यह ख़बर 29 अगस्त, 2014 को प्रकाशित हुई थी

मोहब्बत, नफ़रत और सियासत

नई दिल्ली:

नमस्कार... मैं रवीश कुमार। दिल्ली में 16 दिसंबर की घटना के बाद रायसीना हिल्स के आस पास हज़ारों की संख्या में लड़के-लड़कियों का हुजूम उतरा तो शहर और समाज की सोच में लड़कियों की क्या स्थिति है इस पर खूब बहस हुई। इस सोच को चुनौती दी गई कि बलात्कार को इज्ज़त के लूटे जाने से नहीं जोड़ना चाहिए। कहा यह गया कि इससे तो हम पीड़िता को कसूरवार बना देते हैं, जबकि ख़तावार तो बलात्कारी है।

इसका समाज पर गहरा असर हुआ। समाज के भय के कारण बलात्कार की शिकार लड़कियां थाने तक जाने लगीं और अदालतों में गवाही देने लगीं। पिछले दिनों हिन्दू अखबार ने एक रिपोर्ट भी छापी कि दिल्ली में अदालतों और वकीलों के रवैये में भी बदलाव आया है। बलात्कार के मामले दर्ज होने लगे हैं। इज्जत का चला जाना उसी सोच का हिस्सा है, जिसके नाम पर हम लड़कियों पर तरह तरह की पाबंदियां लगाते हैं।
 
उनकी आज़ादी को नियंत्रित करते हैं कि वह किस तरह के कपड़े पहने कितने समय तक घर से बाहर रहे वगैरह वगैरह। लड़कियों के शरीर पर तरह-तरह की सामाजिक संस्थाएं परंपरा और संस्कृति के नाम पर दावेदारी करती हैं, कंट्रोल करती हैं। अगर इनती बात समझ में आती है तो अब आते हैं लव जिहाद पर।

केरल से यह मामला चार पांच साल पहले चला था फिर दक्षिण कर्नाटक पहुंचा, वहां से यूपी और झारखंड आ गया है। दिल्ली-मुंबई को बाइपास करते हुए। वैसे इतिहास में यह मसला साज़िश थ्योरी के तहत पिछले सौ- डेढ़ सौ साल से उठाया जाता रहा है। अलग-अलग रूपों में कि मुसलमानों की आबादी बढ़ जाएगी और हिन्दुओं की कम हो जाएगी।

जनगणना के आंकड़े ऐसे किसी ट्रेड की तरफ इशारा नहीं करते हैं। 13 सितंबर 2013 के हिन्दू अख़बार में प्रशांत झा की एक रिपोर्ट देखिएगा। इस रिपोर्ट में प्रशांत मेरठ ज़िले के विश्व हिन्दू परिषद के नेता चंद्र मोहन शर्मा से बात कर रहे हैं, जो बता रहे हैं कि लव जिहाद एक नई टेकनिक है। पहले खूबसूरत दिखने वाले मुस्लिम युवाओं की पहचान की जाती है। उनका नाम सोनू, राजू जैसा रखा जाता है। इन लड़कों को जीन्स टी−शर्ट मोबाइल और बाइक दी जाती हैं और सलीके से पेश आना सिखाया जाता है और फिर स्कूल कॉलेज के बाहर खड़े होते हैं और हिन्दू लड़कियों को फंसा लेते हैं।

जीन्स टी शर्ट मोबाइल और बाइक जैसे दो-चार आइटमों से लैस सोनू, राजू और रॉकी नाम वाले न जाने कितने स्कूलों और कॉफी शॉप के चक्कर काट कर बर्बाद हो चुके होते हैं। इनके मां-बाप भी खुशी-खुशी जाने देते होंगे कि इस्लाम के नाम पर पढ़ाई छोड़ हिन्दुओं की लड़कियां फंसाने जा।

सबसे पहले तो कथित रूप से उन मुस्लिम युवाओं की तस्वीर सार्वजनिक करने पर विचार किया जाना चाहिए ताकि दुनिया भी देखे कि उनकी खूबसूरती के कारण एक राज्य में या तो दंगा हो जाता है या होते-होते बच जाता है। पर क्या यही बात तब भी कही जाती, जब कोई हिन्दू लड़का-लड़की एक दूसरे को दिल दे बैठते हैं।

1925 के साल में ले चलते हैं आपको जब एक शख्स ने मीन काम्फ लिखा। जर्मनी आज तक इस पर शर्मसार है कि इसके जैसा कोई उनके मुल्क में पैदा हुआ। हिटलर नाम है इसका। मीन काम्फ में हिटलर लिखता है कि काले बालों वाले यहुदी युवा भोली जर्मन लड़कियों को फंसा लेते हैं। यहुदियों के साथ अश्वेत युवा भी चुपचाप यही करते हैं और हमारी नस्ल को नष्ट कर देते हैं। हिटलर ने यहुदियों के प्रति नफरत भड़काने के लिए ये सब कहा। बाकी सब इतिहास है।

वर्तमान यह है कि जर्मनी की जन्म दर यूरोप में सबसे कम है। 2011 से 13 के बीच 11 प्रतिशत की कमी आई है। बस हिटलर नहीं है कहने के लिए कि यहुदियों के कारण ऐसा हुआ है, लेकिन यूपी में धर्म जागरण मंच ने ज़िद ठान ली कि 17 अगस्त तक दस लाख हिन्दुओं की कलाई में राखी बांध कर प्रण करवाएंगे कि वे किसी हिन्दू लड़की को मुस्लिम लड़के के बहकावे में नहीं आने देंगे।

मेरठ में जब खबर आई कि मदरसे के एक शिक्षक ने एक हिन्दू लड़की के साथ धर्मपरिवर्तन किया, खासा राजनीतिक बवाल हो गया। बाद में यह ख़बर ही गलत निकली। फिर थोड़े दिनों बाद रांची से एक खबर आई की तारा सहदेव नाम की एक शूटर के साथ एक मुस्लिम युवा ने धोखा दिया। ताज़ा जानकारी के मुताबिक, पुलिस ने कहा है कि लड़के का ही धर्म परिवर्तन नहीं हुआ है। उसने निकाह किया है, नमाज़ पढ़ता है मगर एक या दो बार मस्जिद गया है।

ऐसे लोग तो हर जगह मिल जाएंगे जो लड़कियों को झांसा देते हैं। मगर यह कहना कि संगठित रूप से झांसा दिया जा रहा है इसका कोई ठोस प्रमाण तो होना ही चाहिए। ऐसे लोग भी मिल जाएंगे जो मुसलमान होकर गीता पढ़ने लगते हैं और हिन्दू होकर कुरान पढ़ने लगते हैं। क्या जांच के पूरी होने से पहले सिर्फ लड़की या किसी लड़के के बयान पर रांची जैसे शहर को बंद कर देना परिपक्व राजनीति है। लड़की के इंसाफ़ के सवाल को अपनी सियासत में बदल देना क्या उचित है?

हमारे सहयोगी श्रीनिवासन जैन ने मेरठ के एक गांव में देखा कि वीएचपी के स्थानीय नेता लड़कियों को चेता रहे हैं कि लव जेहाद से बचें। मगर यही नेता इन लड़कियों को यह नहीं बता रहे थे कि बीते साल यूपी में सबसे ज्यादा बलात्कार के मामले मेरठ से आए हैं। मेरठ में सबसे अधिक दहेज प्रताड़ना के 423 मामले दर्ज हुए। 1,119 महिलाओं को अगवा किया गया।

ज़ाहिर है बलात्कारी दहेज के नाम पर हिंसा करने वाला या अगवा करने वाला कई हिन्दू भी होंगे। क्या अब हम अपराधियों को हिन्दू मुस्लमान के आधार पर बाटेंगे। ये आंकड़ें यही तो बता रहे हैं कि यूपी की लड़कियों को खतरा मर्दों से हैं, न कि हिन्दू या मुस्लिम मर्दों से। लिंग अनुपात और भ्रूण हत्या के राष्ट्रीय आंकड़े भी देख लीजिए। आप गर्भ में बेटियों को मारने वाले हिन्दू पिताओं के बारे में क्या सोचेंगे। वह किस मदरसे के कहने पर हिन्दुओं की आबादी कम कर रहे हैं।

जेएनयू के प्रोफेसर मोहन राव ने 13 अक्तूबर 2013 के इंडियन एक्सप्रेस में छपे अपने लेख में कहा है कि 2010 में दक्षिण कर्नाटक में हिन्दू जनजागृति समिति ने दावा किया कि 30,000 लड़कियों को मुस्लिम लड़कों ने फंसा लिया है। इस मामले ने तूल पकड़ा तो कर्नाटक पुलिस ने 2010 के 404 लापता लड़कियों के मामले की जांच की। पाया कि 332 लड़कियां हिन्दू लड़कों के साथ ही भागीं थीं। कर्नाटक पुलिस को लव जिहाद का कोई प्रमाण नहीं मिला। जबकि उस वक्त कर्नाटक में बीजेपी की ही सरकार थी। येदुरप्पा मुख्यमंत्री थे।

क्या हम या आप ऐसी बातों को पूरी तरह स्वीकार करने से पहले सभी पक्षों को ठीक से परखते हैं। वैसे मामलों को आप किस जिहाद का नाम देंगे, जिसमें किसी मुस्लिम लड़की ने हिन्दू लड़की से प्रेम किया और शादी की। संख्या और लड़की को केंद्र में रखकर यह बहस ज़रूर भावुक कर देती होगी। यह भी सही हो सकता है कि कई मामलों में धर्म परिवर्तन हुआ हो। पर वह अपराध कानून से तय होगा या खाप में बदलते कुछ संगठनों से।

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साल 2012 में केरल के कांग्रेसी मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने विधानसभा में कहा था कि 2006 से 12 के बीच ढाई हज़ार लड़कियों ने इस्लाम कबूल किया है। मगर इनमें से कोई भी ज़बरन धर्म परिवर्तन का मामला नहीं है। केरल में तो ईसाई और हिन्दू संगठन एक हो गए थे, मगर आगरा में दोनों एक दूसरे के खिलाफ। एक चर्च में जाकर हवन तक कर डाला और ईसाई बने, कुछ लोगों को हिन्दू बना दिया। अंबेडकर ने तो हिन्दू धर्म छोड़ बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था। बीजेपी के ही सांसद हैं उदित राज जिन्होंने हिन्दू धर्म छोड़ बौद्ध स्वीकार कर लिया था। पर ऐसे उदाहरणों से हम हासिल क्या करते हैं? लव जिहाद के बहाने कहीं लड़कियों के कैरियर की तरह अपना पति या प्रेमी चुनने की आज़ादी पर हमला तो नहीं हो रहा?

(प्राइम टाइम इंट्रो)