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This Article is From Oct 29, 2014

सुप्रीम कोर्ट को मिली ब्लैक मनी पर लिस्ट

Ravish Kumar
  • Blogs,
  • Updated:
    नवंबर 20, 2014 11:40 am IST
    • Published On अक्टूबर 29, 2014 21:16 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 20, 2014 11:40 am IST

नमस्कार... मैं रवीश कुमार। वह दिन आएगा जब काला धन असली जनधन बनेगा, लेकिन क्या वह दिन आएगा जब सीएजी की रिपोर्ट को लेकर मीडिया और राजनीति में सरगर्मियां होंगी। उन दिनों की तरह।

आज दिल्ली में सीएजी के दफ्तर में आडिटर्स को संबोधित करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जो कहा वह नसीहत है या नैतिक सलाह विद्वान विवेचना करते रहेंगे। वित्तमंत्री जेटली का अंग्रेज़ी में दिए भाषण का एक छोटा सा हिस्सा हिन्दी में अनुदित होकर निम्नलिखित है।

सक्रियता और संयम एक ही सिक्के को दो पहलू हैं। उसे यानी महालेखाकार या ऑडिटर को इस बात के प्रति सजग होना चाहिए कि वह उस फैसले की समीक्षा कर रहा है जो लिया जा चुका है। क्या सही प्रक्रिया का पालन हुआ है। उसे हेडलाइन्स बनाने की ज़रूरत नहीं है। उसे सनसनी फैलाने की ज़रूरत नहीं है। उसे निणर्य लेने की प्रक्रिया की पड़ताल करनी है। उसमें ये क्षमता होनी चाहिए कि वह एक ऐसे संभावित मत जो अब ग़लत साबित हो चुका है और एक ऐसे मत जो भ्रष्ट है के बीच पहचान कर सके। अगर उसे लगता है कि दो मत हो सकते हैं और उसका अपना मत अलग हो सकता है तो उसे उदार रवैया अपनाना चाहिए, क्योंकि हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जो पिछले कुछ समय में ज्यादा आशंकावादी हो चुका है। इसलिए हमारा काम है कि हम जनमत को भीड़ तंत्र यानी लिंच मॉब में न बदलें।

इस पर विनोद राय की कोई किताब न आ जाए, लेकिन बीजेपी और तमाम विपक्ष ने सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर ही तो भ्रष्टाचार का मुद्दा गरमाया था, जिसके चलते कोयला और टेलिकॉम में कंपनियों के लाइसेंस रद्द हुए बड़े-बड़े उद्योगपति जांच के घेरे में आए और मंत्रियों के इस्तीफे हुए। यूपीए के मंत्री भी तो इस तरह की दलील देते थे। खैर।

आज सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने 627 लोगों के नाम सीलबंद लिफाफे में सौंप दिया, अदालत ने बिना खोले रजिस्ट्रार को दिया कि एसआईटी को दे दिया जाए। सरकार ने नामों के अलावा देशों के साथ हुई संधियों के काग़ज़ात भी अदालत को सौंपे। यह भी बताया कि इनकी जांच का स्टेटस क्या है। नवंबर के आखिर तक एसआईटी को इम मामले में एक स्टेटस रिपोर्ट अदालत को देनी होगी। 31 मार्च 2015 तक जांच और मूल्यांकन के सभी काम पूरे कर लेने होंगे। एसआईटी इस सूचना को प्रत्यर्पण निदेशालय ईडी और अन्य एजेंसियों से भी साझा करेगी। एसआईटी बताएगी कि क्या इन खाता धारकों ने नियमों का उल्लंघन कर ये पैसा जमा कराया है।

कोर्ट ने सरकार से कहा कि अगर उसे इस मामले में कोई दलील रखनी है तो वह एसआईटी के सामने रख सकती है। अरविंद केजरीवाल की याचिका को स्वीकार नहीं किया और प्रशांत भूषण से 3 दिसंबर को आने के लिए कहा। प्रशांत भूषण ने अदालत से अनुमति चाही थी कि वह एसआईटी को 10 लोगों के नाम देना चाहते हैं।

एटॉर्नी जनरल ने कोर्ट से कहा कि रिपोर्ट आपको सौंप दी है, आप किसी से भी जांच करा सकते हैं। मुकुल रोहतगी ने बताया कि ये सभी नाम 2006 तक के ही हैं। यानी सरकार के पास कोई नई सूची नहीं थी। ये लिस्ट भी एचएसबीसी के किसी पूर्व कर्मचारी ने चोरी कर फ्रांस सरकार को दी थी। क्यों दी थी पता नहीं, लेकिन फ्रांस की सरकार ने भारत सरकार को 2011 में ये सूची सौंपी थी। पर जांच तो इस बात की हो रही है कि इन लोगों ने टैक्स चोरी की है या नहीं। जांच तो टैक्स चोरी की हो रही है तो क्या इस जांच से काला धन आएगा।

एनडीटीवी को सूत्रों से पता चला है कि इस सूची के क़रीब 150 नाम ऐसे हैं, जिन्होंने टैक्स दे रखा है और इसलिए उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं बनती। बाक़ी के ज़्यादातर खातों में 40−50 करोड़ रुपये हैं। कुछ में 500 से 1000 करोड़ हैं, लेकिन वह टैक्स की छूट देने वाले देशों से चल रहे ट्रस्टों के हैं।

आयकर विभाग के लिए पता करना मुश्किल है कि इन ट्रस्टों का लाभ किन लोगों को मिल रहा है। अगर पूरी लिस्ट से कर चोरी की कुल रकम निकाली जाए तो वह 1000 करोड़ तक निकलती है जो जुर्माना लगाकर 3,000 करोड़ हो सकती है।

ये नाम चोरी के हैं इसलिए बैंक कानूनी रूप से पुष्टि नहीं कर सकते। कार्रवाई के नाम पर आयकर विभाग वाले बस खातेदारों से हलफनामे ले रहे हैं। कुछ खातों में तो पैसे भी नहीं हैं। तो जितना नेताओं ने आकर्षक बना दिया उतना ब़ड़ा मामला ये है नहीं, लेकिन रामदेव अब भी अपने हिसाब पर कायम हैं जिससे आपको तीन लाख रुपये मिलने की उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।

सोशल मीडिया बाबा रामदेव को बहुत दिनों से खोज रहा था लेकिन बाबा अवतरित हुए असली मीडिया यानी टीवी चैनलों के सामने और बयान सुझाव सब दिए। बाबा ने कहा कि जिस गति से काले धन की रिकवरी होनी चाहिए थी उस गति से नहीं हो रही है, जिससे आशंका का माहौल बन रहा है। मैं प्रधानमंत्री मोदी पर शक नहीं कर रहा, लेकिन लोग सवाल पूछ रहे हैं।

आप जानते हैं कि काला धन मुद्दे पर बीजेपी से आश्वासन मिलने के बाद ही बाबा रामदेव ने देश भर में पार्टी के लिए चुनाव प्रचार किया था। बाबा ने सरकार को तीन काम करने के सलाह दिए हैं। जिन लोगों ने ये काला धन जमा किया हुआ है, उनके नाम भी बताने चाहिए और उनसे दाम वसूलने चाहिए। 50 हज़ार से ज़्यादा इल्लीगल ट्रांज़ैक्शन्स की रिपोर्ट सरकार के पास है उन सबकी जांच हो और काला धन वसूल हो। क़रीब 20 लाख करोड़ रुपए एफ़डीआई के माध्यम से आया है, उसमें भी क़रीब 60 से 80 फीसदी काला धन ये मैं नहीं देश के सभी इकोनॉमिस्ट भी मानते हैं उसी एफ़डीआई के माध्यम से जिसको मैं चाहे काले धन की चाबी बोलता हूं। जिन लोगों ने विदेशी पूंजीनिवेश के नाम पर वो पैसा लाया है उनही के पैसे देश के बाहर यूबीएस से लेकर तमाम एचएसबीसी से लेकर के और दूसरे विदेशी बैंकों में जमा हैं।

अच्छा ही था इस पर बाबा रामदेव चुप थे। अब बोल दिया न कि 50 हज़ार से ज्यादा की रिपोर्ट सरकार के पास है और एफडीआई से आए पैसे में बहुत बड़ा हिस्सा ब्लैक मनी है। यहां तो एफडीआई के आने का बाज़ार में जश्न मनाया जा रहा है। आज ही सरकार ने कंट्रक्शन में विदेशी पूंजीनिवेश को और आसान बना दिया है।

वैसे राम जेठमलानी ने आज की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया है और बाबा रामदेव की तरह अण्णा हज़ारे भी सीन में आ गए हैं। उन्होंने कहा कि लोग जानना चाहते हैं कि काला धन कब आएगा। इस पूरी बहस में सब उस लोकपाल को भूल से गए हैं, जिसके दम पर भ्रष्टाचार को समाप्त किया जा रहा था।

(प्राइम टाइम इंट्रो)

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