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This Article is From Sep 07, 2016

क्या आमजन से जुड़ीं इन समस्याओं को हल करेंगे नए आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल?

Chaturesh Tiwari
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    सितंबर 08, 2016 01:15 am IST
    • Published On सितंबर 07, 2016 13:38 pm IST
    • Last Updated On सितंबर 08, 2016 01:15 am IST
आरबीआई के नए गवर्नर उर्जित पटेल ने 4 सितंबर से अपना कामकाज संभाल लिया है. निश्चित रूप से उनके समक्ष कई चुनौतियां हैं. इनमें प्रमुख रूप से महंगाई को काबू में लाना, बैंकों के बढ़ते एनपीए पर लगाम लगाना, कमजोर हो रहे रुपये में स्थिरता लाना शामिल है. ब्याज दरें घटाने का दबाव भी उन पर है. ये सब तकनीकी और जटिल मुद्दे हैं. मैं आपका ध्यान बैंकिंग व्यवस्था में वर्षों से व्याप्त समस्याओं की ओर दिलाना चाहता हूं.

ये ऐसी समस्याएं हैं जिनसे आम उपभोक्ता को अक्सर दो-चार होना पड़ता है. इन समस्याओं का समाधान अब तक के सबसे तेजतर्रार आरबीआई गवर्नरों में शुमार रहे रघुराम राजन तक नहीं निकाल पाए. ऐसे में आरबीआई के नए गवर्नर उर्जित पटेल से उम्मीद है कि शायद वे इन आम उपभोक्ताओं की तकलीफों को दूर करने का प्रयास करेंगे.

सबसे पहली समस्या एटीएम से नकली नोट निकलने की है. पिछले एक दशक में एटीएम की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. बैंकों की पहुंच छोटे-बड़े कस्बों में हुई है. अब लोगों को कैश निकालने के लिए बैंक तक जाने की जरूरत नहीं है लेकिन एटीएम से नकली नोट निकलने की समस्या का समाधान अभी तक नहीं हुआ है.

हाल ही में सूचना के अधिकार के तहत एटीएम में नकली नोट की पहचान के संदर्भ में आरबीआई से मांगी गई जानकारी के जवाब में भारतीय रिजर्व बैंक ने खुद स्वीकार किया था कि एटीएम में आए जाली और नकली नोटों को पकड़ने (पहचान) की कोई व्यवस्था ही नहीं की गई है. आरबीआई ने यह भी कहा था कि अगर एटीएम से नकली नोट निकला तो वह उपभोक्ता का दोष है और उसका नुकसान भी उपभोक्ता के हिस्से में जाएगा. यह आरटीआई मध्यप्रदेश के नीमच जिले के सूचना के अधिकार के कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने लगाई थी.

यह कितना हास्यास्पद तर्क है कि नकली नोट का नुकसान उपभोक्ता उठाए. वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता यही है कि सभी एटीएम में फेक करंसी डिटेक्टर डिवाइस लगा जाएं ताकि उपभोक्ताओं को नकली नोट मिलने की परेशानी से बचाया जा सके. पटेल के सामने इस मुद्दे को सुलझाने की चुनौती होगी.

नए आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के समक्ष दूसरी चुनौती है एटीएम मशीनों को उन्नत करवाने की. एटीएम में अतिरिक्त सुरक्षा फीचर न होने से आए दिन लोग धोखाधड़ी के शिकार होते हैं. पटेल के लिए महत्वपूर्ण होगा कि डेबिट व क्रेडिट कार्डों की स्कीमिंग एवं क्लोनिंग की रोकथाम के लिए ठोस पहल करें. मीडिया में आई खबरों के अनुसार आरबीआई ने देश के बैंको व एटीएम मशीन संचालकों को अपनी मौजूदा एटीएम मशीनों को 30 सितंबर 2017 तक अपडेट करने को कहा है. अब देखना होगा कि इस तय सीमा का पालन करवाने में पटेल कहां तक सफल होते हैं.

साथ ही उम्मीद है कि नए आरबीआई प्रमुख स्कीमिंग और क्लोनिंग से उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए एक व्यापक स्तर पर मीडिया में अभियान चलाए जाने की जरूरत पर बल देंगे.

क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड से हो रही ऑनलाइन धोखाधड़ी के संबंध में कुछ प्रयास रघुराम राजन के कार्यकाल में जरूर किए गए लेकिन अभी भी इस दिशा में बहुत कुछ किया जाना बाकी हैं. ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों से निपटने की प्रक्रिया को और सरल बनाने पर जोर देना होगा. ग्राहक कहां शिकायत करें इस बारे में भी जागरूक करना होगा.

इसके अलावा, एक और प्रमुख समस्या कैश डिपॉजिट की है. तेज रफ्तार वाली शहरी जिंदगी में समय की कमी रहती है. हर नुक्कड़ और चौराहों पर एटीएम मशीनें तो लग रही हैं लेकिन उसकी तुलना में कैश डिपॉजिट मशीन नहीं लग रही हैं जिससे बैंकों में लंबी-लंबी लाइनें अभी भी नजर आती हैं. ऐसे में कैश डिपॉजिट की मशीनों की संख्या बढ़ाने पर भी पटेल को ध्याना देना होगा जिससे आम लोग राहत महसूस कर सकें. आरबीआई प्रमुख उर्जित पटेल के सामने बैंक बीमा उत्पादों और म्युचुअल फंडों में और अधिक पारदर्शिता लाने की चुनौती है.

चतुरेश तिवारी  khabar.ndtv.com में चीफ सब एडिटर हैं...

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