सूत्रों के हवाले से ख़बरें आ रही हैं कि चुनाव आयोग जल्दी ही राजनीतिक दलों और उनके द्वारा चुने हुए टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट को मौका देने वाला है. वे किसी भी राज्य में जायें.. वहां से किसी भी बूथ की एक मशीन का चुनाव करें. उसे दिल्ली लाया जाएगा और फिर हैक करके दिखा दें. इसे हैकाथॉन का नाम दिया गया है. आयोग ने ऐलान नहीं किया है, मगर हैकाथॉन जब चर्चा में आ ही गया है तो ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी के अनुसार हैकाथॉन मतलब जान लेते हैं. हैकाथॉन कई दिनों या कई घंटों तक चलने वाला इवेंट है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग आते हैं, किसी कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए काम करते हैं. मिलकर बनाते हैं या बिगाड़ भी सकते हैं. इसे हैकाथॉन कहते हैं.
मेरे हिसाब से ईवीएम मशीन के संदर्भ में इसका नाम भारतीय परंपरानुकूल होना चाहिए. हैक स्वयंवर कहा जाना चाहिए. हम स्केच के ज़रिये बताने का प्रयास करेंगे कि अगर हुआ तो भारत का पहला हैक स्वयंवर कैसा होगा. आज कल सुनने में आ रहा है कि पुराना इतिहास मिटाकर नया लिखा जा रहा है. मेरी इतनी गुज़ारिश है कि जो पन्ने ख़ाली हैं वहां किसी कोने में मेरा नाम भी लिख दिया जाए, क्योंकि हैक स्वयंवर की कल्पना सबसे पहले मैंने की है. बल्कि क्या लिखना है वो भी बता देता हूं. जिस दौर में न्यूज़ एंकरों का ब्लड प्रेशर वायुमंडल के दबाव से पार चला गया था, उस वक्त एक एंकर शांतचित्त हैक स्वयंवर की कल्पना में लगा था. आइये हैक स्वयंवर की कल्पना लोक में प्रवेश करते हैं.
हैकाथॉन में 16 दलों के टेक्नोलॉजी वीर आएंगे. इन दलों के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द यही होगा कि किसी काबिल हैकर को मना लें जो ईवीएम को हैक करके दिखा दे. अब हैकर पर निर्भर करेगा कि वो बदले में उस दल से कितनी फीस लेगा. जो भी ईवीएम को हैक करके दिखा देगा, वो भारतीय लोकतंत्र को बचाने का स्वयंवर जीत जाएगा. उसके गले में माला डाल दी जाएगी. अगर कोई बिना हैक किए हैक स्वयंवर कक्ष से बाहर निकला तो पूरे देश में उसके दल का मज़ाक उड़ेगा, जिसकी तरफ से वो हैक करने हॉल में गया था... ठीक वैसे ही जैसे रामानंद सागर के रामायण सीरियल में सीता स्वयंवर के दृश्य में धनुष न उठा सकने वाले राजा जब वापस लड़खड़ाने लगते थे तो हंसी की गूंज बैकग्राउंड में सुनाई देती थी. इसलिए बेहतर है कि राजनीतिक दल अभी से सोच लें कि अपना हैकर हैकाथॉन में भेजना है या नहीं. मेरी राय में हैकर के चुनाव के लिए उन्हें भी अपने यहां हैकथॉन कराना चाहिए. मैटर बहुत सीरियस है.
इलेक्ट्रॉनिक मशीन को लेकर चुनाव आयोग को सिर्फ 16 राजनीतिक दलों से ही नहीं निपटना है, बल्कि अदालती आदेशों को भी ध्यान में रखना होगा. उत्तराखंड में हाईकोर्ट ने सात विधानसभा क्षेत्रों में इस्तेमाल हुई इलेक्ट्रॉनिक मशीनों को ज़ब्त करने के आदेश दिए हैं. आरोप है कि एक बीजेपी नेता ने फेसबुक पोस्ट पर कई बूथों के बारे में किस दल को कितना वोट मिलेगा, इसकी भविष्यवाणी की थी, जो करीब करीब सही निकली. एक आरोप है कि जिस बूथ पर जो मशीनें भेजी गईं थीं, उनकी सूची के अनुसार, पोलिंग बूथ पर मशीनें नहीं थीं... दूसरी मशीनें थीं. हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग, राज्य निर्वाचन आयोग को नोटिस दिया है. यही नहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुणे के परबती विधानसभा की ईवीएम की फोरेंसिक जांच कराने के आदेश दिए हैं. 2014 में हुए विधानसभा चुनाव का यह मामला है. लगता है इस तरह का आदेश भी पहली बार हुआ है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने 9 सवाल भी पूछे हैं कि...
- क्या ईवीएम में कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लग सकता है, जिसे ब्लूटूथ या इंफ्रारेड के ज़रिये संचालित किया जा सकता है.
- क्या ईवीएम में कोई मेमोरी चिप डाली जा सकती है.
हैदराबाद की फोरेंसिक लैब में परबती विधानसभा की सभी मशीनों की फोरेंसिक जांच होगी. दिल्ली नगर निगम चुनावों के बाद लगा था कि आम आदमी पार्टी भी बाकी दलों की तरह ईवीएम के मसले से किनारा कर लेगी, मगर विधानसभा में अपने हिसाब से एक मशीन बनाकर ले आए और अपने कोड नंबर से बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ की जा सकती है. इस बात को ध्यान में रखना ही होगा कि विधायक सौरभ भारद्वाज ने जिस मशीन को पेश किया वो ईवीएम नहीं है.. न ही उससे मिलती जुलती है. कुमार विश्वास ने सौरभ भारद्वाज की तारीफ की है और कुमार विश्वास के समर्थक माने जाने वाले कपिल मिश्रा ने आलोचना की है और कहा है कि उनके आरोपों से ध्यान भटकाने के लिए यह सब किया गया है. बीजेपी ने कहा है कि जो सवाल केजरीवाल पर उठ रहे थे, उससे बचने के लिए ईवीएम का सहारा लिया गया है.
इस बीच इस मामले पर चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया आ गई है... चुनाव आयोग का कहना है कि ऐसी मिलती-जुलती मशीन तो कोई भी ला सकता है...
- ये ईवीएम जैसी मशीन है, ईवीएम नहीं.
- और इसकी कोई अहमियत नहीं है.
- ऐसी मशीनों से मनचाहे नतीजे मिल सकते हैं.
- जबकि चुनाव आयोग के EVM पूरी तरह सुरक्षित हैं.
- ऐसी मशीनों से EVM को बदनाम नहीं किया जा सकता.
- चुनाव आयोग 12 मई की बैठक में देगा सुरक्षा के ब्योरे.