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This Article is From Sep 18, 2014

सीमा विवाद ने चीनी राष्ट्रपति के दौरे का रंग उतार दिया?

Ravish Kumar, Rajeev Mishra
  • ,
  • Updated:
    September 18, 2014 21:55 IST
    • Published On September 18, 2014 22:03 IST
    • Last Updated On September 18, 2014 22:03 IST

नमस्कार मैं रवीश कुमार। पाकिस्तान जैसा तो होने का सवाल ही नहीं था, जैसा जापान के साथ हुआ वैसा भी नहीं हुआ, पर क्या चीन के साथ जो हुआ वो उतना ही हो सकता था या होते होते कुछ कम हो गया। साबरमती से यमुना के तट पर आते-आते पानी तो बदला ही कहानी भी बदल गई।

अहमदाबाद के हयात होटल से दिल्ली के ताज होटल तक आते आते दोनों के संबंध सपनों से निकल कर ज़िंदगी के हकीकत में दिखने लगे। हयात का मतलब ज़िंदगी। लद्दाख के पास वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास जो हुआ वही सबको वास्तविक नज़र आने लगा।

साबरमती आश्रम में गांधी का चरखा कातना या राजघाट पर गांधी की समाधि पर फूल अर्पित करना वास्तविकता से दूर लगने लगा। बताया जा रहा है कि चीन की तरफ से जो आक्रामक घुसपैठ हुई है वैसी घुसपैठ बहुत सालों में नहीं देखी गई। यही तनाव अगर पाकिस्तान के साथ होता तो मीडिया में खाने का मेन्यू आउट हो जाता और नेता मिठाई से लेकर बिरयानी पर टूट पड़ते। हम पाकिस्तान के नागरिकों की तरह रहमान मलिक जैसों को विमान से नहीं उतार देते बल्कि वार्ता रद्द होने की मांग तो हो जाती। क्या पता सरकार कर भी देती।

(प्राइम टाइम इंट्रो)

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