तभी राहुल गांधी का तीन कारों का काफिला वहां पहुंचता है. फिर वे पत्रकार अपना दावा ठोक देते हैं जो कह रहे थे कि राहुल का प्लेन सुबह 10 बजकर 40 मिनट पर लैंड होना है. लेकिन दूसरे कहते हैं कि वो दिल्ली में ही कहीं और से आ रहे हैं. पर दूसरा तर्क देता है कि सोनिया और प्रियंका जब अंदर हों तो और कौन सी अहम जगह होगी जहां राहुल वक्त बिता रहे होंगे. एक पत्रकार तो यहां तक दावा करता है कि उसने राहुल की गाड़ी में टैग लगा बैग देखा है. यानि वे सीधे एयरपोर्ट से ही आ रहे हैं. लेकिन ये विवाद आगे नहीं बढ़ता क्योंकि सभी कवरेज की आपाधापी में खो जाते हैं.
खैर... राहुल के आने के करीब घंटे भर बाद मीटिंग से बाहर आकर कैप्टन अमरिंदर सिंह मीडिया से मुखातिब होते हैं. पूछे जाने पर कहते हैं कि नवजोत सिंह सिद्धू आज या कल पार्टी में शामिल हो जाएंगे. तब तक अंदर में मींटिग का दूसरा दौर जारी हो चुका होता है. इसमें तीनों गांधी के अलावा अहमद पटेल, आस्कर फर्नांडिस, रणदीप सिंह सुरजेवाला जैसे नेता शामिल होते हैं. यानि कांग्रेस ने नोटबंदी के ऊपर जो समिति बनाई थी उसके चेयरमैन और सदस्य. यानि बैठक अब नोटबंदी के मुद्दे पर हो रही है.
अचानक एसपीजी वाले अपनी-अपनी गाड़ियों की ओर लपकने लगते हैं. मतलब मीटिंग खत्म और वीवीआईपी नेताओं के बाहर आने का वक्त. इस दौरान एसपीजी वाले आमतौर पर अधिक चौकस हो जाते हैं. मीडिया कर्मियों को दूर धकेलने और रखने की कोशिश करते हैं. लेकिन आज मीडियाकर्मी अपने कैमरों के साथ राहुल गांधी के घर के मेन गेट के सामने तक पहुंच गए. कोई रोक टोक नहीं हुई. कुछ क्षण के इंतजार के बाद एक गाड़ी बाहर निकलती है. सूरज की रोशनी के रिफ्लेक्शन में पहले पता नहीं चलता लेकिन फिर साफ नजर आता है कि राहुल गांधी ड्राइविंग सीट संभाले हुए हैं. सोनिया गांधी बगल की सीट पर बैठी हैं. अपनी पहले की छवि के विपरीत राहुल गांधी कार का शीशा नीचे उतारकर पत्रकारों का अभिवादन भी करते हैं. तस्वीरें कैमरों में कैद हो गई.
तो क्या ये लंबी छुट्टी से लौटने के बाद एक बेटे का अपनी मां के प्रति सहज शिष्टाचार और प्यार था जिसकी वजह से राहुल कार चलाकर मां को उसके घर तक छोड़ने गए. या इसके जरिए ये संकेत देने की कोशिश कि अध्यक्ष बेशक सोनिया हों लेकिन सारी जिम्मेदारी राहुल ही उठा रहे हैं. शायद ये इस तस्वीर का अतिशंयोक्ति भरा विश्लेषण भी हो सकता है. लेकिन इसके थोड़ी देर बाद ही पार्टी की तरफ से एक और ऐलान हुआ. बुधवार को नोटबंदी के खिलाफ कांग्रेस जो 'जन वेदना सम्मेलन' करने जा रही है उसकी अध्यक्षता राहुल गांधी करेंगे.
ऐसा पहली बार नहीं है कि राहुल कांग्रेस की किसी अहम बैठक या सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे हैं. वो भी सोनिया गांधी के पार्टी अध्यक्ष रहते हुए. हाल ही में वे कांग्रेस संसदीय दल की बैठक की भी अध्यक्षता कर चुके हैं. कांग्रेस कार्यसमिति की पिछली बैठक में सोनिया शामिल नहीं हुईं लिहाजा अध्यक्षता राहुल ने ही की. उसी बैठक में सोनिया के कार्यकाल को एक साल का विस्तार दिया गया लेकिन कार्यसमिति के तमाम सदस्यों ने एकमत से राहुल को कमान संभालने की गुजारिश की. इसके अलावा कांग्रेस स्थापना दिवस पर कांग्रेस मुख्यालय में झंडा राहुल गांधी ने फहराया. इन सब मौकों पर सोनिया की गैरमौजूदगी के पीछे की वजह उनकी सेहत को बताया गया. लेकिन मंगलवार को सोनिया गांधी राहुल के घर बैठक में पहुंची तो साफ हो गया कि उनकी सेहत ठीक है. इसके बाद ही जन वेदना सम्मेलन की कमान राहुल को सौंपने के फैसले से जाहिर है कि तमाम अहम मौकों पर पार्टी और खुद सोनिया चाहती हैं कि राहुल आगे बढ़कर जिम्मेदारी संभालें. यानि पार्टी अध्यक्ष पद पर राहुल की औपचारिक ताजपोशी जब होगी तब होगी. फिलहाल राहुल बगल की सीट पर सोनिया को बिठाकर पार्टी चलाते दिख रहे हैं या दिखना चाह रहे हैं. शायद इसे औपचारिकता में बदलने से पहले पार्टी को किसी अच्छी चुनावी कामयाबी का इंतजार है.
(उमाशंकर सिंह एनडीटीवी इंडिया में एडिटर इंटरनेशनल अफेयर्स हैं.)
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