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This Article is From Dec 01, 2015

निधि का नोट : एक भारत, श्रेष्ठ भारत

Nidhi Kulpati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 23, 2015 14:09 pm IST
    • Published On दिसंबर 01, 2015 21:08 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 23, 2015 14:09 pm IST
लोकसभा में असहनशीलता पर बहस दो दिन तक चली। बहस का सार सरकार ने ये निकाला कि बीजेपी को निशाना बनाया गया  और असहनशीलता का सबसे बड़ा शिकार प्रधानमंत्री मोदी बने। असहनशीलता के नाम पर सरकार और देश की छवि खराब करने की कोशिश की गई। विश्वभर में इस मामले को उछाला गया। विपक्ष प्रधानमंत्री की बढ़ती लोकप्रियता को पचा नहीं पा रहा है। सरकार का कहना है NCRB के आंकड़े कहते हैं कि पिछली सरकारों के दौरान ज्यादा दंगे हुए और अब जानबूझकर असहनशीलता का माहौल तैयार किया गया है।

तो क्या असहनशीलता के मसले को बेवजह तवज्जो दी गई? प्रधानमंत्री मंगलवार को भी असहनशीलता पर बहस में तो शामिल नहीं हुए, लेकिन राज्यसभा में उन्होंने संविधान दिवस पर कहा कि संविधान देश को जोड़ने का काम करता है। इसको मनाने के  पीछे हमारा मकसद आगे की पीढ़ियों को अपने संविधान बनाने वालों के योगदान और अपनी संस्कृति के बारे में बताना है। हममें कमियां हैं। संविधान रचने वालों के सामर्थय को हमें समझना होगा। हमें ऊपर उठने की ज़रूरत है। हम कानून बनाते हैं फिर दूसरे सत्र में और शब्द जोड़ने पड़ते हैं। अब राजनीतिक स्थितियां हावी हो जाती हैं। बहरहाल प्रधानमंत्री ने हाल में अपने भाषणों में सरकारों पर राजनीति हावी होने की बात बार-बार कही है। शीतकालीन सत्र के पहले दिन अम्बेडकर जयंती पर अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा था कि अक्सर चुनावी दलों पर भक्ति तीव्र हो जाती है।

असहनशीलता पर विपक्ष का वार सरकार पर तीव्र रहा है। राहुल गाधी ने बहस के दौरान सरकार पर विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप लगाया। वित मंत्री कहते हैं कि ये बनावटी है। आवाजों को कुचलना नहीं चाहिए। राहुल गांधी ने कहा, मैं सरकार से कहता हूं कि लोगों की सुनों। पहले की ओर मत देखो। प्रधानमंत्री गाधी जी की सराहना करते हैं। उनका उदाहरण देते हैं, लेकिन जब साक्षी महाराज गोडसे को राष्ट्रभक्त बताते हैं तो प्रधानमंत्री चुप होकर सुनते हैं।

केंद्र सरकार में मंत्री वी.के. सिह दलित बच्चों की तुलना पशुओं से करते हैं। ये बयान संविधान को सीधे चुनौती देता है। सुरक्षा हमारे लिए बहुत अहम है, लेकिन जब एक सैनिक के पिता को मार दिया जाता है तब भी प्रधानमंत्री चुप रहते हैं। सरकार स्किल इंडिया की बात करती है, लेकिन जब FTII के छात्र एक औसत व्यक्ति को प्रमुख बनाने का विरोध करते हैं तो प्रधानमंत्री चुप रहते हैं। तो क्या संविधान को सुशोभित कर सिर्फ संविधान दिवस तक सीमित रखना चाहिए?

विपक्ष के कई सासदों ने मंत्रियों के बयानों पर आपत्ति जताई। समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा पर कानून व्यवस्था को बिगाड़ने का आरोप लगाया।

हालांकि सरकार की तरफ से भी तर्क दिए गए कि यूपीए सरकार ने भी सेंसर बोर्ड जैसी संस्थाओं में मनमाने बदलाव किए। सेंसरबोर्ड के प्रमुख से अनुपम खेर को हटा कर शर्मिला टैगोर को बनाया गया था। कहा, शाहरुख और आमिर खान सम्पन्न परिस्तिथियों में रहते हैं, लेकिन आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिल आगे भी बरकरार रहेगा। सुप्रिया सूले ने कहा, गुजरात दंगे वाजपेयी जी के समय हुए, लेकिन तब अवॉर्ड वापसी नहीं हुई। क्योंकि लोगों को उन पर भरोसा था, विशवास था। उन्होंने अपने मंत्रियों से कहा था कि वे सोच समझकर बोलें।

प्रधानमंत्री मोदी को अप्रत्याशित बहुमत मिला है। वे सत्ता में हैं, अगर वे अपनी जनता से संवाद करते रहें तो ये देश के लिए लाभकारी होगा। केवल मन की बात नहीं जन संवाद करते रहें, मसलों पर राय जाहिर करते रहें। एक भारत श्रेष्ठ भारत!!!

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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