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This Article is From Jan 12, 2015

निधि का नोट : क्या दिल्ली में मिल पाएगा किसी एक पार्टी को बहुमत...?

Nidhi Kulpati, Vivek Rastogi
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  • Updated:
    जनवरी 12, 2015 20:19 pm IST
    • Published On जनवरी 12, 2015 20:16 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 12, 2015 20:19 pm IST

क्या दिल्ली में इस बार भी किसी एक पार्टी को मिल पाएगा बहुमत...? देश की राजधानी दिल्ली में करीब सवा साल में दोबारा चुनाव होने जा रहे हैं... 70 सीटों वाली विधानसभा के लिए 7 फरवरी को वोट पड़ेंगे और गिनती होगी 10 तारीख को... तो एक बार फिर से चुनावी वादे-इरादो की फेहरिस्त दिल्ली की जनता के सामने रख दी जाएगी...

बीजेपी के दिल्ली अध्यक्ष सतीश उपाध्याय रविवार को हुई प्रधानमंत्री की फीकी रैली से उबर ही रहे थे कि तारीखों के ऐलान ने उनकी बैठकों के दौर बढ़ा दिए हैं... उनके अनुसार वह दिल्ली को एक विश्वस्तरीय राजधानी बनाना चाहते हैं... अवैध कॉलोनियों को दुरुस्त करना चाहते हैं... आम आदमी पार्टी के झूठ को जनता के सामने रखना चाहते हैं... यह साफ है कि बीजेपी के लिए आम आदमी पार्टी बड़ी चुनौती है, और खुद प्रधानमंत्री सीधे 'आप' पर निशाना साध रहे हैं... उनकी रैली में पिछले साल के मुकाबले आधे ही लोग पहुंचे, और शायद इसी से आम आदमी पार्टी के खेमे में कुछ उत्साह है...

आम आदमी पार्टी एक बार फिर भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाकर चुनावी मैदान में उतर रही है... मोदी की ही तरह वह भी दिल्ली को 'Bribe Free Investment Destination' बनाना चाहती है... शिक्षा व्यवस्था पर्याप्त करना चाहती है, ताकि स्कूल-कॉलेजों के लिए दिल्ली के बच्चों को बाहर न जाना पड़े... महंगाई और बिजली-पानी के दाम कम करना चाहती है... युवाओं के लिए फ्री वाईफाई का वादा कर रही है, तो बीजेपी पर फर्जीवाड़े की तोहमत भी लगा रही है... झूठी तस्वीरें दिखाने और झूठे वादे करने का आरोप लगा रही है... बहरहाल, रेडियो में विज्ञापन हो या सड़कों के किनारे लगे होर्डिंग, वह बीजेपी को सीधी टक्कर दे रही है... लगता है, 'आप' के पास भी पैसे की कमी नहीं है...

उधर, कांग्रेस खुद को अब भी मैदान में बता रही है... यह बात और है कि उसकी अगुवाई कौन करेगा, यह तक साफ नहीं हो रहा है... अरविन्दर सिंह लवली या अजय माकन... चलिए, जो भी हो, जनता ने देखना-सुनना शुरू कर दिया है... जंतर-मंतर में कुछ लोगों से बात की... युवा तो सीधे अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े नज़र आए, लेकिन नौकरीपेशा तबका बीजेपी का और उम्रदराज लोग कांग्रेस का नाम लेना नहीं भूले... तो क्या किसी एक पार्टी को मिल पाएगा बहुमत...? आइए, एक बार फिर दिल्ली के दंगल के लिए तैयार हो जाते हैं...

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