मां, जो थप्पड़ तुमने खाए, उन्होंने मेरे गालों को मजबूत किया...

मां आज यह महसूस होता है कि तुम्हारे चेहरे पर पड़ने वाले हर थप्पड़ ने मुझे मजबूत किया है. मैंने शुरुआत में भले ही तुम्हें हमेशा एक कमजोर औरत की तरह देखा, जो अपने पति से पिटती थी, लेकिन आज मैं जानती हूं कि उसके पीछे एक बहुत ही मजबूत औरत थी, जो सही और गलत को समझते हुए अपने हिस्से की लड़ाई लड़ रही थी.

मां, जो थप्पड़ तुमने खाए, उन्होंने मेरे गालों को मजबूत किया...

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

मां आज तीन कहानियां सुनाती हूं तुम्हें. तीन किरदारों की तीन कहानियां, जिनका कथानक एकसूत्र है...

एक शराबी
एक शराबी जो एक फैक्ट्री में काम करता था. मेहनत मजदूरी का काम. सब बड़े लोगों के सामने हाथ जोड़ कर अपना काम विनम्रता और सहजता से करता रहता. उसके इसी व्यवहार के लिए सब उसकी तारीफ करते थे, उसके काम और उसकी ईमानदारी पर यकीन करते थे. उसमें बस एक कमी थी. उसे गुरूर था अपने मर्द होने पर और ये गुरूर अक्सर लात-घूसों की शक्ल में उसकी बीवी को सहना पड़ता था. वो रोज पीता था, शराब ने उसके अंदर के उस हैवान को हवा दी, जो उसके अंदर मौजूद तो सालों से था, लेकिन कभी खुलकर बाहर नहीं आया. उसकी अच्छाई घर की दहलीज को पार कर कभी अंदर नहीं आ सकी, न ही शायद उसने कभी इसकी कोशिश की.

एक घरेलू औरत
एक घरेलू औरत जो रोज रात अपने शराबी पति से पिटती थी और अगली सुबह उसके लिए नाश्ता बनाकर उसे नींद से जगाती थी. इस उम्मीद में कि कल का नशा उतर गया होगा. उसके नाश्ते के बदले फिर से मिलती थी लातें और गालियां. उसे और उसके मायके वालों को.

एक बड़ी होती बेटी
एक बेटी, जो बड़ी हो रही थी. अब उसमें डर कम हो गया था. वो अपने पिता को कोसने लगी थी. मां उसे कहती थी कि तुम्हारे बाप ने तुम्हारे लिए बहुत किया है, पर वो सब जानती थी. वो बचपन में जिस पापा से खौफ खाती थी, जवान होते-होते उसे धमकाने लगी थी. उसे घूरती थी और अकड़ कर उसके सामने खड़ी होती थी...

मां, याद है
मां, याद है तुम्हें, एक ऐसी ही औरत का किरदार तुमने भी जिया है. रात-रात भर तुम्हारे आंसुओं के समुद्र में मैं तिनके सी तैरती थी. मां, तुमने हारना नहीं सीखा था, तभी तो मैं तैरना सीख पाई. तुम्हें पिटना मंजूर था, यह नहीं कि क्योंकि मैं बेटी हूं, तो घर में रहूं और स्कूल न जाऊं. तुमने जिद से मुझे पढ़ाया.

मां, तुम्हारे गाल पर पड़ा हर थप्पड़ मुझे कमजोर तो करता था, लेकिन साथ ही तुम्हारे इस तरह डटकर खड़े रहने से मुझमें साहस आता था. तुम्हारा यूं पिटने के बावजूद सही गलत को सामने रखना मुझे हौंसला और हिम्मत देता था. मां, शायद इसलिए ही मैंने कभी किसी लड़के के ताने नहीं सहे, किसी लड़के ने जब मुझे छेड़ा तो मैंने उनकी आंखों में आंखें डाल कर सवाल किए.

मां आज यह महसूस होता है कि तुम्हारे चेहरे पर पड़ने वाले हर थप्पड़ ने मुझे मजबूत किया है.

मैंने शुरुआत में भले ही तुम्हें हमेशा एक कमजोर औरत की तरह देखा, जो अपने पति से पिटती थी, लेकिन आज मैं जानती हूं कि उसके पीछे एक बहुत ही मजबूत औरत थी, जो सही और गलत को समझते हुए अपने हिस्से की लड़ाई लड़ रही थी. अपनी और आने वाली पीढ़ी की औरतों के हिस्से की जंग... थैंक्‍स मां, मुझे लड़ना सिखाने के लिए. मैं फख्र से कहती हूं कि मैं तुम्हारी बेटी हूं और बिलकुल तुम जैसी हूं.

(एक मां, जो मेरी जानकार हैं और उसकी बेटी की कहानी. आज उसकी बेटी एक सरकारी शिक्षक है.)

अनिता शर्मा एनडीटीवी खबर में चीफ सब एडिटर हैं।


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