यह ख़बर 01 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

मोदी सरकार पर कांग्रेस का प्रहार

नई दिल्ली:

नमस्कार... मैं रवीश कुमार। अब लगता है जो भी नारा लिखा जाएगा वह अबकी बार मोदी सरकार पर आधारित होगा। जैसे मनरेगा को लेकर आंदोलन करने वाले किसानों और संगठनों का नारा है, अबकी बार हमारा अधिकार। ऐसा ही एक नारा कांग्रेस ने दिया है। 6 महीने पार यू टर्न सरकार।

गांव कस्बों के हमारे दर्शकों के लिए यह समझना ज़रूरी है कि यू टर्न क्या होता है। यू टर्न बड़े शहरों की ट्रैफिक शब्दावली और संस्कृति का हिस्सा है। राजनीति में इसका मतलब वादे से पलट जाना होता है। महानगरों में आप सड़क के बीच कहीं भी नहीं मुड़ सकते हैं। इसके लिए बीच सड़क में डिवाइडर यानी विभाजक दीवार बना दी जाती है। ताकि यह कार एक तय मोड़ से ही अपनी उल्टी दिशा में मुड़ सके। जब यह कार यहां से मुड़ेगी तो अंग्रेज़ी के अक्षर यू बनाएगी।

कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी ने जो वादे किए हैं उससे पलट गई है यानी अब सरकार यू टर्न ले रही है। कांग्रेस ने मोदी सरकार को यू टर्न सरकार साबित करने के लिए काफी मेहनत की है और 30 पन्ने की एक बुकलेट छपवा दी है। इस बुकलेट में 25 प्रकार के यू टर्न का ज़िक्र है।

इसकी प्रस्तावना में लिखा है कि कॉरपोरेट के पैसे से हाई वोल्टेज कैंपेन के ज़रिए बीजेपी ने बदलाव के झूठे वादे किए और निराधार आरोप लगाए। मीडिया अभियान के ज़रिए लोकसभा चुनाव से पहले के समय को अंधकार युग बताने के बाद नरेंद्र मोदी और बीजेपी ने अच्छे दिन का वादा किया था। लेकिन छह महीने बाद मोदी सरकार ने सिर्फ तीन काम किए हैं। पहला यू टर्न, दूसरा यूपीए की योजनाओं को नया नाम देना और तीसरा दोस्ताना औद्योगिक कंपनियों के लिए राष्ट्रीय हितों को बेच देना। मोदी सरकार हर दिन कोई न कोई टीवी तमाशा रचती है ताकि जनता का ध्यान समस्याओं से हट जाए।

इस बुकलेट में कांग्रेस ने यह भी लिखा है कि सरकार किस्मत वाली है। दुनिया में कच्चे तेल के दाम गिर गए हैं, लेकिन इसका फायदा आम जनता को नहीं पहुंचा है। इस मामले में कांग्रेस की किस्मत वाकई थोड़ी ख़राब लगती है।

आज ही रसोई गैस की कीमतों में बड़ी गिरावट की गई है। बिना सब्सिडी के रसोई गैस के सिलिंडर के दाम 113 रुपये कम किए गए हैं। साल में एक परिवार को 12 सब्सिडी वाले सिलिंडर दिए जाते हैं। इससे ज़्यादा सिलिंडर लेने पर सब्सिडी नहीं मिलती है। रसोई गैस की कीमतें पांचवीं बार कम हुई हैं। दिल्ली में जहां बिना सब्सिडी वाला सिलिंडर 865 रुपये में मिल रहा था, वहीं अब महज़ 752 रुपये में मिलेगा। यही नहीं रविवार रात से पेट्रोल और डीज़ल के दाम भी कम हो गए। पेट्रोल 91 पैसे प्रति लीटर और सस्ता हो गया तो डीज़ल 84 पैसे प्रति लीटर।

हालांकि बुकलेट की 23 श्रेणियों में महंगाई नहीं है। सबसे पहले नंबर है काला धन, फिर चीन, फिर पाकिस्तान, फिर डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, फिर बीमा बिल, फिर रेल किराये में वृद्धि भी है। अगर यह बुकलेट आज छपती तो कांग्रेस दो अन्य मुद्दों को शामिल कर सकती थी।

रविवार को प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत बांग्लादेश के साथ सीमा पर ज़मीन हस्तांतरण समझौता करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे असम के हितों से समझौता नहीं करेंगे, लेकिन केवल इस समझौते से ही समस्या का समाधान होगा।

यूपीए के समय इसके लिए संविधान संशोधन बिल तैयार हुआ था,  जिसका बीजेपी और असम गण परिषद दोनों ने कड़ा विरोध किया था। बीजेपी का कहना था कि इससे असम को बांग्लादेश के मुकाबले ज्यादा ज़मीन गंवानी पड़ जाएगी।

2 दिसंबर 2013 के टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार जब यूपीए ने संवैधानिक संशोधन लाने की तैयारी की तो सर्वदलीय बैठक में बीजेपी ने सवाल कर दिया कि सरकार देश की सीमा कैसे बदल सकती है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 1973 में केशवानंदर भारती केस में साफ-साफ फैसला दिया था कि संविधान का बुनियादी ढांचा नहीं बदल सकता है। इसमे देश की सीमा भी शामिल है। संवैधानिक बिल होने के कारण बीजेपी का समर्थन ज़रूरी था।

नई दुनिया और टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे अखबारों में छपा है कि मोदी सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 39 क्लासिफाइड फाइलों को सावर्जनिक करने से मना कर दिया है। इसी जनवरी राजनाथ सिंह नेताजी की जन्मस्थली कटक गए थे। मौका था नेता जी की 117वीं जयंती का। तब बतौर बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने यूपीए सरकार से इन दस्तावेज़ों को सार्वजनिक करने की मांग की थी।

प्रधानमंत्री के दफ्तर ने एक आरटीआई के जवाब में यह कहा है। उसमें यह माना है कि 41 में से दो फाइलों को डि क्लासिफाइड कर दिया गया है, लेकिन उन्हें भी सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। क्योंकि ऐसा करने से विदेशी संबंधों पर असर पड़ेगा। यूपीए सरकार भी तो यही कहती थी। इसका ज़िक्र कांग्रेस की बुकलेट में नहीं है।

लेकिन इस बुकलेट में 1962 के चीन युद्ध से संबंधित हेन्डरसन ब्रूक्स रिपोर्ट का ज़िक्र है, जिसे विपक्ष में रहते हुए बीजेपी जारी करने की मांग करती थी। कांग्रेस का कहना है कि इससे लीक हुई कथित जानकारियों के आधार पर बीजेपी उस समय के नेतृत्व पर आरोप लगाती थी। उस समय के नेतृत्व से आप नेहरू समझ सकते हैं।

अरुण जेटली ने 19 मार्च 2014 को अपने ब्लॉग पर लिखा था कि क्या ये आर्काइवल रिकॉर्ड हमेशा के लिए सीक्रेट रखे जाने के लिए हैं। इसका आतंरिक सुरक्षा से कोई लेना देना नहीं है। इन दस्तावेजों को सीक्रेट रखना पब्लिक इंटरेस्ट हिन्दी में जनहित में नहीं है। हर समाज को जानने का अधिकार है। इस पर भी यू टर्न हो गया।

8 जुलाई 2014 को राज्यसभा में बतौर रक्षामंत्री अरुण जेटली ने कहा कि हेन्डरसन ब्रूक्स रिपोर्ट टॉप सीक्रेट है। इस रिपोर्ट का कोई भी हिस्सा जारी करना राष्ट्र हित में नहीं होगा। हमारे विपक्षी दल क्रिएटिव हो रहे हैं। हिन्दी में रचनात्मक लेकिन यह बुकलेट अंग्रेजी में ही हमें मिली। हो सकता है हिन्दी में न छपी हो।

वैसे आज तृणमूल कांग्रेस के नेता काले रंग छोड़कर लाल रंग पर आ गए। कोलकाता की रैली में अमित शाह ने तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाया कि पहले वह शारदा घोटाले के काले पैसे का जवाब दे। फिर तृणमूल का रंग काला से लाल हो गया। सांसद लाल रंग की डायरी जैसी कोई चीज़ ले आए जिस पर सहारा लिखा था। तृणमूल का आरोप था कि सुब्रत राय सहारा की ऐसी ही कोई डायरी है इसमें बीजेपी नेताओं के भी नाम है। जो सावर्जनिक होना चाहिए।

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संख्या भले कम हो मगर विपक्षी दल सरकार से ज्यादा विपक्ष में आने के बाद मेहनत करते लग रहे हैं। लोकतंत्र के लिए यह अच्छा है कि विपक्ष सतर्क रहे। अब देखना है कि बीजेपी कैसे उनकी इस नई सतर्कता का मुकाबला करती है।