार दो-दो ज़िम्मेदार लोगों ने प्रत्यक्ष और परोक्ष टिप्पणी कर दी। उपराष्ट्रपति कार्यालय को दो बार सफाई देनी पड़ी है। उपराष्ट्रपति को करीब से जानने वाले एक शख्स सकत सिंह काफी आहत हैं, उन्होंने एक ईमेल भेजा है।

हामिद अंसारी साहब को तीस साल से जानने के कारण बता सकता हूं वे एक महान योगी हैं। मेरा आरएसएस और बीजेपी से भी संबंध रहा है और मानता हूं कि हामिद अंसारी राष्ट्रवाद की हर परिभाषा में फिट बैठते हैं। वे और उनकी पत्नी सलमा जी योग करते रहे हैं।

क्या यह छोटी ग़लती है जिसके बारे में केंद्रीय मंत्री श्रीपाद नाईक ने कहा कि आदमी ही हैं ग़लती हो जाती है। दोबारा यह ग़लती हुई है इस बार सोशल मीडिया के अज्ञात लोगों से नहीं बल्कि ज़िम्मेदार लोगों से। इसीलिए हम यह कार्यक्रम कर रहे हैं ताकि तीसरी बार कोई ग़लती न करे। वैसे श्रीपद नाईक ने इसके लिए माफी मांगी है।

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